सुप्रीम कोर्ट का फैसला लोकतंत्र और संविधान की मजबूती का प्रमाण - योगी आदित्यनाथ
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस फैसले ने देश और दुनिया में भारत की संवैधानिक व्यवस्था और लोकतंत्र की मजबूती को फिर से साबित कर दिया है.
लखनऊ: अयोध्या विवाद पर देश की सबसे बड़ी अदालत का फैसला आ गया है. फैसले के बाद से लगातार प्रतिक्रियाओं का दौर चल रहा है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को यहां कहा कि अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने देश और दुनिया में भारत की संवैधानिक व्यवस्था और लोकतंत्र की मजबूती को फिर से साबित कर दिया है. योगी ने कहा, "हमारे यहां नकारात्मकता की कोई जगह नहीं है. शांति, सौहार्द्र और एकता बनाए रखने के लिए मैं सभी संस्थाओं और संगठनों को हृदय से बधाई देता हूं."
सीएम योगी ने कहा कि भारत के प्रति प्रेम रखने वालों ने इस फैसले को मुक्त कंठ से सराहा है. उन्होंने मीडिया का भी धन्यवाद किया और कहा कि मीडिया ने पूरे फैसले को पॉजिटिव तरीके से प्रस्तुत करने का काम किया है.
योगी ने कहा कि "निश्चित ही यह फैसला बहुत कुछ संदेश दे रहा है. एक भारत और श्रेष्ठ भारत के संकल्प को आगे बढ़ाने, किसी परिवार या किसी वर्ग, समुदाय या धर्म से ऊपर उठकर जो फैसला दिया गया है और जिस प्रकार से इसे लोगों ने स्वीकारा है, वह प्रशंसनीय है."
उन्होंने कहा कि "पांचों न्यायाधीशों ने जिस प्रकार से एकमत होकर यह फैसला दिया है और जिस प्रकार इसे देश की जनता ने स्वीकारा है, यह एक-दूसरे के विश्वास और उन कठिन से कठिन परिस्थतियों में भी संवैधानिक दायरे में रहकर हम बड़े से बड़े निर्णय ले सकते हैं, इस बात को दर्शाता है."
योगी ने कहा, "मुख्यमंत्री बनने के बाद जब मैं पहली बार अयोध्या गया था, तो किस प्रकार अयोध्या की अनदेखी की गई यह साफ दिखाई देता था. पिछले ढाई साल में अयोध्या के विकास के लिए ठोस योजनाओं को रखा गया. देश और दुनिया के अंदर अयोध्या एक नई चमक और आभा के साथ उत्तर प्रदेश के इस नए परसेप्शन को प्रस्तुत करने में सफल रहा है."
विवादित जमीन रामलला की, सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित जमीन रामलला की है. कोर्ट ने इस मामले में निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि तीन पक्ष में जमीन बांटने का हाई कोर्ट फैसला तार्किक नहीं था. कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन दी जाए.
कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्र्स्ट बना कर फैसला करे. ट्रस्ट के मैनेजमेंट के नियम बनाए, मन्दिर निर्माण के नियम बनाए. विवादित जमीन के अंदर और बाहर का हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए.''
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