स्वदेशी मिसाइल आकाश का उन्नत संस्करण बनाने की तैयारी, सेना में जल्द होगी शामिल
डीआरडीओ ने आकाश मिसाइल की अपग्रेड प्रणाली से जुड़ी पूरी जानकारी एक सील बंद तिफाफे में एमएसक्यूएए को सौंप दी. जिसके बाद जल्द ही स्वदेशी मिसाइस आकाश का उन्नत संस्करण को सेना में शामिल किया जा सकता है.
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स्वेदशी मिसाइल आकाश को अपग्रेड करने की तैयारी है. थलसेना जल्द ही इस मिसाइल के अपग्रेड सिस्टम को लांच कर सकती है. दरअसल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मिसाइल सिस्टम क्वालिटी एश्योरेंस एजेंसी (एमएसक्यूएए) को आकाश मिसाइल की शस्त्र प्रणाली से संबंधित सभी गोपनीय जानकारी सौंप दी है.
इसके बाद इस मिसाइल का परीक्षण किया जाएगा. भारत सरकार लगातार स्वदेशी हथियारों के निर्माण और उनके विकास को लेकर आगे बढ़ रही है इसी कड़ी में अब स्वदेशी मिसाइल आकाश को अपग्रेड किया जा रहा है. जिससे इसकी क्षमता बढ़ेगी और इसके बाद देश की सेना की ताकत मजबूत होगी.
हैदराबाद में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी (डीआरडीएल) में आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में डीआरडीओ के अधिकारियों ने आकाश मिसाइल की अपग्रेड प्रणाली से जुड़ी पूरी जानकारी एक सील बंद लिफाफे में एमएसक्यूएए को सौंप दी. डीआरडीओ के मुताबिक जो जानकारी एमएसक्यूएए को सौंपी गई है, उसमें शस्त्र प्रणाली से जुड़ी पूरी जानकारी मौजूद है जिसमें उसका मॉडल, परीक्षण आदि की रिपोर्ट शामिल है.
रक्षा मंत्री ने दी बधाई
इस जानकारी को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ ,भारतीय सेना और उद्योग जगत को बधाई दी. उन्होंने विश्वास जताया कि देश सेना में रक्षा सेवाओं को बढ़ाने और जरूरी प्रणाली को मजबूत करने में सफल होगा और सेना की ताकत बढ़ेगी.
इसके साथ ही इस मौके पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओं के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने प्रोजेक्ट आकाश टीम को प्रोत्साहित किया. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में डीआरडीओ और भी मिसाइलों पर काम करेगा. इसके साथ ही कई मिसाइलों के उत्पादन को लेकर काम किया जाएगा.
क्या है आकाश मिसाइल की खूबियां?
आकाश मिसाइल एक ऐसी अत्याधुनिक स्वदेशी मिसाइल है जो जमीन से हवा में मार करने की क्षमता रखती है. ये मिसाइल पिछले 1 दशक से सशस्त्र बलों के साथ भारत के आसमान की रक्षा कर रही है. अब इसके अपग्रेड सिस्टम पर काम किया जाएगा. इसके सफल परीक्षण के बाद इसका उपयोग थलसेना और वायुसेना के लिए किया जाएगा. जिसके लिए ये दोनों सेनाएं 30 हजार करोड़ रुपये खर्च करेंगी, ये मिसाइले इन सेनाओं में शामिल होंगी. जिसके बाद ये भारतीय सेनाओं के लिए किसी भी स्वदेशी मिसाइल की सबसे बड़ी खरीद भी होगी.
बता दें कि भारत लगातार आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ रहा है, कई मिसाइलों का उत्पादन कर उनका सफल परीक्षण किया जा रहा है. इस क्षेत्र में भारत ने पिछले कुछ सालों में कई बड़ी सफलताएं हासिल की हैं और ना केवल भारत अपनी सैन्य ताकत को मजबूत करने के लिए मिसाइल समेत अत्याधुनिक प्रणाली को विकसित कर रहा है बल्कि इस क्षेत्र में निर्यातक के तौर पर भी बड़ी भूमिका में उतरा है.
आसमान की रक्षा के लिए प्रमुख मिसाइलें
आकाश मिसाइल जो सतह से आकाश की रक्षा के लिए सक्षम हैं ये एक स्वदेशी मिसाइल है जिसे डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया था. ये मिसाइल 30 किलोमीटर दूर और 18 हजार मीटर ऊंचाई तक टारगेट करने में सक्षम है. इसमें लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइलें, हवा की सतह वाली मिसाइलें आदि आती हैं, जो भारतीय थल सेना और वायु सेना के पास हैं.
इसके अलावा सतह से हवा में टारगेट करने वाली मिसाइलों में त्रिशुल, बराक 8 ,पृथ्वी एयर डिफेंस , एडवांस एयर डिफेंस मिसाइलें शामिल हैं. त्रिशुल मिसाइल की जमीन से हवा में मारक क्षमता 9 किलोमीटर हैं. वहीं बराक 8 जो कि एक भारतीय-इजरायली लंबी दूरी वाली सिसाइल है जिसमें हेलीकाप्टर, एंटी शिप मिसाइल और यूएवी के साथ साथ क्रूज मिसाइल, जेट विमान शामिल हैं जो किसी भी हवाई हमले के खतरे से बचाव करती है.
इसके अलावा देश में जमीन से जमीन पर हमला करने वाली भी कई प्रमुख स्वदेशी मिसाइले हैं जिसमें पृथ्वी-1, पृथ्वी-2, पृथ्वी-3 और प्रहार जैसी कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें हैं. इसके अलावा मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें अग्नि 1, अग्नि 2, इंटरमीडिएट दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें अग्नि 3, अग्नि 4 मिसाइलें शामिल हैं.
साथ ही हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल भी भारत के पास है जिसमें अस्त्र मिसाइल है जिसे डीआरडीओ ने विकसित किया है. ये भारत की पहली ऐसी मिसाइल है जो हवा से हवा में मार कर सकती है. इसके अलावा हवा से सतह पर मार करने वाली डीआरडीओ एंटी रेडिएशन मिसाइल भी भारत के पास है जो दुश्मन के रडार और ट्रांसिमट सिग्नलों को खराब कर देती है
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