कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार के शपथ ग्रहण लेने और पद संभालते ही देश के ग्यारह राज्यों में डिप्टी सीएम हो गये थे. अभी महाराष्ट्र में महायुति की शानदार जीत के साथ ही यह अटकलें भी लगने लगीं कि अब अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, कुछ कयास इस तरह के भी थे कि फडणवीस सीएम बनेंगे और एकनाथ शिंदे को फिर से डिप्टी सीएम बनना पड़ेगा. वैसे भारतीय राजनीति में पद की परंपरा लंबी है, भले ही यह संविधान में उल्लिखित पद हो या न हो. कांग्रेस के अनुग्रह नारायण सिन्हा पहले ऐसे नेता थे, जो डिप्टी सीएम बने. उन्होंने 1946 में ही बिहार में डिप्टी सीएम का पद संभाला था. उनका निधन (1957) होने तक वह इस पद पर रहे. वह बिहार के कद्दावर नेताओं में से एक थे. उन्हें आधुनिक बिहार का निर्माता भी कहा जाता है. उनके बाद भी बिहार में कर्पूरी ठाकुर, राम जयपाल सिंह यादव, सुशील कुमार मोदी और तेजस्वी प्रसाद यादव इस पद पर बैठे.


डिप्टी सीएम का पद पारंपरिक


डिप्टी सीएम का पद दरअसल समझौतों और गठबंधन का है. राजनीतिक पार्टी इस पद पर अपने वरिष्ठ नेता को या फिर गठबंधन साझीदार के किसी नेता को बिठाती रही है. ऐसा समझा जाता है जब मुख्यमंत्री के समकक्ष ही पार्टी या गठबंधन के भीतर कोई दूसरा नेता भी होता है तो उन्हें डिप्टी पद दे दिया जाता है, साझा प्रोग्राम और समन्वय में सुविधा हो, इसके तहत डिप्टी सीएम बनाये जाते हैं.  डिप्टी सीएम को किसी अन्य कैबिनेट मंत्री के रूप में एक या दो पोर्टफोलियो मिलते हैं और मुख्यमंत्री की गैरहाजिरी में डिप्टी सीएम ही राज्य के प्रशासन के प्रमुख होते हैं. वैसे, कुल मिलाकर ये संतुलन के लिए ही किया जानेवाला काम है. यह संविधान में उल्लिखित पद नहीं है, लेकिन गठबंधनों के दौर में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं. 


सीएम बन गए डिप्टी सीएम


महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस फिलहाल डिप्टी सीएम हैं, लेकिन वे इसके पहले सीएम थे. इसी तरह कुछ और उदाहरण भी हैं. भारत में ऐसे कई मुख्यमंत्री रहे हैं, जो बाद में राजनीतिक परिस्थितियों, गठबंधन की राजनीति या पार्टी के आंतरिक समीकरणों के कारण उपमुख्यमंत्री बने. वैसे, यह विरले ही होता है, क्योंकि मुख्यमंत्री का पद सर्वोच्च होता है, और आमतौर पर उससे नीचे के पद को स्वीकार करना असामान्य माना जाता है. इसके बावजूद पार्टी हाईकमान के आदेश या गठबंधन की मजबूरी के तहत ऐसा हो सकता है. 


मुख्यमंत्री से डिप्टी मुख्यमंत्री बने प्रमुख नेता

 

देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री: 2014-2019 तक रहे, फिर अभी 2022 से अब तक डिप्टी सीएम हैं. तमिलनाडु में पनीरसेल्वम का कार्यकाल भी ऐसे ही उलटफेर वाला रहा। मुख्यमंत्री के तौर पर उनका पहला कार्यकाल: 2001-2002, दूसरा कार्यकाल: 2014-2015 तक और फिर वह डिप्टी सीएम के तौर पर 2017-2021 तक कार्यरत रहे. वह AIADMK पार्टी में सत्ता-संघर्ष के बाद उपमुख्यमंत्री बने.

बाबूलाल मरांडी (झारखंड) भी ऐसा ही नाम हैं. वह झारखंड के पहले मुख्यमंत्री थे और 2000-2003 तक इस पद पर रहे और बाद में गठबंधन की राजनीति के तहत डिप्टी सीएम भी रहे. 

 

मुख्यमंत्री से डिप्टी मुख्यमंत्री बनने के कारण

 

इसके लिए .गठबंधन की राजनीति जिम्मेदार होती है.  सरकार बनाने के लिए नेताओं को पद स्वीकार करना पड़ता है. पार्टी का आंतरिक दबाव यानी पार्टी के वरिष्ठ नेता या केंद्रीय नेतृत्व के फैसले से ऐसा होता है. सत्ता का संतुलन बनाने के लिए, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों के बीच सत्ता-साझा करने के लिए भी यह किया जाता है. हालांकि, यह संख्या सीमित है क्योंकि ज्यादातर मुख्यमंत्री पद के बाद या तो सक्रिय राजनीति छोड़ देते हैं या फिर केंद्र की राजनीति में चले जाते हैं. 

 

अब सवाल ये है कि क्या एकनाथ शिंदे का भविष्य भी ऐसा ही होनेवाला है. उनके धड़े को सीटें तो ठीकठाक मिल गयी हैं, लेकिन उन्होंने पद की दौड़ में नहीं होने की घोषणा भी कर दी है, तो ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि वे सीएम बनते हैं या डिप्टी सीएम?