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प्रदूषण पर एनजीटी में सुनवाई: एक क्लिक में पढ़ें सवाल, जवाब, सुझाव और दलील
एनजीटी ने कहा कि अगर माना भी जाये कि मौसम के आगे कोई कुछ नहीं कर सकता पर क्या इसको लेकर पहले से ही जागरूकता नहीं हो सकती? जब पता है कि ऐसा हो सकता है कुछ दिनों पहले से ही इसकी तैयारी नहीं होनी चाहिए थी.
नई दिल्ली: दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण के मुद्दे पर एनजीटी में सुनवाई हुई. एनजीटी ने दिल्ली समेत पूरे एनसीआर के गैस चैम्बर बनने पर सम्बंधित विभागों और अधिकारियों से जवाब मांगा.
एनजीटी के सवाल
सुनवाई के दौरान एनजीटी ने सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से पूछा कि जब हमको पता है कि हर साल इस मौसम में इस तरह के हालात बनते हैं तो आखिर हम क्यों नहीं इसको रोकने के लिए पहले से तैयारी करते. क्यों जब ऐसे हालात बन जाते हैं उसके बाद आनन-फानन में कार्रवाई करने का एलान करते हैं?
एनजीटी ने कहा कि अगर माना भी जाये कि मौसम के आगे कोई कुछ नहीं कर सकता पर क्या इसको लेकर पहले से ही जागरूकता नहीं हो सकती? जब पता है कि ऐसा हो सकता है कुछ दिनों पहले से ही इसकी तैयारी नहीं होनी चाहिए थी. ज्यादा कुछ नहीं तो अगर आप लोग पहले से इतना ही बता सकें की 3 दिन या 4 दिन ऐसे हालात हो सकते हैं तो क्या हम पहले से ही लोगों को जागरूक नहीं कर सकते? जिससे कि जो कदम बाद में उठाये जाते हैं वो पहले उठाये जा सकें.
सीपीसीबी के जवाब
एनजीटी के सवाल के जवाब में सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से पेश हो रहे अधिकारी ने कहा कि सुनवाई के दौरान कि हम पंजाब और हरियाणा से लगातार पराली जलाने के मुद्दे पर बात कर रहे हैं, लगातार बैठक कर रहे हैं. 1151 करोड़ और 40,000 मशीन पिछले साल और 50,000 मशीन इस साल दी गईं. अगर यह मान भी लें कि दिल्ली में 40 फीसदी प्रदूषण पराली जलाने की वजह से हुआ है फिर भी 60% अभी भी दिल्ली का अपना प्रदूषण है. जिसका एक बड़ा कारण इंडस्ट्रियल पॉल्युशन और डस्ट है. हालांकि इसको रोकने को लेकर भी कदम उठाए गए हैं. रही बात दिल्ली के पड़ोसी राज्यों की तो हरियाणा और यूपी में पराली की घटनाओं में काफी कमी आयी है पर पंजाब में अभी भी काफी काम होना बाकी है.
एनजीटी का सुझाव
इस पर एनजीटी ने कहा कि हम ये नहीं कह रहे कि आप सबको जेल भेज दीजिये पर जागरूक तो कीजिये.पर क्या आप जो लोग बार बार समझाने के बाद भी नहीं मान रहे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं कर सकते? एनजीटी ने इसके साथ ही सुझाव देते हुए कहा कि आप लोगों को उन लोगों का भी ध्यान रखना चाहिए जो मज़दूरी कर अपना पेट भरते हैं. तो क्यों नहीं सरकार इस पर विचार करती की इन मज़दूरों को पैसा दें लेबर फण्ड से और इनको पराली हटाने के लिए इतेमाल करें.
दिल्ली सरकार की दलील
इसके बाद दिल्ली के मुख्य सचिव ने एनजीटी को बताया कि हमने काफी कदम उठाए हैं पर हर साल इस तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ता है. अब समीर ऐप भी बनाया गया है जिस पर लोग अपनी शिकायत भेज सकते है. इसके साथ ही कोशिश की जा रही है कि दिल्ली में प्रदूषण के जो स्थानीय कारण हैं उनमें भी कमी लायी जा सके.
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तहसीन मुनव्वरवरिष्ठ पत्रकार
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