लखऩऊ: यूपी में लोकसभा चुनाव में बीएसपी-एसपी गठबंधन खतरे में पड़ सकता है. प्रेस कांफ्रेंस कर मायावती ने कहा कि अगर सम्मानजनक सीटें नहीं मिली तो बीएसपी अकेले चुनाव लड़ेंगी. हालांकि मायावती ने यह भी कहा कि बीजेपी को रोकने के लिए वह गठबंधन के पक्ष में हैं.


2017 में यूपी विधानसभा में करारी हार के बाद अखिलेश-मायावती करीब आए थे. गोऱखपुर-फूलपुर लोकसभा चुनाव और नूरपुर में हुए विधानसभा चुनाव में मायावती की मदद से समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को चारों खाने चित्त कर दिया था. कैराना लोकसभा उपचुनाव में भी मायावती और समाजवादी पार्टी की मदद से राष्ट्रीय लोकदल की उम्मीदवार ने बीजेपी को मात दी थी.


मायावती यहीं नहीं रुकीं उन्होंने अखिलेश यादव का नाम लिए बिना कहा कि उनका किसी से बुआ-भतीजे का रिश्ता नहीं है. अगर किसी से रिश्ता है तो सिर्फ अपने समाज से है. उन्होंने कहा, "मैं केवल आम आदमी, दलित, आदिवासी और पिछड़ी जातियों के लोगों से संबंधित हूं. हालांकि बाद उन्होंने सहारनपुर दंगे के आरोपी चंद्रशेखर उर्फ रावण का नाम लेकर बयान को मोड़ने की कोशिश भी की.


बता दें कि भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर रावण भी मायावती को बुआ कह चुके हैं. रिहाई के बाद चंद्रशेखर ने कहा था कि मायावती तो बुआ हैं, उनसे मेरा कोई विरोध नहीं है, मेरा लक्ष्य बस बीजेपी को सत्ता से बाहर करना है.


वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को शिकस्त देने के लिए समाजवादी पार्टी (एसपी) अध्यक्ष अखिलेश यादव सीटों से समझौता करने का संकेत पहले ही दे चुके हैं. अखिलेश यादव ने मैनपुरी में कहा था, ''ये लड़ाई लम्बी है. मैं आज कहता हूं की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से गठबंधन रहेगा और दो चार सीटें आगे पीछे रहेगी और त्याग भी करना पड़ेगा तो समाजवादी पार्टी पीछे नहीं हटेगी.''


राफेल डील से लेकर नोटबंदी तक सरकार को घेरा
मायावती मोदी सरकार पर भी जमकर बरसीं उन्होंने राफेल डील से लेकर नोटबंदी तक सरकार को घेरा. मायावती ने नोटबंदी को महान त्रासदी बताया और इसके लिए सरकार से माफी की मांग की. मायावती ने कहा, ''बीजेपी सरकार विविधतापूर्ण रणनीतियों से अपनी असफलताओं को छिपाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने अपने चुनाव वादों को पूरा नहीं किया है. वे राजनीतिक लाभ के लिए अटल बिहारी वाजपेयी की मौत का उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं.


उत्तर प्रदेश में बीएसपी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, आरएलडी गठबंधन कर सकती है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी 80 सीटों में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी. वहीं कांग्रेस और समाजवादी पार्टी परिवार तक ही सिमट गई थी. समाजवादी पार्टी ने 5 सीटों पर और कांग्रेस ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं बीजेपी गठबंधन ने 80 में से 73 सीटों पर जीत दर्ज कर विपक्ष को चौंका दिया था. 2014 में सभी विपक्षी पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ी थी. यही हाल विधानसभा चुनाव में भी रहा. अब खिसकते जनाधार और बीजेपी को मात देने के लिए सभी दल गठबंधन का रास्ता तलाश रहे हैं.


ये है बीएसपी की रणनीति


उत्तर प्रदेश में सामान्य जातियों पर ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य है इन जातियों को बीजेपी का वोटर माना जाता है. यह तबका सदियों से बीजेपी को सपोर्ट करता रहा है, लेकिन इन्हीं जातियों का एक बड़ा धड़ गरीबी रेखा और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा है. बहुजन समाज पार्टी की नजर बीजेपी के उन वोटरों पर जो गरीबी रेखा में जीने को मजबूर है. बीएसपी ऐसे परिवारों को पार्टी में शामिल करेगी और उनके अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करेगी. वहीं दलित वोटरों को लुभाने के लिए दलित नेताओं का पूरे प्रदेश में अभिनन्दन करने जा रही है.


बीएसपी की चुनावी रणनीति सबसे अलग और गुप्त होती है
लोकसभा चुनाव की तैयारियों में सभी पार्टिया रणनीति बनाने में जुटी हैं. लेकिन बीएसपी की चुनावी रणनीति सबसे अलग और गुप्त होती है. इस पार्टी में बोलने का अधिकार सिर्फ बीएसपी सुप्रीमो मायावती के पास है. बीएसपी के जिलाध्यक्ष, कोऑर्डिनेटर कुछ भी खुल कर नहीं बोलते हैं. लेकिन बीएसपी के खेमे से यह बात सामने आई है कि सर्व समाज का निचला तबका अब बीएसपी का वोटर बनेगा.


2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर


समाजवादी पार्टी
सीट - 5
वोट प्रतिशत - 22.35%

बीएसपी
सीट - 00
वोट - 19.77%

2017 विधानसभा चुनाव के नतीजे

समाजवादी पार्टी
सीट - 47
वोट प्रतिशत - 21.82%

बीएसपी
सीट - 19
वोट - 22.23%