विवेक तिवारी हत्याकांड: मजिस्ट्रियल जांच पूरी, तैश में आकर कांस्टेबल प्रशांत ने चलाई थी गोली
जांच रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि प्रशांत द्वारा गोली अनावश्यक रूप से चलाई गई. न तो पहले से प्रशांत को किसी संदिग्ध के कार्य में होने की सूचना सर्विलांस या किसी और माध्यम से दी गई थी और न ही वहां पर ऐसे हालात थे कि गोली चलानी पड़ती.
लखऩऊ: एप्पल के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक तिवारी हत्याकांड की मजिस्ट्रियल जांच के लिए जिलाधिकारी श्री कौशल राज शर्मा द्वारा बनाई गई कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. जांच में कांस्टेबल प्रशांत को दोषी पाया गया है. रिपोर्ट में कई तथ्य सामने आए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक...
- घटना की चश्मदीद कुमारी सना ने बताया था कि एक्सयूवी गाड़ी लगातार चल रही थी, जबकि सीसीटीवी फुटेज में गाड़ी का कवरेज नहीं आया है, ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता की गाड़ी रुकी हुई थी या चल रही थी.
- कांस्टेबल संदीप द्वारा कुमारी सना के बाएं हाथ पर हमला करने से चोट लगने की बात मेडिकल जांच में सामने नहीं आई थी. बाद में गहन मेडिकल रिपोर्ट में बाएं हाथ पर डंडे से चोट लगने की पुष्टि हुई है. हमला कांस्टेबल संदीप द्वारा किया गया था.
- सना द्वारा बताया गया था कि गोली चलाने के पहले कोई चेतावनी नहीं दी गई थी, पर आरोपियों का कहना है कि चेतावनी दी गई थी. घटना इतने कम समय में घटित हुई है कि ऐसे में गोली चलाने से पहले कांस्टेबल प्रशांत द्वारा चेतावनी देने की बात निराधार है.
- आरोपी कांस्टेबल प्रशांत द्वारा कहा गया कि एक्सयूवी गाड़ी को प्रशांत की बाइक पर चढ़ाने का प्रयास कर रहा था. जब प्रशांत ने फायरिंग की तब वह गिरी हुई मोटरसाइकिल के पीछे खड़ा था और विवेक द्वारा एक्सयूवी कार को किनारे से निकालने का प्रयास किया जा रहा था. कार की दिशा बाइक की दिशा के विपरीत नहीं थी. बाइक भी ऐसी अवस्था में नहीं है कि जिसे देखकर यह कहा जाए कि इस पर कार चढ़ी होगी या चढ़ाने की कोशिश की गई होगी, इसलिए प्रशांत का यह कहना गलत है.
- प्रशांत द्वारा यह भी कहा गया कि उसे पिस्टल चलाने की ट्रेनिंग नहीं मिली थी. ऐसे में यह आवश्यक है कि पुलिस विभाग द्वारा हथियार उन पुलिसकर्मियों को दिए जाने की आवश्यकता है जिन्हें ट्रेनिंग मिली हो.
- जांच रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि प्रशांत द्वारा गोली अनावश्यक रूप से चलाई गई. न तो पहले से प्रशांत को किसी संदिग्ध के कार्य में होने की सूचना सर्विलांस या किसी और माध्यम से दी गई थी और न ही वहां पर ऐसे हालात थे कि गोली चलानी पड़ती. अगर आवश्यकता होती तो वायरलेस के द्वारा थाना स्तर या कंट्रोल रूम में संपर्क किया जा सकता था लोकिन ऐसा न कर सीधे गोली चलाना गलत है. दोषियों द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन ठीक तरह से नहीं किया गया.
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि घटना पुलिसकर्मियों द्वारा परिस्थिति आवेश में आने के कारण और अपने दायित्वों को ढंग से निर्वहन न करने के चलते घटित हुई है. जिलाधिकारी श्री कौशल राज शर्मा ने रिपोर्ट वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ को सौंप दी है और जांच में सामने आए तथ्यों पर कार्यवाही की अपेक्षा भी की है.
क्या है मामलाएपल कंपनी का बड़ा इवेंट था. कंपनी के दो फोन भारत में लॉन्च किए गए थे. विवेक तिवारी एपल कंपनी के एरिया मैनेजर थे. उनके लिए ये बहुत बड़ा मौका था. वे रात में देर से ऑफिस से निकले. उनके साथ उनकी सहकर्मी सना भी थीं. वे सना को उसके घर छोड़ने के बाद अपने घर जाने वाले थे.
करीब डेढ़ बजे उन्होंने अपनी पत्नी से बात की उन्हें बताया कि फोन लॉचिंग की वजह से ऑफिस में देर हो गयी, इसीलिए वो अपनी सहकर्मी सना को घर छोड़ते हुए लौटेंगे. गोमतीनगर इलाके में अचानक दो पुलिसवालों ने उन्हें रोका, जिनमें से एक प्रशांत और दूसरा संदीप था.
प्रशांत ही वो सिपाही है जिसने गोली चलाई. यह घटना 28 और 29 सितंबर के दरम्यानी रात की है. आरोपी सिपाही के मुताबिक विवेक तिवारी ने बार-बार उस पर गाड़ी चढ़ाई इसलिए उसने पिस्टल निकाली लेकिन उस वक्त गाड़ी में मौजूद सना का बयान बिलकुल अलग है.