नोएडा: ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी गांव में दो बहुमंजिला इमारतें गिर गईं. इस हादसे में अभी तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है. मलबे में अभी भी कई लोगों के दबे होने की आशंका है. बिल्डर समेत तीन लोग हिरासत में ले लिए गए गए हैं. अभी तक की जांच के मुताबिक इमारतें अवैध रूप से बन रही थीं. बिना नक्शा पास किए निर्माण किया जा रहा था और सुरक्षा मानकों का पालन भी नहीं किया गया था. सवाल ये है कि आखिर इस हादसे का जिम्मेदार कौन है?


इस इलाके में छोटे बिल्डर सक्रिय हैं जो पार्टनरशिप में छोटे प्रोजेक्ट बनाते हैं. ये लोग ग्राहकों को फांसने के लिए हर संभव कोशिशें करते हैं. सरकारी विभागों और बैंक से जुड़े लोगों को भी अपने साथ मिला लेते हैं और फिर खुल कर लूट मचाते हैं.

ये बिल्डर अनोखी और नई-नई स्कीम्स के जरिए लोगों को घर का सपना दिखाते हैं. लेकिन हकीकत में ना तो मानकों का पालन करते हैं और ना ही सुरक्षा का ख्याल रखते हैं. लिफ्ट से लेकर पार्किंग तक और पावर बैकअप से लेकर तीन बालकनी तक के झांसे दिए जाते हैं.

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ये लोग घटिया निर्माण सामग्री इस्तेमाल करते हैं. ईंटें कमजोर लगाई जाती हैं, सरिया कम लगाया जाता है, नींव 5-6 फुट की जगह 2-3 फुट की डाली जाती है, सीमेंट घटिया लगाया जाता है और बिजली-पानी के पाइपों-तारों की फिटिंग भी चलताऊ की जाती है.

लालची बिल्डरों को केवल अपनी जेबें भरनी होती हैं, उन्हें जनता की जान की कोई फिक्र नहीं होती. एक के बाद एक प्रोजेक्ट ये लोग पूरे करते रहते हैं और पैसा कमाते रहते हैं. दूसरी ओर इनसे घर खरीदने वाले लोग परेशानी झेलते रहते हैं और घरों की मरम्मत में पैसा लगाते रहते हैं.



सरकारी विभागों की अनदेखी

बिल्डर 90 प्रतिशत लोन का वादा करते हैं और सांठ-गांठ कर लोन पास भी करा दिया जाता है. बैंक से जुड़े लोग भी अपना 'कट' लेकर बिल्डरों को फायदा पहुंचाते हैं. जिन सरकारी विभागों पर नजर रखने और कार्रवाई करने की जिम्मेदारी है वो सभी अपने 'कट' के लिए फिक्रमंद रहते हैं.

जिला प्रशासन की जिम्मेदारी थी कि यहां कंस्ट्रशन का काम ना हो. दरअसल कोर्ट ने इस गांव में बिल्डिंग बनाने पर रोक लगाई हुई थी. ऐसा नहीं है कि स्थानीय लोगों ने कोशिशें नहीं कीं. उन्होंने RTI डाली और डीएम के पास शिकायतें भी कीं लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई.

लोगों ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि उन्होंने अवैध निर्माण को लेकर शिकायतें की थीं, RTI के जरिए पूछा था कि यहां नक्शा बनाना जरूरी है कि नहीं, किन शर्तों पर निर्माण हो रहा है, कालोनियां लीगल हैं या नहीं.

2017 में RTI डालने वाले संदीप दुबे ने बताया कि यहां कोई नाला है ही नहीं, खाली प्लॉट में पानी भरता रहता है. यही पानी बिल्डिंग्स की नींव को कमजोर बना देता है.

विकास गुप्ता ने बताया कि यहां इमारतें हैं लेकिन सीवेज लाइन नहीं है. नालियां बड़े नाले से जुड़नी चाहिए लेकिन यहां तो ड्रेनेज सिस्टम ही नहीं है. नालियां बनाने के लिए बिल्डिंग में रहने वाले लोगों से पैसे मांगे जाते हैं, कई बार शिकायतें कीं लेकिन किसी ने नहीं सुनी.