आखिर कार्यकर्ता सम्मेलन में नीतीश कुमार की पार्टी भीड़ क्यों नहीं जुटा पाई?
अपने अपने आवास पर मंत्री और विधायकों ने क्षेत्र से आए कार्यकर्ताओं की आव-भगत में कोई कमी नहीं की. लजीज भोजन के साथ रंगा रंग कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया.
पटना: बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान को अपने कार्यकर्ताओं से पाटने की तैयारी जेडीयू करीब एक साल से कर रही थी. प्रमंडल, जिला स्तर से लेकर बूथ स्तर तक के नेताओं और कार्यकर्ताओं को टास्क दिया गया था कि 1 मार्च को गांधी मैदान पहुंचकर बिहार में अपनी ताकत का एहसास करा देना है. 29 फरवरी की रात तक नेताओं ने दावा किया कि कार्यकर्ताओं की फौज पहुंच गई है.
अपने अपने आवास पर मंत्री और विधायकों ने क्षेत्र से आए कार्यकर्ताओं की आव-भगत में कोई कमी नहीं की. लजीज भोजन के साथ रंगा रंग कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. कहीं-कहीं तो डांसर बुलाकर अश्लील गाने भी परोसे गए. लेकिन जब सुबह गांधी मैदान में भीड़ के आने की बारी आई तो नेता आगे आगे चल रहे थे और भीड़ पीछे पीछे. गांधी मैदान तक भीड़ गायब हो गई.
आखिर भीड़ कहां गई ये राज बन गया है. मीडिया का कैमरा ऊंचे बिल्डिंग पर पहुंच गया. मुख्यमंत्री के भाषण का इंतज़ार होने लगा. उस वक्त भी भीड़ नदारद रही. जितना दावा किया गया वो नहीं था. इसी बीच नीतीश ने कहा कि नेता तो छांव में बैठे हैं लेकिन कार्यकर्ता धूप में, इसलिए अगली बार ऊपर से ढंक दिया जाएगा.
सवाल ये उठा कि भीड़ के पहुंचने के दावे का क्या हुआ, इसपर विधान सभा में चर्चा चली. मंत्री अशोक चौधरी ने मोर्चा संभाला. अशोक चौधरी ने कहा कि हमलोगों से एक गलती हुई कि ऊपर में छत नहीं दे पाए और कल की धूप कड़ी थी. लोगों को धूप में चलकर आने में परेशानी हुई. लेकिन ये सच बात है कि जब गांधी मैदान में प्रोग्राम चल रहा था तब हम ऊपर से छत की व्यवस्था नहीं कर पाए. इसके साथ ही कुर्सी की भी व्यवस्था नहीं हो पाई. आगे से इस बात का ख्याल रखा जाएगा.
वहीं आरजेडी ने इसे फ्लॉप शो बताया. आरजेडी नेता शिवचंद्र राम ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री 'विकास पुरुष' हैं और जब वे भाषण दे रहे थे तो वहां एक हजार लोग भी नहीं नजर आए. उन्होंने तंज करते हुए कहा कि ये तो ट्रेलर था फिल्म अभी बाकी है. पूरी ताकत और पैसा लगाने के बावजूद भी ये रैली फ्लॉप हो गई.
वहीं सहयोगी दल बीजेपी ने जेडीयू और नीतीश कुमार का बचाव किया. मंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि ये कार्यकर्ता सम्मेलन काफी सफल रहा. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि भीड़ तो आई थी तैयारी में कई स्तर पर पार्टी से चूक हो गई. जो लोग आए थे वो गांधी मैदान के बजाए पटना की सड़कों पर घूमने में रह गए क्योंकि उन्हें लीड करने वाला कोई नहीं था.
जेडीयू के अंदर इस बात को लेकर खलबली मची हुई है. नेताओं को लग रहा है कि क्या वाकई इसका असर पड़ सकता है? लेकिन सच्चाई यह है कि नीतीश कुमार की पार्टी का संगठन कभी मज़बूत नहीं रहा है. नीतीश का चेहरा ही उनकी मजबूती है. जिस तरह बीजेपी का संगठन है उसके कमिटेड कार्यकर्ता हैं उस तरह से जेडीयू के नहीं हैं. जेडीयू के वोट बैंक का समीकरण मजबूत है, वही पार्टी का आधार है. कार्यकर्ताओं की हमेशा शिकायत रही है कि सरकार में उनकी पूछ नहीं होती है, ऐसे में ज़्यादातर उदासीन रहते हैं. कार्यकर्ताओं का सम्मेलन अब तक राजगीर में होता रहा है. पहली बार गांधी मैदान में हुआ. अनुमान सही नहीं रहा जिसका असर पार्टी की छवि पर पड़ा.