लखनऊ: यूपी पुलिस इन दिनों अपनी इमेज चमकाने में जुटी हुई है. सोशल मीडिया से लेकर ग्राउंड ज़ीरो तक कोशिशें जारी है. लेकिन महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध की कुछ घटनायें यूपी पुलिस के प्रयासों पर पानी फेर देती हैं. राज्य के डीजीपी ओम प्रकाश सिंह इस बात को लेकर परेशान हैं. मुसीबत तो बीजेपी के नेताओं ख़ास तौर से प्रवक्ताओं की भी है. जिन्हें मीडिया में आपराधिक घटनाओं से जुड़े सवालों पर जवाब देते नहीं बनता है.यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को भी क़ानून व्यवस्था के मामलों में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं है.अलग-अलग मंचों से वे इस बात का एलान करते रहते हैं.


अगर यूपी में क्राइम की कोई बड़ी घटना हो जाए तो फिर क्या करें ? इसी सवाल पर राज्य के बीजेपी प्रवक्ताओं और डीजीपी ओपी सिंह की मीटिंग हुई. ये बैठक डीजीपी हेड्क्वॉर्टर में हुई. बीजेपी प्रवक्ताओं के अलावा मीडिया पैनलिस्टों को भी बुलाया गया था. डेढ़ घंटे तक बैठक चली. राज्य के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर को भी क्राइम के आंकड़ों के साथ मीटिंग में बुलाया गया था.


बात-चीत बदांयू के रेप केस को लेकर शुरू हुई. जिसमें पीड़िता ने बाद में आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में यूपी पुलिस की बड़ी किरकिरी हुई थी. वहां के एसपी के बयान से पूरा केस ख़राब हो गया था. बीजेपी के प्रवक्ताओं के लिये भी यूपी पुलिस का बचाव करना मुश्किल हो गया था. रेप की घटना पर एसपी ने कहा था कि पीड़िता और आरोपी में लगातार बात होती थी. उनके इस बयान के बाद ही लड़की ने ख़ुदकुशी कर ली थी. बीजेपी प्रवक्ताओं और डीजीपी ने तय किया कि आगे अब ऐसी कोई घटना होने पर कैसे काम करें. पार्टी नेताओं की तरफ़ से सुझाव आया कि एंटी रोमियो स्क्वॉड को और मज़बूत किया जाए. शिकायत मिली कि ग्राउंड पर ये दिखता नहीं है. ये भी सुझाव आया कि नई महिला पुलिस अफ़सरों को इस काम में लगाया जाए.


बीजेपी नेताओं और डीजीपी ओपी सिंह की बैठक में एक व्हाटसएप ग्रूप बनाने का भी फ़ैसला हुआ था. डीजीपी हेड्क्वॉर्टर के पीआरओ राहुल श्रीवास्तव को इसके लिए नोडल अफ़सर तैनात किया गया है. राज्य भर में कहीं भी कोई अपराध की बड़ी घटना होने पर ग्रूप में सारी जानकारी शेयर की जाती है. चैनलों पर डिबेट में जाने से पहले बीजेपी प्रवक्ता सारी तैयारी कर लेते हैं. उन्हें हर तरह की सूचना डीजीपी ऑफ़िस से दी जाने लगी हैं.