लख़नऊ: मुलायम-अखिलेश सरकार की सरकार के दौरान शुरू किए गए पुरस्कार यश भारती को योगी सरकार खत्म करेगी. इसकी जगह संस्कृति विभाग 'राज्य संस्कृति पुरस्कार' की शुरुआत करेगा. यही नहीं पुरस्कार की धनराशि भी 11 लाख रुपये से कम करके 2 से 5 लाख रुपये कर सकती है.


गुरुवार को संस्कृति व पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी की अध्यक्षता में यश भारती के वैकल्पिक पुरस्कार नीति पर बैठक हुई, जिसमें राज्य संस्कृति पुरस्कार को शुरू किए जाने पर सहमति बनी.


सूत्रों के अनुसार, राज्य संस्कृति पुरस्कार को अब केवल संस्कृति तक ही सीमित कर दिया गया है. अन्य विधाएं इससे बाहर होंगी. एक पुरस्कार भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर व 23 अन्य विभूतियों के नाम पर दिए जाएंगे.


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अटल के नाम पर दिए गए पुरस्कार की धनराशि 5 लाख रुपये व अन्य पुरस्कारों की धनराशि 2 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है. यश भारती में जो पेंशन के पात्र पाए गए हैं, उन्हें पेंशन दी जाती रहेगी.


नए पुरस्कार के तहत गायन, नृत्य, वादन, लोक गायन, नृत्य, गाथा गायन, नौटंकी, रासलीला, रामलीला, नाटक, लोक चित्रकला, जनजातीय मूर्ति कला, आधुनिक चित्रकला, मूर्तिकला, रामलीला, रासलीला में शोध, लोक संस्कृति व लोक बोलियों आदि विधाओं को रखा गया है.


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वहीं फिल्म व दूरदर्शन, आकाशवाणी, धारावाहिक (आलेखन, अभिनय, निर्देशन, कॉस्ट्यूम, सिनेमेटोग्राफी), साहित्य, विज्ञान, खेल, शिक्षा आदि को बाहर कर दिया गया है. नए पुरस्कारों के तहत 30 नवंबर तक आवेदन लिए जाएंगे, जबकि 26 जनवरी तक इनकी घोषणा होगी और फरवरी-मार्च में वितरण होगा.


पुरस्कार पाने वालों को यूपी परिवहन की बसों में नि:शुल्क यात्रा की सुविधा मिलेगी. इसके अलावा जीवन में एक बार एक लाख रुपये तक की चिकित्सा सुविधा मिलेगी. वहीं, शीर्ष स्तर के अनुमोदन पर पेंशन का भी प्रस्ताव शामिल किया गया है.


मंत्री नीलकंठ तिवारी ने कहा कि 2009 से 2019 तक संगीत नाटक अकादमी का कोई पुरस्कार नही दिया गया है. हम लोक कला, लोकविधा को सम्मानित करने का काम करेंगे. हर क्षेत्र के कलाकारों को पुरस्कृत करने पर हम काम करेंगे.