पटना: केरल में गर्भवती हथिनी की निर्मम हत्या ने सभी का दिल दहला दिया था. इस मामले को लेकर लोग इतना आक्रोशित हुए थे कि खुद मुख्य मंत्री को मामले में जांच का आश्वासन देना पड़ा था. अब हाथी से ही जुड़ी एक खबर बिहार से सामने आई है, लेकिन यह घटना बेहद प्यारी है. दरअसल, बिहार में एक पशु प्रेमी ने अपनी पूरी संपत्ति दो हाथियों के नाम कर दी है. उनका कहना है कि उनमें से एक हाथी ने एक अपराधी से उनकी जान बचाई थी.


बिहार के फुलवारी शरीफ़ के जानीपुर में रहने वाले 50 वर्षीय मोहम्मद अख्तर ने मोती और रानी नाम के दो हाथियों के नाम अपनी 6.25 एकड़ ज़मीन कर दी. अख्तर कहते हैं कि उनके पास पारिवारिक विरासत के रूप में हाथी आए थे और ये मोती और रानी उन्हीं के बच्चे हैं.


मैंने दोनों हाथियों को अपनी 6.25 एकड़ जमीन दी- अख्तर


न्यूज एजेंसी IANS से बातचीत में उन्होंने कहा कि बचपन से ही मैं इन हाथियों के साथ रहा हूं. ये दोनों मेरे परिवार के सदस्य जैसे हैं. मैंने दोनों हाथियों को अपनी 6.25 एकड़ जमीन दी है ताकि जब मैं जीवित न रहूं तो उन्हें भूख से कुछ न हो.


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अख्तर एशियन एलिफेंट रिहैबिलिटेशन एंड वाइल्डलाइफ एनिमल ट्रस्ट (AERAWAT) के प्रमुख हैं.


इस तरह हाथी ने बचाई थी अख्तर की जान 


अख्तर ने आगे बताया कि किस तरह मोती ने एक अपराधी से उनकी जान बचाई थी. उन्होंने कहा कि मोती भोजपुर जिले के शाहपुर क्षेत्र में एक महावत के साथ गया था, जहाँ वह बीमार पड़ गया. मुझे उसके इलाज के लिए वहां जाना पड़ा. एक दिन मैं जब सो रहा था तो मोती की दहाड़ से मैं जाग गया. मैंने देखा कि एक शख्स मेरी तरफ बंदूक लिए था. मैं वहां से अपनी जान बचाकर भाग गया.


उन्होंने आरोप लगाया कि उनके ही परिवार के कुछ सदस्यों ने पशु तस्करों से हाथ मिला लिया था और हाथी को मारकर उन्हें बेचने की कोशिश कर रहे थे। अख्तर ने आगे बताया कि उन्हें अभी भी अपने ही परिवार के सदस्यों से अपनी जान का खतरा है, क्योंकि उन्होंने दोनों हाथियों के नाम अपनी ज़मीन की है. उन्होंने चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन और पटना पुलिस प्रमुख को पत्र लिखकर अपने परिवार के सदस्यों से उनकी जान को खतरा होने का आरोप लगाया है।


'वह दिन दूर नहीं जब हम हाथियों को केवल किताबों में देखेंगे'


अख्तर का कहना है कि अगर सरकार हाथी की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप नहीं करती है तो वो समय दूर नहीं है, जब हम हाथी को केवल किताबों में देखेंगे. हाथी भोजन की तलाश में अक्सर गांवो की ओर जाते हैं.


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