सोनपुर: बिहार के सोनपुर में पशुओं का विश्व प्रसिद्ध मेला शुरू हो चुका है. ये मेला 32 दिनों तक लगाया जाता है. मेले में घोड़ों के बाजार की अलग रौनक दिख रही है. मेले की शुरुआत के साथ ही अभी तक तकरीबन 5 हजार घोड़े आ चुके हैं. जिन्हें उनकी नस्ल, रंग-रूप और खासियत के लिहाज से खरीदा और बेचा जा रहा है. मेले में 40 हजार से लेकर 11 लाख रुपये तक के घोड़े हैं.


इस साल मेले में एक से बढ़ कर एक नस्ल और खूबी रखने वाले घोड़ों का जमावड़ा लगा है. घोड़ा बाजार में हवा से बात करने वाले घोड़े का नाम हिटलर है. लंबी कद-काठी वाले घोड़े का नाम सुल्तान है. पिछली चार पीढ़ियों से मेले में आने वाले इमाम खान बताते हैं कि बेशक सोनपुर मेले में आने वाले पशुओं की संख्या में कमी आई है लेकिन घोड़ा बाजार की रौनक बरकरार है.


उन्होंने बताया कि इतिहास की किताबों में दर्ज है कि मौर्य वंश के शासक चंदगुप्त मौर्य अपनी सेना के लिए हाथी घोड़ों की खरीद के लिए सोनपुर मेले में आया करते थे. मुगल बादशाह अकबर और अंग्रेजों से लोहा लेने वाले वीर कुंवर सिंह भी घोड़ा खरीदने सोनपुर मेले में आए थे.


सोनपुर के घोड़े के बड़े बाजार को देखते हुए 1 हजार 803 ई. में रॉबर्ट क्लाइव ने यहां घोड़ों का एक बड़ा अस्तबल भी बनवाया था. तब से लेकर आज तक सोनपुर मेले में घोड़ों के इस बाजार की रौनक बरकरार है. यहां दूर-दूर से घोड़ों के व्यापारी अपने घोड़ों को बेचने के लिए पहुंचते हैं.


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एक घोड़े के मालिक नौशेर खान ने बताया कि मेरे पास 90 घोड़े हैं. कुछ घोड़े बिक गए हैं. मेर पास करीब 50 घोड़े और बेचने के लिए हैं. उन्होंने अपने घोड़ों का नाम बताते हुए कहा कि मेरे पास बुलेट राजा है और सुल्तान मिर्जा नाम के घोड़े हैं. दोनों ही घोड़ों के अलग-अलग गुण हैं. इनकी कीमत 7 लाख रुपये है.


मुंगेर से खुद के लिए एक घोड़ा खरीदने सोनपुर मेला पहुंचे अजय सिंह ने 70 हजार रुपये में खुद के लिए एक घोड़ा खरीदा. उन्होंने बताया कि घोड़े पर बैठकर मैं खेत में जाता हूं. इससे पहले भी मैं यहां से घोड़ा ले जा चुका हूं. इस बार भी मैं घोड़ा खरीदने आया हूं.


सोनपुर मेले को कभी दुनिया का सबसे बड़ा मवेशी मेले का दर्जा प्राप्त था. वक्त के साथ और बदलते दौर में मवेशियों का महत्व कम होता चला गया. सोनपुर मेले में गाय बैल जैसे मवेशिओं की संख्या में भारी कमी आई है.


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