लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने विवेक तिवारी हत्याकांड में जेल में बंद कॉन्सटेबल प्रशांत कुमार की ओर से दाखिल जमानत अर्जी पर राज्य सरकार को अपना जवाब पेश करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है.


मंगलवार को यह आदेश न्यायमूर्ति रेखा दीक्षित की पीठ ने प्रशांत की ओर से दाखिल जमानत अर्जी पर दिया. इससे पहले सरकार की ओर से पेश अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम राजेश कुमार सिंह का तर्क था कि यह मामला काफी संगीन है जिसमें एक पुलिस वाले ने गोली मारकर हत्या जैसा जघन्य अपराध किया.


सिंह ने मामले के पूरे तथ्यों को सामने रखने के लिए शपथ पत्र दाखिल करने का समय मांगा.


मृतक विवेक की पत्नी कल्पना तिवारी की ओर से वकील प्रांशु अग्रवाल ने भी मामले में जवाब दाखिल करने का समय मांगा. सुनवायी के बाद अदालत ने सरकार और मृतक की पत्नी को जवाब दाखिल करने के लिए समय दे दिया.


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गौरतलब है कि प्रशांत कुमार और एक अन्य पुलिस कर्मी ने सितम्बर 2018 में एप्पल फोन के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी को गोमतीनगर इलाके में उस समय गोली मार दी जब वह रात में अपनी सहकर्मी को छोड़ने उसके घर जा रहे थे.


प्रशांत की ओर से जमानत अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि उसने आत्म रक्षा में गोली चलायी थी.