भोपाल: मध्य प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के जरिए हुए परिवहन आरक्षक 2012 परीक्षा घोटाले में पूर्व उच्च शिक्षामंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा सहित 11 आरोपियों को सीबीआई ने क्लीन चिट दे दी है. सीबीआई ने शनिवार शाम को भोपाल की अदालत में तीन हजार पेज का 23 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया जिसमें कहा गया कि शर्मा के खिलाफ साक्ष्य नहीं मिले हैं. कोर्ट इस मामले में अब सेमवार को संज्ञान लेगी. शर्मा इस मामले के अलावा कुछ अन्य मामलों में भी आरोपी हैं और वह फिलहाल जमानत पर हैं.
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में व्यापमं के जरिए तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती परीक्षाएं आयोजित की जाती रही हैं. व्यापमं में गड़बड़ी का बड़ा खुलासा सात जुलाई, 2013 को पहली बार पीएमटी परीक्षा के दौरान तब हुआ, जब एक गिरोह इंदौर की अपराध शाखा की गिरफ्त में आया. यह गिरोह पीएमटी परीक्षा में फर्जी छात्रों को बैठाने का काम करता था. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले को अगस्त 2013 में एसटीएफ को सौंप दिया.
हाई कोर्ट जबलपुर ने मामले का संज्ञान लिया और उसने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी गठित की, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच करता रहा. नौ जुलाई, 2015 को मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला हुआ और 15 जुलाई से सीबीआई ने जांच शुरू की.
पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, उनके ओएसडी रहे ओपी शुक्ला, बीजेपी नेता सुधीर शर्मा, व्यापमं के नियंत्रक रहे पंकज त्रिवेदी, कंप्यूटर एनालिस्ट नितिन मोहिद्रा को गिरफ्तार किया गया. इस मामले से जुड़े 50 लोगों की मौत हो गई. मामले में 2000 से ज्यादा लोगों को जेल जाना पड़ा, 400 से ज्यादा लोग अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.