विधान परिषद चुनाव: एसपी के पास बीएसपी को ‘रिटर्न गिफ्ट’ देने का मौका
प्रदेश विधानमण्डल के उच्च सदन की 13 सीटों पर आगामी 26 अप्रैल को चुनाव होंगे. परिणाम भी उसी दिन घोषित किए जाएंगे. एक प्रत्याशी को जिताने के लिए प्रथम वरीयता के 29 मतों की जरूरत होगी.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद के आगामी चुनाव विपक्षी एकता की हरारत जानने के लिहाज से अहम हैं. हाल के राज्यसभा चुनाव में मिली मायूसी के बाद इस चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि एसपी बसपी को गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में जीत का ‘रिटर्न गिफ्ट‘ दे पाएगी या नहीं.
प्रदेश विधानमण्डल के उच्च सदन की 13 सीटों पर आगामी 26 अप्रैल को चुनाव होंगे. परिणाम भी उसी दिन घोषित किए जाएंगे. एक प्रत्याशी को जिताने के लिए प्रथम वरीयता के 29 मतों की जरूरत होगी.
प्रदेश से राज्यसभा की 10 सीटों पर पिछले महीने हुए चुनाव में नौ सीटें जीतने वाली बीजेपी प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में 324 विधायकों के दम पर कम से कम 11 सीटें आसानी से जीत सकती है.
एसपी के पास 47 विधायक हैं लेकिन उसके राष्ट्रीय महासचिव रहे नरेश अग्रवाल के बीजेपी में चले जाने के बाद उनके विधायक पुत्र नितिन अग्रवाल ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया था. वहीं उसके विधायक हरिओम यादव जेल में हैं. वह राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं डाल सके थे. ऐसे में एसपी के पास 45 वोट ही हैं वह अपने दम पर एक प्रत्याशी को विधान परिषद पहुंचा सकती है. इसके बावजूद उसके पास 16 वोट बच जाएंगे.
बीएसपी के पास 19 विधायक हैं, मगर उसके विधायक मुख्तार अंसारी राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं डाल सके थे, लिहाजा इस बार भी उनके वोट डालने की सम्भावना बहुत कम है. वहीं, बसपा विधायक अनिल सिंह ने भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की थी. उस लिहाज से देखें तो बसपा अपने 17 विधायकों पर ही भरोसा करेगी. हर तरह से बसपा को अपना उम्मीदवार जिताने के लिये एसपी का साथ लेना होगा. बीएसपी का काम कांग्रेस के सात विधायकों की मदद मात्र से भी नहीं चलेगा.
हालांकि विधान परिषद चुनाव में राज्यसभा चुनाव की तरह जोड़-तोड़ और क्रॉस वोटिंग की सम्भावना कम ही है. बीजेपी के पास अपने 11 प्रत्याशियों को जिताने के बाद केवल पांच वोट शेष रह जाएंगे. माना जा रहा है कि सभी सीटों पर निर्विरोध चुनाव हो जाएगा.
प्रदेश की 100 सदस्यीय विधान परिषद में इस वक्त बीजेपी के मात्र 13 सदस्य हैं. वहीं, सपा के 61, बीएसपी के नौ, कांग्रेस के दो, राष्ट्रीय लोकदल का एक और अन्य 12 सदस्य हैं. दो सीटें रिक्त हैं.
बीजेपी के प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक ने कहा कि उनकी पार्टी विधान परिषद की 13 में से 11 सीटें जीतने के प्रति पूरी तरह आश्वस्त है.
वहीं, एसपी प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने कहा कि सपा और बीएसपी गठबंधन आसानी से दो सीटें जीतेगा.
कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा कि विधानसभा में अपने संख्याबल के आधार पर उनकी पार्टी अपना एक भी प्रत्याशी जिताने की स्थिति में नहीं है. हालांकि वह समान विचारों वाली पार्टियों का समर्थन कर सकती है. बहरहाल, उन्हें उम्मीद है कि अगर कांग्रेस अपना प्रत्याशी उतारने का फैसला करती है तो उसे बीएसपी का साथ मिलेगा, क्योंकि उसने राज्यसभा चुनाव में इस पार्टी का पूरा सहयोग किया था.
विधान परिषद सदस्य और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और भाजपा सरकार के मंत्रियों महेन्द्र सिंह और मोहसिन रजा समेत 13 सदस्यों का कार्यकाल आगामी पांच मई को समाप्त हो रहा है. जो 13 सीटें खाली होंगी, उनमें सात एसपी की, दो-दो बीजेपी और बीएसपी की और एक राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) की है. इनमें एक सीट पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी की भी है, जो उनके एसपी से बीएसपी में जाने के बाद रिक्त हुई थी.
एसपी अध्यक्ष अखिलेश के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी, एसपी प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, उमर अली खां, मधु गुप्ता, रामसकल गुर्जर और विजय यादव का कार्यकाल खत्म हो रहा है. इसके अलावा बीएसपी के विजय प्रताप और सुनील कुमार चित्तौड़ और रालोद के एकमात्र सदस्य चौधरी मुश्ताक का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है.
राज्य विधान परिषद के आगामी चुनाव के लिए अधिसूचना सोमवार को जारी होगी. नामांकन पत्र 16 अप्रैल तक दाखिल किए जा सकेंगे, जिनकी जांच 17 अप्रैल को की जाएगी. नामांकन 19 अप्रैल तक वापस लिये जा सकेंगे.
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