नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को लोकसभा में वायु प्रदूषण का मुद्दा उठा. इस पर सत्तारूढ़ बीजेपी से लेकर विपक्ष के नेताओं ने अपनी बात रखी. सांसदों ने गाड़ियों से निकलने वाले धुंए को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया. इस दौरान लोकसभा में जब टीएमसी की सांसद काकोली घोष दस्तीदार बोलने के लिए खड़ी हुईं तो उन्हें चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था.


पश्चिम बंगाल के बारासात लोकसभा सीट से काकोली सांसद हैं. उन्होंने लोकसभा में कहा, ''दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में नौ भारत में हैं. यह हत्तोसाहित करने वाला है कि जब एक विदेशी प्रीमियर भारत की यात्रा पर थे तो उन्होंने इसपर एक प्रतिकूल टिप्पणी की थी. मैं सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहूंगी.''





काकोली घोष ने आगे कहा, ''जब हमारे पास स्वच्छ भारत अभियान है तो क्या हमारे पास स्वच्छ हवा अभियान नहीं हो सकता. क्या हमें साफ हवा में सांस लेने का अधिकार सुनिश्चित नहीं किया जाना चाहिए. हो सकता है कि दिल्ली में हम मास एस्फिक्सिया की स्थिति में देख रहे होंगे.''


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उधर कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण को लेकर हमेशा पड़ोसी राज्यों के किसानों के पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता है. ये दावे गलत हैं. उन्होंने कहा कि पराली जलाना गलत है लेकिन किसानों की आर्थिक सीमाएं हैं और सरकार को इस तरफ ध्यान देना होगा.उन्होंने कहा कि दिल्ली में जहरीली हवा के लिए 41 फीसदी हिस्सेदारी गाड़ियों से निकलने वाले धुएं की हैं. वहीं बीजेडी के पिनाकी मिश्रा ने कहा, ''मैंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि प्रदूषण के मुद्दे को भी उन्हें अपने हाथ में लेना होगा. बिना नेतृत्व के समाधान नहीं निकल सकता.’’


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वहीं बीजेपी के प्रवेश वर्मा ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विज्ञापनों पर 600 करोड़ रुपये खर्च कर पराली-पराली चिल्ला रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि केजरीवाल सरकार ने ऑड ईवन के विज्ञापनों पर 70 करोड़ रुपये खर्च किए और पिछले पांच सालों में एक भी बस नहीं खरीदी.


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