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यहां जानें: फैसले से पहले अयोध्या में अभी क्या हो रहा है?
मंदिर में दक्षिण भारत से आये पुजारी जहां हवन पूजन कर रहे हैं तो मंदिर परिसर में ही लगातार राम धुन पर भजन गायन हो रहा है.
नई दिल्ली: अयोध्या समेत पूरा देश सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अयोध्या में आजकल यात्रियों की संख्या त्यौहारों की वजह से काफ़ी ज़्यादा है. भक्तिभावना की वजह से मंदिरों के अलावा मठों और अन्य धार्मिक संस्थानों में बड़ी संख्या में लोग घूमने आ रहे हैं. ऐसी ही एक जगह है विश्व हिंदू परिषद की कार्यशाला, जहां राम मंदिर के लिए पत्थरों को गढ़ने का काम चल रहा है. इस कार्यशाला में एक राम मंदिर है जहां राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्ति लगी हुई है. इस मंदिर के बाहर हवन पूजन और भजन गायन लोगों को आकर्षित कर रहा है.
मंदिर में दक्षिण भारत से आये पुजारी जहां हवन पूजन कर रहे हैं तो मंदिर परिसर में ही लगातार राम धुन पर भजन गायन हो रहा है. विश्व हिन्दू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि कार्यशाला में पत्थरों की गढ़ाई के अलावा जो मंदिर है वो आकर्षण का केंद्र है जहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं. इस मंदिर में एक दीवार है जहां हर उस जगह की तस्वीर लगी हुई है, जहां मान्यताओं के मुताबिक़ भगवान राम के चरण पड़े. मंदिर के बाहर धार्मिक किताबों की दुकान लगी हैं, जिसमें अयोध्या की गाइड से लेकर राम जन्म का साहित्य शामिल है. इस जगह के महत्व और ख़तरे को देखते हुए कार्यशाला में सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी गई है.
अयोध्या भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला देता है ये कोई नहीं जानता. लेकिन बीते तीन दशकों से विश्व हिंदू परिषद राम मंदिर निर्माण को लेकर तैयारी कर रही है. एक तरफ श्री राम कार्यशाला में गुलाबी पत्थरों को तराशने का काम चल रहा है तो दूसरी तरफ राम कथा कुंज नाम की जगह पर मूर्ति गढ़ने का काम किया जा रहा है. विश्व हिन्दू परिषद ने जो प्रस्तावित मॉडल तैयार किया है, उसमें राम मंदिर के गलियारों में छोटी छोटी मूर्तियों के ज़रिए भगवान राम के जीवन से जुड़े अलग अलग प्रसंग दर्शाए जाएंगे. इसमें हनुमान की मूर्ति के साथ साथ 39 चबूतरों पर तीन से चार फुट तक की मूर्तियां बनाई जा रही हैं. जिसमें भगवान राम के जन्म से लेकर लंका युद्ध तक के सभी प्रसंग दिखाए गए हैं. असम के सिलचर से आये 2 मूर्तिकार पिछले 6 सालों से इन मूर्तियों को गढ़ने का काम कर रहे हैं. कलाकारों का कहना है कि ये मूर्तियां जिस सीमेंट के चबूतरे पर बनाई जा रही हैं, उसको आसानी से राम कथा कुंज से ले जाकर प्रस्तावित मंदिर में लगाया जा सकता है.
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प्रफुल्ल सारडा,राजनीतिक विश्लेषक
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