तेजस 2.0: पहले से ज्यादा खतरनाक और ताकतवर, 10 बीवीआर मिसाइलें हो जाएंगी लैस
LAC-मार्क-2 को भारतीय सेना के लिए डीआरडीओ विकसित कर रहा है. इसके बाद इसे बनाने के काम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड करेगा.
भारत में बनाया गया दुनिया का सबसे खतरनाक लड़ाकू विमान तेजस की पूरी दुनिया में धूम मची हुई है. अब इसी विमान को सबसे हल्का बनाए जाने का काम चल रहा है. यह मौजूदा एलसीए तेजस का नया अवतार होगा.
लड़ाकू विमान तेजस को हाल के दिनों में कई देशों ने खरीदने में दिलचस्पी भी दिखाई थी. सबसे पहले तेजस एलएसी मार्क-1 बनाया गया था. इसके बाद एलएसी मार्क 1ए आया और अब रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) LAC-मार्क-2 को विकसित कर रहा है.
ये नया वर्जन मार्क 1 और मार्क 1ए की तुलना में आधुनिक तकनीकों से लैश होगा. इस नए वर्जन की खासियत यह है कि यह दुनिया में मौजूद किसी भी हल्के विमान से ज्यादा हथियार ले जा सकेगा.
सितंबर में ही पीएम मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने तेजस मार्क-2 को प्रोटोटाइप, उड़ान परीक्षण और प्रमाणन के साथ 6,500 करोड़ रुपये से अधिक के मूल्य के साथ विकसित करने की मेगा प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी थी. इसके अलावा सरकार ने पांचवी पीढ़ी स्टेल्थ टेक्नोलॉजी को भी हरी झंडी दे दी है.
स्टील्थ टेक्नोलॉजी क्या है?
स्टील्थ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल फाइटर जेट में किया जाता है. इस टेक्नोलॉजी की मदद से लड़ाकू विमान को रडार पर नहीं पकड़ा जा सकेगा. आसान भाषा में ऐसे समझिये कि कोई साधारण फाइटर जेट अगर किसी दुश्मन के पास पहुंचता है तो रडार द्वारा उसका तुरंत पता लगाया जा सकता है. इसलिए स्टेल्थ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है. इससे दुश्मन को चकमा दिया जा सकता है. यानी एक ऐसा लड़ाकू विमान जो रडार की पकड़ में न आए. उसकी मौजूदगी का अहसास कम से कम हो.
क्या होगा तेजस LAC-मार्क-2 में खास
तेजस के नए वर्जन के इंजन ज्यादा ताकतवर होंगे. इस लड़ाकू विमान में पहले के विमानों की तुलना में ज्यादा लड़ने की क्षमता होगी. साथ ही इसमें पहले के मुकाबले ज्यादा हथियार लैस किए जा सकेंगे.
तेजस मार्क-1A में GE-F404 का इंजन लगा था, इस इंजन के पीक पावर की क्षमता 81 किलोन्यूटोंस थी. लेकिन नए वर्जन यानी तेजस 2.0 में GE-F414 का इंजन इस्तेमाल किया जाएगा जिसकी पीक वार क्षमता 83 किलोन्यूटोंस होगी.
इसके साथ ही इस लड़ाकू विमान में एक साथ 8 लेकर 10 बीवीआर मिसाइलें ले जाने की ताकत होगी. ये ऐसी मिसाइले हैं जो बहुत दूर तक वार कर सकती है. बता दें कि अब तक किसी भी हल्के लड़ाकू विमान में चार से ज्यादा बीवीआर मिसाइल ले जाने की क्षमता नहीं है.
तेजस के एडवांस्ड वर्जन में अधिक ताकतवर इंजन लगाया जाएगा. तेजस-1 का वजन 14.5 टन था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 17.5 टन किया जाएगा. तेजस मार्क -2 में 4.5 टन पेलोड ले जाने में सक्षम होगा. जबकि इससे पहले तेजस मार्क-1 में 3.5 टन की अधिकतम पेलोड क्षमता थी.
