सुप्रीम कोर्ट ने जब लिया स्वतः संज्ञान, सरकार की बढ़ी टेंशन; अतीक-अशरफ की हत्या पर क्यो हो रही सुओ मोटो की मांग?
स्वत: संज्ञान सुओ मोटो का हिंदी अर्थ है. सुओ मोटो लैटिन शब्द से आया है, जिसकी उत्पत्ति एपिस्टलरी ज्यूरिडिक्शन की अवधारणा से हुई है. इसका मतलब है- न्यायिक सक्रियता से सबके लिए न्याय सुलभ बनाना.
पुलिस कस्टडी में बाहुबली अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के बाद यूपी पुलिस की इकबाल पर सवाल उठ रहे हैं. मायावती समेत कई विपक्षी नेताओं ने हत्या पर सुप्रीम कोर्ट से स्वत: संज्ञान लेने की मांग की है.
सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा है कि अतीक के बाकी बचे बेटे की भी हत्या हो सकती है. रामगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से अतीक ने सुरक्षा की मांग की थी, लेकिन राहत नहीं मिली.
सुप्रीम कोर्ट ने 28 मार्च को अतीक की पत्नी की अर्जी को खारिज कर दिया था. इसके बाद अतीक ने पुलिस की नीयत पर सवाल उठाया था. अतीक की हत्या इलाहाबाद हाईकोर्ट से मात्र 3 किमी की दूरी पर हुई है. हमलावरों ने 9 राउंड की फायरिंग की थी.
स्वत: संज्ञान कब लेता है कोर्ट?
स्वत: संज्ञान का मतलब है कोर्ट किसी भी केस पर खुद से हस्तक्षेप कर सकता है. यह प्रक्रिया सबको समुचित न्याय मिले, इसलिए शुरू की गई थी. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट किसी भी विषय पर स्वत: संज्ञान ले सकती है.
अमूमन जब मौलिक अधिकार और न्याय का अधिकार हनन हो रहा होता है, तो कोर्ट मामले में स्वत: संज्ञान लेती है. स्वत: संज्ञान अमूमन राज्य और केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ ही होता है. सुप्रीम कोर्ट को संविधान की धारा 32 और 131 में किसी भी मामले में न्याय करने का अधिकार प्राप्त है.
अब तक भारत में तीन तरह के मामलों में सुप्रीम कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेता रहा है.
1. न्यायालय और जजों का अवमानना- सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट किसी भी न्यायालय और जजों के अवमानना मामले में स्वत: संज्ञान लेता रहा है. हाल ही में फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री पर जज के अवमानना मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था.
2. पुराने केस में- कोर्ट को किसी भी पुराने मामले में स्वत: संज्ञान लेते देखा गया है. कोर्ट किसी भी मामले में चल रही सुनवाई या जांच पर संज्ञान लेकर आदेश दे सकता है.
3. नए केस में- प्रभावित वर्ग के लोगों से पत्र प्राप्त करने के बाद या किसी समाचार, वीडियो, मीडिया स्रोत के आधार पर इस तरह की कार्रवाई करता रहा है. नए मामलों में सबसे अधिक स्वत: संज्ञान लेता है.
स्वत: संज्ञान लेना मतलब सरकार की टेंशन बढ़ना तय
सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट ने जब-जब स्वत: संज्ञान लिया है, तब-तब सरकार और पुलिस की टेंशन बढ़ी है. 1979 में सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद राज्य सरकार को 14 पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस दर्ज करना पड़ा था.
2018 में उन्नाव केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने के बाद बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इस मामले में पुलिस की काफी किरकिरी हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को तलब कर लिया था.
सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट ने कब-कब लिया स्वत: संज्ञान?
1. भागलपुर कैदी हत्याकांड पर- 1979 को भागलपुर जेल में 31 विचाराधीन कैदियों की हत्या के बाद कैदी अनिल यादव ने हार्बस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) का पत्र सुप्रीम कोर्ट को लिखा. सुप्रीम कोर्ट ने 1980 में इस पत्र को स्वत: संज्ञान लिया और बिहार सरकार को प्रतिवादी बनाया गया.
सुप्रीम कोर्ट के एक्शन के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार एक्शन में आई और भागलपुर जेल अधीक्षक को सस्पेंड किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में हाई लेवल जांच करने और अधिकारियों को दंडित करने के लिए कहा.
साथ ही कैदियों की सुरक्षा में सख्ती बरतने का निर्देश राज्य सरकार को दिया.कोर्ट के आदेश के बाद 20 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया, जबकि 14 पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ.
2. मुजफ्फरपुर बालिका कांड पर- साल 2018 में बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में 39 नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार को जमकर फटकार लगाई थी.
सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने के बाद बिहार सरकार को अपने मंत्री मंजू वर्मा को पद से हटाना पड़ा और गिरफ्तार कर जेल भेजना पड़ा. कोर्ट ने इस मामले के मुख्य आरोपी को बिहार जेल से ट्रांसफर कर दिया. कोर्ट ने सीबीआई को फटकार लगाई थी.
सीबीआई ने इस मामले में तत्कालीन मंत्री मंजू वर्मा के पति को भी आरोपी बनाया और उससे पूछताछ शुरू की थी. 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से एक्शन टेकेन रिपोर्ट मांगी थी. कोर्ट ने एनजीओ को फंड देने को लेकर भी सवाल उठाया था.
3. लखीमपुर खीरी केस मामले पर- 2021 में लखीमपुर खीरी में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को कुचलकर मारे जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय टेनी के बेटे आशीष मिश्र मुख्य आरोपी हैं.
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान यूपी सरकार को जमकर फटकार लगाई थी और जांच में घालमेल न करने की हिदायत दी थी. कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट के किसी रिटायर जज से जांच की निगरानी की जाए.
कोर्ट के निर्देश के बाद आशीष मिश्रा की जमानत याचिका निचली अदालत से खारिज हो गई थी. लखीमपुर खीरी में थार से कुचलने की वजह से 8 किसानों की मौत हुई थी.
4. उन्नाव केस मामले पर- 2018 में उन्नाव रेप केस और उसके बाद पीड़िता के परिवार की हत्या के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया था. हाईकोर्ट के बाद लड़की के पत्र पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई थी. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद राज्य की योगी सरकार बैकफुट पर आ गई.
हाईकोर्ट ने सीबीआई से मुख्य आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई दिल्ली ट्रांसफर कर दिया. यूपी के डीजीपी को तलब कर पीड़ित परिवार को सुरक्षा देने का आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को तेजी से जांच करने का आदेश दिया था. 2020 में दिल्ली की एक अदालत ने कुलदीप सेंगर को दोषी करार दिया था.
5. ड्रग्स तस्करों के नेटवर्क पर कार्रवाई को लेकर- सुप्रीम कोर्ट ने साल 2022 में देशभर में फैले ड्रग्स तस्करों के नेटवर्क पर कार्रवाई को लेकर एक पत्र को स्वत: संज्ञान में बदला. कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को प्रतिवादी बनाया.
इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि सरकार ऐसे मैकेनिज्म तैयार करे, जिससे ड्रग्स माफिया पर सख्त कार्रवाई हो सके. कोर्ट ने कहा कि हर बार हजारों करोड़ों का ड्रग्स पकड़ा जाता है, लेकिन तस्करी नहीं रुकता है.