लखनऊ: चुनाव के मैदान में श्मशान और कब्रिस्तान को लेकर बहस जारी है. अब इस बहस में बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) के सांसद योगी आदित्यनाथ और एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के असादुद्दीन औवैसी भी कूद पड़े हैं. दीवाली-रमजान और श्मशान-कब्रिस्तान की ये बहस यूपी के चुनाव में तब से चल पड़ी जब पीएम मोदी ने धर्म के आधार पर भेदभाव के आरोप लगाए.

मामले में नया राग बीजेपी के सांसद योगी आदित्यनाथ ने छेड़ा है. योगी का आरोप है कि मंदिर में तो बिजली आती ही नहीं. भेदभाव का ये मुद्दा तब उठा जब पीएम मोदी ने यूपी के फतेहपुर की रैली में भेदभाव को लेकर वो कह दिया जो इस चुनाव में अभी तक नहीं कहा गया था. मोदी के वार पर अखिलेश ने भी पलटवार किया.

मोदी के बयान के बाद विरोधी ध्रुवीकरण का आरोप लगा रहे हैं. लेकिन आंकड़े क्या कह रहे हैं जरा उन पर गौर कीजिए. अल्पसंख्यकों की भलाई वाले मद के तहत 2016 में कब्रिस्तानों की चारदीवारी के निर्माण के लिए 200 करोड़ को बढ़ाकर 400 करोड़ रुपये आवंटित किए गए. जबकि शहरों में श्मशान के लिए 100 करोड़ और गांवों को 127 करोड़ रुपये आवंटित किए.

मुद्दा बिजली की सप्लाई में भेदभाव का भी उठा है, इसलिए आपको बताते हैं कि 6 जुलाई 2016 को ईद के लिए यूपी में 13,500 मेगावाट बिजली की सप्लाई थी. वहीं 28 अक्टूबर से लेकर 1 नवंबर के बीच दीवाली के मौके पर करीब 15,400 मेगावाट बिजली थी. दीवाली के दौरान पांच दिन 24 घंटे बिजली थी.

यूपी में आधे से ज्यादा चुनाव हो चुके हैं. वोट के लिए हर तीर मारा जाएगा लेकिन किसका तीर निशाने पर लगा है इसका पता 11 मार्च को चलेगा जब चुनाव के नतीजे आएंगे.