लखनऊ: समाजवादी पार्टी में राय साहेब की क्लास फिर से शुरू हो गई है. अखिलेश यादव ने उन्हें लोकसभा चुनाव की रणनीति तय करने की ज़िम्मेदारी दी है. राय साहेब इन दिनों पार्टी के यूथ नेताओं को राजनीति का ककहरा पढ़ा रहे हैं. इससे पहले वे समाजवादी पार्टी के सभी सांसदों, विधायकों और प्रवक्ताओं की क्लास ले चुके हैं.

समाजवादी पार्टी के नये थिंक टैंक राय साहेब कौन हैं? वे क्या करते हैं? कहां से आये हैं? अखिलेश यादव से वे कैसे मिले? मीडिया में इस बात को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. जिस मीटिंग में राय साहेब होते हैं वहां से मीडिया को दूर रखा जाता है. समाजवादी पार्टी के लोगों ने पहली बार इसी साल मार्च के महीने में उनके दर्शन किए.

समाजवादी पार्टी प्रवक्ता पंखुड़ी पाठक ने इस्तीफा दिया, कहा- पार्टी में दम घुट रहा है

राय साहेब का जलवा पार्टी में अखिलेश यादव के बाद नंबर टू का हो गया है. एक बार वे पार्टी के सीनियर नेताओं की बैठक में बोल रहे थे. मंच पर बैठे एक बड़े नेता ने राय साहेब को टोका कि आप जो बता रहे हैं वे तो हम पहले से जानते हैं. उनके इतना कहते ही अखिलेश ने उन्हें डांटते हुए कहा ये क़ाबिल आदमी हैं. आप सबकी भलाई के लिए आपको ज़रूरी बातें बताने आये हैं. इसके बाद राय साहेब ने बताया कि बीजेपी पिछली बार कैसे लोकसभा चुनाव जीत गई. किस इलाक़े में किस जाति बिरादरी के लोगों ने कैसे उसे वोट किया. बीजेपी की जीत में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का क्या रोल रहा? हर बैठक में राय साहेब ये ज़रूर बताते हैं.

शीर्ष बीजेपी नेता से मुलाकात तय थी, मगर नहीं पहुंचे शिवपाल: अमर सिंह

समाजवादी पार्टी ऑफ़िस में इन दिनों यूथ विंग की बैठक चल रही है. कल समाजवादी युवजन सभा की मीटिंग हुई. आज लोहिया वाहिनी के देश भर के नेताओं को बुलाया गया है. इसके बाद 29 अगस्त को समाजवादी छात्र सभा की बैठक बुलाई गई है. अखिलेश यादव मीटिंग में मौजूद नेताओं से राय साहेब का परिचय कराते हैं. फिर राय साहेब सबको चुनाव लड़ने और जीतने का फ़ंडा बताते हैं. आधे घंटे के भाषण में बीजेपी से मुक़ाबला करने का मंत्र बताते हैं.

आजम पर अमर का हमला, कहा- मेरी कुर्बानी ले लेना, दैत्य आज़म खान अपनी प्यास बुझा लेना

राय साहेब इससे पहले अलग अलग जाति के पार्टी नेताओं की भी क्लास ले चुके हैं. सबसे पहले उन्होंने ग़ैर यादव पिछड़ी जाति के नेताओं की बैठक बुलाई. फिर यादव बिरादरी के नेताओं की मीटिंग हुई. इसके बाद मुस्लिम नेताओं की क्लास ली गई सबसे आख़िर में राय साहेब ने अगड़ी जाति की बैठक बुलाई. राय साहेब जब चाहें वे किसी भी नेता को बुला सकते हैं. लेकिन कोई भी नेता अपनी मर्ज़ी से राय साहेब से नहीं मिल सकता है. नेताओं को उनके साथ सेल्फ़ी लेने पर रोक है.

जानें कब-कब अखिलेश यादव पर हमलावर हुए अमर सिंह, कभी उनका बचपन तो कभी याद दिलाए अपने किए काम

अगड़ी जाति के एक नेता से राय साहेब ने पूछा,"आप ठाकुर बिरादरी के होकर पार्टी में क्यों हैं ? समाजवादी पार्टी में ऐसा क्या है कि आप यहाँ इतने सालों से हैं ? यही बात उन्होंने कई ग़ैर यादव पिछड़ी बिरादरी के नेताओं से भी पूछा. राय साहेब अलग अलग समाज के लोगों के मन की बात समझने में जुटे हैं. इसी आधार पर वे चुनावी रणनीति तैयार करना चाहते हैं. इन दिनों बैठकों में राय साहेब हैट लगा कर आते हैं.

अमर सिंह का फूटा गुस्सा, अखिलेश को नमाजवादी पार्टी का अध्यक्ष तो आजम को बताया राक्षस

मीटिंग के बाद एक बार एक विधायक राय साहेब का मोबाइल नंबर माँगने चला गया तो जवाब मिला- मेरा नंबर सिर्फ़ राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पास है. मैं किसी को अपना नंबर नहीं देता. राय साहेब का जलवा देख कर कई लोग उनसे ही टिकट की पैरवी करने लगे हैं. एक बार लखनऊ के एक फ़ाइव स्टार होटल में समाजवादी पार्टी नेताओं का लंच था. अखिलेश यादव और राय साहेब अलग अलग टेबल पर बैठे थे. धीरे धीरे राय साहेब के आस पास भीड़ लग गई. सब उनसे हाथ मिलाना और उनसे जान पहचान करना चाहते थे लेकिन राय साहेब ने किसी को लिफ़्ट नहीं दी. अपनी प्लेट उठा कर अखिलेश यादव के टेबल पर बैठ गए. कई लोग राय साहेब को अखिलेश यादव का पीके भी कहते हैं. पीके यानि प्रशांत किशोर कभी नीतीश कुमार के रणनीतिकार हुआ करते थे.