पटना: झारखंड विधानसभा चुनाव में भी जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी से बगावत कर मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ बतौर निर्दलीय चुनाव में उतरे सरयू राय के बहाने एकबार फिर भाजपा को न केवल आईना दिखाया है, बल्कि सरयू राय की दोस्ती रखते हुए उनको पुचकारा है. कहा जा रहा है कि नीतीश ने जेडीयू के 'तीर' से कई निशाने साधे हैं. जेडीयू का चुनाव चिह्न् 'तीर' है. हालांकि झारखंड के इस चुनाव में आयोग ने इसे 'फ्रीज' कर दिया है.


छात्र राजनीति के समय से दोस्त रहे सरयू राय और नीतीश कुमार की दोस्ती बिहार और झारखंड की सियासत में किसी से छिपी नहीं है. चारा घोटाले में नीतीश का नाम घसीटे जाने के मौके पर सरयू राय का विरोध रहा हो या साल 2017 में राय की एक किताब का नीतीश द्वारा लोकर्पण किए जाने का मामला, दोनों की दोस्ती जगजाहिर है.


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भ्रष्टाचार के सख्त विरोधी छवि के राय रघुवर सरकार में मंत्री रहते सरकार के कई फैसलों की खिलाफत करते रहे हैं. उम्मीदवारों की चौथी सूची में भी अपना नाम नहीं देखकर सरयू ने अपनी सीट जमशेदपुर (पश्चिमी) छोड़कर मुख्यमंत्री रघुवर दास की सीट जमशेदपुर (पूर्वी) से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी और बतौर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर गए. बिहार में भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रही जद (यू) सरयू राय की इस घोषणा के बाद उनके समर्थन में उतर गई. हालांकि बाद में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने झारखंड के चुनाव प्रचार में नहीं जाने की घोषणा कर दी.


राजनीतिक के जानकार भी कहते हैं कि नीतीश ने झारखंड में सरयू के बहाने एक तीर से कई निशाने साधे हैं. जेडीयू सांसद ललन सिंह ने स्पष्ट कहा था कि सरयू राय के चुनावी प्रचार में नीतीश कुमार भी आ सकते हैं. इसके अगले ही दिन नीतीश ने स्पष्ट कह दिया, "वहां मेरी कोई जरूरत नहीं है.'' नीतीश ने एक तरफ जहां बीजेपी को आईना दिखाया, वहीं यह भी बता दिया कि वह बीजेपी के साथ है और उसके विरोध करने वाले के साथ नहीं हैं.


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बहरहाल, नीतीश की पार्टी जेडीयू और खुद नीतीश के बयानों को लेकर सियासत में कयासों का बाजार गर्म है. नीतीश की पार्टी ने जहां बीजेपी को आईना दिखाते हुए यह संदेश देने की कोशिश की है कि है बिहार में बीजेपी 'छोटे भाई' की ही भूमिका में रहे. इधर, नीतीश ने सरयू राय के चुनावी प्रचार में न जाकर यह भी संदेश दे दिया है कि बीजेपी उन पर परोक्ष या अपरोक्ष रूप से विरोधियों की मदद करने का आरोप न चस्पा कर दे. वैसे, ताजा बयानों को लेकर जो भी कयास लगाए जा रहे हों, लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि झारखंड के चुनाव परिणाम बिहार की राजनीति पर जरूर असर डालेंगे, और इसकी आंच बीजेपी और जेडीयू के रिश्ते तक भी पहुंचेगी.


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