Tamil Nadu NEET Controversy: तमिलनाडु में नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) को लेकर घमासान जारी है. यह विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने नीट एग्माज से प्रदेश के छात्रों को छूट देने वाला विधेयक वापस कर दिया था. इसके बाद से ये लड़ाई राजनीतिक मोड़ ले चुकी है. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसे लेकर राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है.


डीएमके की एमके स्टालिन सरकार तमिलनाडु में नीट परीक्षा में राज्य के मेडिकल छात्रों को छूट देने के लिए 13 सितंबर 2021 को एक विधेयक लाई थी. इसमें यह प्रावधान किया गया था कि मेडिकल कॉलेजों में शामिल होने के इच्छुक छात्रों को नीट परीक्षा नहीं देनी पड़ेगी. उन्हें प्लस 2 (12वीं) की परीक्षा में मेरिट के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश मिल जाएगा, लेकिन इस बिल को राज्यपाल ने 3 फरवरी 2022 को वापस कर दिया था.


नीट परीक्षा में पास न होने पर छात्रों ने की आत्महत्या


नीट परीक्षा में कई बार फेल होने के बाद कुछ छात्र हताश होकर आत्महत्या कर लेते हैं. अभी पिछले हफ्ते राज्य में 19 वर्षीय जगदीश्वरन नाम के छात्र ने आत्महत्या कर ली थी. इससे परेशान होकर उसके पिता ने भी आत्महत्या कर ली थी. इसके साथ ही नीट परीक्षा में सफल न होने पर आत्महत्या करने वाले छात्रों की संख्या अब 16 हो चुकी है. इस घटना के बाद एमके स्टालिन और उनकी सरकार को राज्यपाल के खिलाफ हमलावर होने का मौका मिल गया. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सुब्रमण्यम ने तो यह तक कह दिया था कि इस बिल से राज्यपाल का कोई लेना नहीं है. यह बिल राष्ट्रपति के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया है.


एमके स्टालिन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखा पत्र


विधेयक पर राज्यपाल से बढ़ते टकराव को देखते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा है. इसमें उऩ्होंने नीट रोधी विधेयक को जल्द से जल्द मंजूरी देने की अपील की है. इसके साथ ही सीएम स्टालिन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी डाला था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि नीट परीक्षा को हटाया जा सकता है. राज्य सरकार नीट पर प्रतिबंध लगाने की बाधाओं को दूर करने की कोशिश कर रही है. साथ ही उन्होंने छात्रों से इस तरह के कदम न उठाने की अपील भी की है.


NEET विरोधी विधेयक में क्या है?  


तमिलनाडु में एमके स्टालिन सरकार ने जून 2021 में जस्टिस एमके राजन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था. समिति से यह जानकारी मांगी गई थी कि NEET मेडिकल कॉलेज के विभिन्न पाठ्यक्रमों के उम्मीदवारों के चयन का न्याय संगत तरीका है या नहीं? उसी साल सितंबर में समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. समिति ने अपनी रिपोर्ट में नीट की आलोचना की थी. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इसने सामाजिक विविधता को कमजोर किया है. चिकित्सा शिक्षा में संपन्न लोगों को यह फायदा पहुंचाती है. अपनी रिपोर्ट में समिति ने यहां तक सिफारिश की थी कि इसे तत्काल कानून बनाकर समाप्त करने का प्रावधान किया जाना चाहिए.


NEET और बिल पर क्या कहना था राज्यपाल का?


नीट और तमिलनाडु के नीट रोधी बिल पर राज्यपाल ने बकायदा अपनी एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी. उन्होंने स्पष्ट रूप से मेडिकल छात्रों के लिए नीट पर प्रतिबंध लगाने को उचित नहीं बताया था. प्रतिबंध लगाना इसलिए भी ठीक नहीं है क्योंकि नीट परीक्षा को सुप्रीम कोर्ट से अनुमोदित किया है. उन्होंने बिल वापस की वजह बताते हुए कहा था कि इस पर सावधानीपूर्वक विचार करने और सामाजिक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखने जरूरत है. उऩ्होंने यह भी कहा था कि नीट परीक्षा के जरिए गरीब छात्र भी मेडिकल की महंगी पढ़ाई आसानी से कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इसीलिए नीट को जारी रखा था, क्योंकि यह गरीब छात्रों के आर्थिक शोषण को रोकता है.  


एमके स्टालिन को इसलिए लाना पड़ा था बिल


मुख्यमंत्री एमके स्टालिन नीट तमिलनाडु प्रतिबंध बिल अपने राज्य में उन छात्रों की सुरक्षा के विचार से लाए थे, जो नीट के कारण विभिन्न तरह की परेशानियों का सामना कर रहे थे. राज्य सरकार ने नीट में अंग्रेजी और तमिल दोहरी भाषा की नीति पर भी जोर दिया था. उऩ्होंने जोर देकर कहा था कि नीट परीक्षा में इसका पालन किया जाना चाहिए. राज्य में नीट प्रतिबंध की लड़ाई लंबे समय से चली आ रही है. इसमें छात्र और नेता लगातार केंद्र सरकार से दोहरी भाषा नीति की मांग कर रहे हैं.


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