इलाहाबाद: गंगा और यमुना के जलस्तर में तेज़ी से हो रही बढ़ोत्तरी ने संगम नगरी इलाहाबाद को बाढ़ के पानी में डुबाना शुरू कर दिया है. दोनों नदियों में आई बाढ़ इलाहाबाद के तमाम निचले इलाकों को अपनी आगोश में लेने लगी है. हालात ऐसे हो गए हैं कि गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी संगम के सभी घाट और वहां जाने वाले तमाम रास्ते बाढ़ के पानी में पूरी तरह डूब चुके हैं.



संगम किनारे जिस घाट पर रोजाना आरती होती थी, वह अब गंगा की आगोश में समां चुका है. दो दिन पहले तक जिन जगहों पर दो पहिया और चार पहिया वाहन फर्राटा भरते थे, अब वहां नावें चलानी पड़ रही हैं. इलाहाबाद में गंगा का जलस्तर चौंतीस सेंटीमीटर और यमुना का जलस्तर ग्यारह सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से तेजी से बढ़ रहा है. गंगा-यमुना में तेजी से हो रही बढ़ोत्तरी के बाद एनडीआरएफ की टीम को भी एलर्ट कर दिया गया है.



निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुसने से लोग घर-बार छोड़कर अपने सामान समेत सुरक्षित जगहों पर जाने को मजबूर हो रहे हैं. इलाहाबाद में दोनों ही नदियों का जलस्तर तेजी से वार्निंग लेवल की तरफ बढ़ने के बाद प्रशासन ने एलर्ट जारी कर दिया है. निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को एहतियात बरतने की हिदायत दी गई है. शुक्रवार को दोनों नदियों का जलस्तर खतरे के वार्निंग लेबल के काफी करीब पहुंच गया. सबसे ज़्यादा दिक्कत संगम पर पूजा-अर्चना के लिए देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं को हो रही है.



इलाहाबाद में गंगा और यमुना का जलस्तर चौरासी मीटर पर खतरे का निशान पार करता है, जबकि खतरे का वार्निंग लेबल अस्सी मीटर पर रखा गया है. शुक्रवार की सुबह दोनों नदियां उन्यासी मीटर के आंकड़े को पार कर गई थीं. गंगा और यमुना का जलस्तर जिस तेजी से बढ़ रहा है उससे हालात और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है. हालांकि प्रशासन ने लोगों को भरोसा दिलाया है कि उसने सभी एहतियाती कदम उठा लिए हैं और हालात से निपाने के लिए पुख्ता वैकल्पिक इंतज़ाम किए जा रहे हैं.


अफसरों का दावा है कि बाढ़ चौकियों के साथ ही कई जगह रिलीफ कैम्प भी खोलने की तैयारी की गई है. इसके अलावा चौबीसों घंटे निगरानी करने के भी निर्देश दिए गए हैं. इलाहाबाद में दो साल पहले आई बाढ़ ने ज़बरदस्त तबाही मचाई थी.