कानपुर:  कानपुर में आज सीएम योगी आदित्यनाथ ने नमामि गंगे प्रोजक्ट के तहत 20 गंगा घाटों के जीर्णोद्धार का उद्घाटन किया. उन्होंने कार्यक्रम के दौरान 15 दिसंबर तक गंगा को शत प्रतिशत शुद्ध करने का आश्वासन भी दिया है. आज से शहर के लोग गंगा नदी के किनारे बने खूबसूरत घाटों की सैर कर सकेंगे. शहर के 20 गंगा घाटों में से 11 घाट कानपुर के और 9 घाट बिठूर (ब्रम्हावर्त) के है. नितिन गडकरी ने कहा गंगा को प्रदूषित करने वाले दस शहर हैं, जिसमें पहले नम्बर पर कानपुर है, पर चिंता मत करिए इसके लिए हमने योजना बनाई है.


इस कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यानाथ और नितिन गडकरी के साथ-साथ कई नेता मौजूद रहे. वहीं बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती शामिल नहीं हुई. उमा भारती क्यों शामिल नहीं हुईं इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है. पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भरती ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था, ‘’मैं गंगा से जुड़ी योजना अक्टूबर 2018 तक लागू होते हुए देखना चाहती हूं. अगर ऐसा नहीं हुआ तो मैं प्रयाग में महाउपवास से महाप्रयाण पर बैठ जाऊंगी.’’


आइए अब एक नजर डालते हैं गंगा की सफाई पर....


 केंद्र की मोदी सरकार नमामि गंगा योजना के नाम पर हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है, गंगा की अविरलता वापस लाने के लिए 3800 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. इसके लिए अलग मंत्रालय तक बना डाला गया लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद भी गंगा की हालत में सुधार नहीं आ पाया है. गंगा की हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही है. वहीं कानपुर में नामामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा घाटों का चमकाया जा रहा है.


 गंगा प्रदूषण की बड़ी वजह क्या है?


गंगा प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार बिना किसी रोकथाम गंगा में गिरता सीवर का पानी है. बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों कल कारखाने भी इसके उतने ही जिम्मेदार हैं. गंगा को प्रदूषित करने में लोगों का भी उतना ही हाथ है. नहाने, कपड़े धोने से लेकर जानवरों को नहलाने तक का काम बिना रोक-टोक किया जाता है.गोमुख से निकलकर गंगा कुल 2525 किलोमीटर का सफर तय करती है.


हरा हो गया था गंगा का पानी
बीते दिनों संगम के शहर इलाहाबाद में गंगा के पानी का रंग बदलकर एकदम हरा हो गया था. जलस्तर गिरकर काफी नीचे चले जाने से गंगा की धारा सिमटकर नहर और नाले जैसी हो गई थी, उस पर से प्रदूषण की वजह से पानी का हरा हो जाना न सिर्फ तकलीफ पहुंचाने वाला है, बल्कि बेहद शर्मनाक भी है.


आठ वर्षों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था जलस्तर
गंगा की सफाई तो दूर की बात रही, बीते दिनों गंगा में पानी का संकट भी आ गया था. बीते अप्रैल में ही यह बात सामने आई थी कि गंगा का जलस्तर पिछले आठ वर्षों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है. आलम यह है कि जिस नदी में लगातार जल का प्रवाह बना रहता था, उसमें जगह-जगह रेत की टीले उभर आए थे.


गंगा जब तक अविरल नहीं होगी, निर्मल भी नहीं होगी


गंगा की सफाई को लेकर अभियान चला रहीं कार्यकर्ता जयंती कहती हैं, "गंगा की सफाई का बिगुल बजाए एक अरसा हो गया है, लेकिन सरकार ने सफाई के नाम पर कुछ घाट चमका दिए हैं, लेकिन सरकार के पास क्या गंगा के घटते जलस्तर पर कोई जवाब है? गंगा में जमी गाद को हटाने के लिए सरकार कर क्या रही है? इसे हटाए बिना जलमार्ग का विकास असंभव है, क्योंकि गंगा जब तक अविरल नहीं होगी, निर्मल भी नहीं होगी."


चार सालों में गंगा कितनी साफ हुई है केन्द्र सरकार को नहीं है इसकी जानकारी
एक सूचना का अधिकार(आरटीआई) आवेदन के जरिए ये खुलासा हुआ था कि केन्द्र सरकार को ये जानकारी ही नहीं है कि आखिर पिछले चार सालों में गंगा कितनी साफ हुई है. गंगा सफाई पर अब तक 3800 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं लेकिन सरकार को ये पता नहीं है कि इन पैसों से चलाई जा रही परियोजनाओं के जरिए गंगा कितनी साफ हुई है.


आरटीआई याचिकाकर्ता एवं पर्यावरणविद विक्रांत तोंगड़ ने कहा था, "आरटीआई के तहत यह ब्योरा मांगा गया था कि अब तक गंगा की कितनी सफाई हुई है, लेकिन सरकार इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं करा पाई." वह कहते हैं, "सरकार क्या इतनी बात नहीं जानती कि गंगा में गंदे नालों के पानी को जाने से रोके बिना गंगा की सफाई नहीं हो सकती है. नमामि गंगा के तहत सरकार ने गौमुख से गंगा सागर तक का जो हिस्सा कवर किया है, वहां के हालात जाकर देखिए, काई, गाद और कूड़े का ढेर देखने को मिलेगा.


पानी की कमी से रुक गया था क्रूज
गंगा में पानी की कमी का आलम यह था कि 20 मई को वाराणसी पहुंचने वाले क्रूज ''अलकनंदा काशी'' को पटना से आगे पहुंचने के बाद रोक दिया गया था. इस क्रूज को बनाने वाले कंपनी के विकास मालवीय का कहना था कि ऐसा गंगा का जलस्तर कम होने के चलते किया गया है. उन्होंने कहा कि क्रूज को आगे चलने के लिए कम से कम 1.5 मीटर का जलस्तर चाहिए, जो फिलहाल गंगा में उपलब्ध नहीं है. अलकनंदा-काशी प्रोजेक्ट से जुड़ी टीम भी इस स्थति से गहरी निराशा में थी.