अमेठी: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी में अपना ठिकाना बदल दिया है. वो पहले मुंशीगंज के गेस्टहाउस रुकते थे लेकिन पिछले दो दौरों में इस गेस्टहाउस से राहुल ने दूरी बना ली है.


अमेठी जिले का मुंशीगंज का ये गेस्टहाउस यहाँ के संजय गांधी हॉस्पिटल का हिस्सा है. संजय गांधी हॉस्पिटल जो कि संजय गांधी मेमोरीयल ट्रस्ट के अधीन चलाया जाता है. इसके एक हिस्से में इंदिरा गांधी नेत्र अस्पताल चलता है और दूसरे हिस्से में मुंशीगंज गेस्टहाउस बना है.

पहले राजीव गांधी इसका इस्तेमाल करते थे और बाद में यहाँ से सांसद राहुल गांधी का ये ठिकाना हो गया था. अमेठी के लोग तो इसे राहुल गांधी का घर तक मानते थे. आस पड़ोस के कांग्रेसी नेता कार्यकर्ता और अमेठी की जनता राहुल गांधी से मिलने यहाँ पहुँचती थी.

लेकिन अब राहुल गांधी ने इससे दूरी बना ली है. कल भी वो मुसाफ़िरखाना के वन विभाग के गेस्टहाउस में रुके थे. इसके पहले के दो दौरों पर वो यहां ना आकर जगदीशपुर के डाक बंगले और गौरीगंज के कांग्रेस दफ़्तर में रुक चुके हैं.

अमेठी के कांग्रेस नेता और एमएलसी दीपक सिंह का मुंशीगंज गेस्टहाउस से राहुल की दूरी बनाए जाने पर कहना है कि अमेठी और रायबरेली की जनता को राहुल जी से मिलने के लिए मुंशीगंज पहुँचने में दिक़्क़त आती थी इसलिए राहुल गांधी ने ख़ुद अलग अलग विधानसभा में जनता से मिलने और बात सुनने के लिए उनके बीच रुकने का फ़ैसला किया है.

मुसाफिरखाना गेस्टहाउस

ये है राहुल गांधी के गेस्टहाउस बदलने की वजह?

मुंशीगंज गेस्टहाउस जिसका इस्तेमाल राहुल गांधी और अमेठी दौरे पर प्रियंका वाड्रा करती थी उससे यूँही मुँह नहीं मोड़ा. अमेठी के बीजेपी ज़िलाध्यक्ष उमाशंकर पांडेय के मुताबिक़ 80 के दशक में ये ज़मीन संजय गांधी मेमोरीयल ट्रस्ट को मेडिकल कालेज बनाने के लिए दी गयी थी. लेकिन मेडिकल कालेज ना बनाकर यहाँ एक अस्पताल और गेस्टहाउस बना दिया गया. जिसका इस्तेमाल गांधी परिवार राजीव गांधी के वक़्त से करता आया है.

क़रीब साल भर पहले उमाशंकर ने इसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन से की थी कि राहुल गांधी पार्टी की राजनीतिक गतिविधियों के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं. जिसके बाद राहुल गांधी अमेठी में अलग अलग ठिकानों पर रुक रहे हैं.

उमाशंकर का दावा है जहाँ आज अस्पताल और गेस्टहाउस है उस ज़मीन को साल 1981 में मेडिकल कालेज बनाने के लिए 30 साल की लीज पर ट्रस्ट को दिया गया था. जिसका साल 2012 में ट्रस्ट ने रिनिवल इस शर्त पर कराया था की यहाँ मेडिकल कॉलेज तीन साल के अंदर बनना शुरू हो जाएगा और ऐसा हुआ नहीं लिहाज़ा ये लीज़ भी स्वतः ख़त्म हो चुकी है. ऐसे में राहुल गांधी क्या कोई भी इसका इस्तेमाल नहीं कर सकता है.