नई दिल्लीः बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने राष्ट्रगान में बदलाव के लिए पीएम मोदी को पत्र लिखा है. स्वामी ने पीएम मोदी को भेजे गए इस पत्र को ट्विटर पर भी शेयर किया है. उन्होंने खत में कहा है कि राष्ट्रगान 'जन गण मन...' को संविधान सभा में सदन का मत मानकर स्वीकार कर लिया गया था.


उन्होंने आगे लिखा है, 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा के आखिरी दिन अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने बिना वोटिंग के ही 'जन गण मन...' को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार कर लिया था. हालांकि, उन्होंने माना था कि भविष्य में संसद इसके शब्दों में बदलाव कर सकती है. स्वामी ने लिखा है कि उस वक्त आम सहमति जरूरी थी क्योंकि कई सदस्यों का मानना था कि इस पर बहस होनी चाहिए, क्योंकि इसे 1912 में हुए कांग्रेस अधिवेशन में ब्रिटिश राजा के स्वागत में गाया गया था.


स्वामी ने पीएम से की संसद में प्रस्ताव लाने की अपील


डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सदस्यों की भावना को समझते हुए यह काम भविष्य की संसद पर छोड़ दिया था. स्वामी ने पीएम से अपील की है कि वह संसद में प्रस्ताव लाएं कि जन गण मन की धुन से छेड़छाड़ किए बगैर इसके शब्दों में बदलाव किया जाए. स्वामी ने सुझाव भी दिया है कि इसमें सुभाष चंद्र बोस द्वारा किए गए बदलाव को ही स्वीकार किया जा सकता है.


ये है 'जन गण मन..' गीत का इतिहास


बता दें कि 'जन गण मन..' गीत को पहली बार 27 दिसंबर साल 1911 को गाया गया था. इस गीत को रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बंगाली भाषा में लिखा था. यह गीत 28 नवंबर को अंग्रेजी अख़बारों की सुर्खियों में छाया रहा. संविधान सभा ने जन गण मन के हिन्दी संस्करण को भारत के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी साल 1950 को अपनाया था.


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