लखनऊ: मुलायम सिंह के परिवार से इस बार घमासान की नहीं, चुनाव लड़ने की ख़बरें आ रही हैं. वो भी अगले लोकसभा चुनाव की. इस बार कौन कहां से लड़ेगा, इस पर अभी से माथापच्ची शुरू हो गई है.
नेताजी ने अपने लिए सीट रिजर्व करा ली है. मुलायम सिंह दुबारा आजमगढ़ से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. महीने भर पहले मैनपुरी में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मंच से ही मैनपुरी से लड़ने का एलान कर दिया था. पिछली बार मुलायम लोकसभा की दो सीटों आजमगढ़ और मैनपुरी से खड़े हुए थे.
दोनों जगहों पर मुलायम सिंह की जीत हुई थी. मैनपुरी की सीट उन्होंने छोड़ दी, जहां से उनके भतीजे के बेटे तेजप्रताप यादव अब सांसद है. वे आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के दामाद भी हैं.
सबसे दिलचस्प मामला तो कन्नौज का हो गया है. जहां से डिम्पल यादव अभी सांसद हैं. विदेश दौरे के दौरान राहुल गांधी ने जब राजनीति में अखिलेश यादव के परिवारवाद का जिक्र किया था. तब अखिलेश ने अपनी पत्नी डिम्पल यादव के कभी भी चुनाव ना लड़ने का एलान कर दिया था. सूत्र बताते हैं कि अखिलेश खुद यहां से किस्मत आजमाने के मूड में है.
कन्नौज में पिछ्ला लोक सभा चुनाव कांटे का रहा. समाजवादी पार्टी की डिम्पल यादव और बीजेपी के सुब्रत पाठक में सिर्फ उन्नीस हज़ार वोट का अंतर था. अखिलेश यादव नहीं चाहते कि फ़िरोज़ाबाद जैसा फिर कुछ हो जाए.
2009 के लोक सभा उपचुनाव में कांग्रेस के राज बब्बर ने उनकी पत्नी डिम्पल को हरा दिया था. कहते है दूध का जला छांछ भी फूंक फूंक कर पीता है. इसीलिए किसी और को उतारने के बदले अखिलेश खुद कन्नौज से लड़ जाएं तो कोई हैरानी की बात नहीं.
समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव फ़िरोज़ाबाद से सांसद हैं, वे दुबारा चुनाव लड़ेंगे. अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव बदायूं से फिर चुनाव लड़ेंगे. वे दो बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं. 2014 के चुनाव में समाजवादी पार्टी यूपी की अस्सी में से सिर्फ पांच सीटों पर जीत पाई थी. जीतने वाले मुलायम सिंह और उनके परिवार के ही थे.
आठ जनवरी को अखिलेश यादव ने लखनऊ में समाजवादी पार्टी की बैठक बुलाई है. इसमें सभी विधायकों और विधान सभा चुनाव हारने वाले नेताओं को भी बुलाया गया है. इस मीटिंग में अगले लोक सभा चुनाव को लेकर चर्चा होगी.