स्टडी में खुलासा, नींद नहीं आने की समस्या में सुधार ला सकता है आयुर्वेद
स्टडी के अनुसार, आयुर्वेद से किसी रोगी की नींद संबंधी समस्याओं में महत्वपूर्ण सुधार लाया जा सकता है. आयुष मंत्रालय ने कहा कि स्टडी का व्यापक क्षेत्र नींद की कमी और उससे जुड़ी स्थितियों से संबंधित है.
नई दिल्लीः पूर्वोत्तर आयुर्वेद एवं होम्योपैथी संस्थान की एक पत्रिका में प्रकाशित स्टडी के अनुसार आयुर्वेद से किसी रोगी की नींद संबंधी समस्याओं में महत्वपूर्ण सुधार लाया जा सकता है.आयुष मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि अध्ययन का व्यापक क्षेत्र नींद की कमी और उससे जुड़ी स्थितियों से संबंधित है.
पत्रिका ‘आयुहोम’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार आयुर्वेद में किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए नींद को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है और जीवन के तीन सहयोगी स्तंभों में से एक बताया गया है. इसमें कहा गया कि अनिद्रा पूरी दुनिया में एक सामान्य समस्या है.
अध्ययन के लेखकों में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर के स्नातकोत्तर पंचकर्म विभाग के प्रमुख गोपेश मंगल और इसी विभाग के स्नातकोत्तर शोधार्थी निधि गुप्ता तथा प्रवेश श्रीवास्तव हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्वास्थ्य किसी व्यक्ति के संपूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कुशलता की स्थिति है और केवल कोई बीमारी नहीं होना स्वास्थ्य नहीं है. इसमें निद्रा एक आवश्यक स्थिति है.
एक तिहाई लोगों को नींद संबंधी समस्याएं आयुष मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि आज की भागदौड़ वाली जीवनशैली में तनाव और अन्य पर्यावरण संबंधी कारकों की पृष्ठभूमि में अनेक लोगों के लिए नींद की गुणवत्ता में गिरावट आई है. नेशनल स्लीप फाउंडेशन ऑफ अमेरिका के एक आकलन के अनुसार दुनिया में एक तिहाई लोग निद्रा संबंधी विकारों से प्रभावित हैं.
मंत्रालय ने कहा कि इस पृष्ठभूमि में अनिद्रा की समस्या के हल के लिए आयुर्वेद की परंपरागत पंचकर्म पद्धति का प्रभाव खारिज नहीं किया जा सकता.
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