लखनऊ: लखनऊ के विवेक तिवारी हत्याकांड ने खाकी वर्दी की खासी किरकिरी कराई है. अधिकारियों की तरफ से गुमराह करने के बयान दिए गए. अब भले ही एसआईटी ने वारदात का रिक्रिएशन किया लेकिन तीन दिन तक चश्मदीद का बयान ना लेने और साक्ष्यों को समय से न जुटाने के सवाल खड़े हो रहे हैं.
पहले मामले को एनकाउंटर बताने की कोशिश की गयी और बाद में इसे हत्या माना गया. इस मामले में इकलौती चश्मदीद से एफआईआर लिखाई गई, वो भी अज्ञात पुलिस वालों के नाम पर. इसके साथ ही परिवार को देर से और सही जानकारी नहीं दी गई.
मीडिया ट्रायल के बाद बड़े अधिकारी इस मामले में सामने आए. लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बयान दिया कि हत्या का मामला दर्ज कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया. जबकि आरोपी सिपाही प्रशांत थाने में प्रेस से बात कर रहा था. इसके बाद किरकिरी से बचने के लिए एसआईटी बनाई गई लेकिन कल देर शाम खुद चश्मदीद सना ने बताया की उसके बयान तक नहीं लिए गए.
एसआईटी को बने तीन दिन होने के बावजूद साक्ष्यों को जुटाने में देरी की गई. अभी तक आरोपी का कस्टडी रिमांड नहीं मांगा गया है. विवेक की गाड़ी जो एक अहम सबूत है, जिसकी ठीक से जांच होनी चाहिए उसके रखरखाव में भी लापरवाही दिखी. यूपी के पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन के मुताबिक इन प्रक्रिया की देरी की वजह से सवाल उठना लाजमी भी है.
हालांकि मीडिया के उठाए गए सवालों के बाद मंगलवार को पुलिस हरकत में आई. एसआईटी में शामिल एसपी क्राइम ब्रांच दिनेश सिंह ने सना खान के घर जाकर बयान लिया और बाद में उसे और विवेक की पत्नी कल्पना तिवारी को बुलाकर घटनाक्रम को समझने के लिए वारदात का रिक्रीएशन किया.