बड़े लड़ाकू विमानों की लेगा जगह
तेजस मार्क-2 अपने पुराने वर्जन से ज्यादा बेहतर है. इस लड़ाकू विमान को बनाए जाने के बाद भारत में विदेशों से मंगाए गए जगुआर, मिराज 2000 और मिग-29 को हटा दिया जाएगा.
तेजस मार्क-2 की गति मैक 2 यानी 3457 KM प्रतिघंटा होगी तो वहीं ईंधन क्षमता 3400 किलोग्राम होगी. यह लड़ाकू विमान 50 हजार फीट की ऊंचाई तक लड़ सकेगा.
इसमें 23 मिमी की GSH-23 गन, हवा से हवा में मार करने वाली सात मिसाइलें, हवा से जमीन पर मार करने वाली चार मिसाइलें, एक एंटी रेडिएशन मिसाइल, पांच बम लगाए जा सकते हैं.
देश में बनेगा
LAC-मार्क-2 को भारतीय सेना के लिए डीआरडीओ विकसित कर रहा है. इसके बाद इसे बनाने के काम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड करेगा. LAC-मार्क-2 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के मधुसूदन राव के अनुसार इस लड़ाकू विमान का पहला प्रोटोटाइप दिसंबर 2023 तक तैयार हो जाएगा.
अभी तक जो लक्ष्य तय किया गया है उसके अनुसार ये विमान दिसंबर 2024 तक पहली उड़ान भर सकेगा. वहीं व्यापक उड़ान परीक्षणों के बाद यह परियोजना वर्ष 2027 तक पूरी होगी. सरकार ने यह भी मंजूरी दे दी है कि विमान में इस्तेमाल होने वाले इंजन प्रारंभिक विकास चरण के बाद ‘मेड इन इंडिया’ होने चाहिए.
कई देश तेजस को खरीदने में दिखा रहा है दिलचस्पी
हाल के दिनों में कई देश तेजस लड़ाकू विमान को खरीदने में दिलचस्पी दिखा चुका है. अमेरिका को दुनिया सुपर पावर मानती है, वो भी भारत के स्वदेशी फाइटर जेट तेजस में दिलचस्पी दिखा रहा है. अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस ने भी भारत के हल्के लड़ाकू विमान तेजस में दिलचस्पी दिखाई है.
बढ़ रही है देश की एक नई ताकत और ऊर्जा
बता दें कि रक्षा के क्षेत्र में जो भारत कुछ सालों पहले सिर्फ आयात कर रहा था. अब दूसरे देशों को बेचने की स्थिति में है. भारत लगातार मेड इन इंडिया अभियान के तहत हथियारों से लेकर बड़े-बड़े युद्धपोत बना रहा है.
LAC-मार्क-2 के प्रोजेक्ट की शुरुआत से पहले यानी दो सितंबर 2022 को समंदर का बाहुबली आईएनएस 'विक्रांत' भारतीय नौसेना में शामिल हो गया.
ये स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत देश की एक नई ताकत और ऊर्जा है. इस विशाल एयरक्राफ्ट के जरिए समुद्री सरहद में जल से लेकर नभ तक प्रहरी का काम किया जा रहा है.
इसके अलावा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड चीन के साथ लगती सीमाओं पर निगरानी के लिए एआई संचालित मल्टी रोल ड्रोन भी विकसित कर रहा है. ये ड्रोन दुश्मन के खतरों से निपटने में काफी हद तक मददगार होंगे
इन देशों के पास भी है हल्के फाइटर जेट
बता दें कि भारत के इस प्रोजेक्ट के पूरे होने में फिलहाल समय है लेकिन भारत से पहले अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड, चेक गणराज्य, ब्राजील, दक्षिण कोरिया, रूस, चीन, इटली और रोमानिया के पास भी हल्के फाइटर जेट्स की फ्लीट है.
तुर्की भी अपने लिए हल्के फाइटर जेट्स तैयार करवा रहा है. लेकिन सबसे आधुनिक लाइल कॉम्बैट फाइटर जेट भारतीय वायुसेना का तेजस ही है. इसकी मांग अमेरिका, अर्जेंटीना, मलेशिया जैसे कई देश कर रहे हैं.
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