नई दिल्लीः आय और व्यय के उस ब्यौरे का नाम बजट है जिसके तहत सरकार ये तय करती है कि आने वाले साल के लिए देश के विकास से जुड़ी किन चीजों पर खर्च करना है और उन खर्चों के लिए धन की व्यवस्था कैसे करनी है. हर साल बजट एक निश्चित अवधि के लिए बनाया जाता है. केंद्र सरकार अपना बजट हरेक वित्त वर्ष यानी चालू कारोबारी साल के लिए बनाती है. देश के विकास को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए सरकार द्वारा बजट बनाया जाता है जिससे आमदनी और खर्चों का हिसाब रखा जा सके.
मौजूदा केंद्र सरकार ने ब्रिटिश काल से चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए इस वित्त वर्ष का बजट 1 फरवरी को पेश किया था जबकि इससे पहले बजट फरवरी महीने के आखिर में पेश किया जाता था. पिछले रेलवे बजट को आम बजट में मिलाया गया था.
क्या असर डालता है बजट
बजट अर्थव्यवस्था, ब्याज दरों और शेयर बाजार पर असर डालता है. वित्त मंत्री पैसे को कैसे खर्च और निवेश करेंगे ये वित्तीय घाटे पर असर डालता है. वित्तीय घाटे की सीमा और इसपर खर्च करने के लिए लगे पैसे से अर्थव्यवस्था में पूंजी की आपूर्ति और ब्याज दरों पर असर पड़ता है. ऊंची ब्याज दरों का मतलब इंडस्ट्री को पूंजी प्राप्त करने के लिए ज्यादा कीमत देनी होगी जिससे मुनाफा कम होगा और शेयर कीमतें नीचे आएंगी.
क्यों खास है इस साल का बजट
इस साल (2018-19 का बजट) इसलिए खास है क्योंकि जीएसटी लागू होने के बाद ये देश का पहला बजट होगा. इसके अलावा ये बजट मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा. क्योंकि इसके अगले साल यानि 2019 में चुनाव होंगे इसलिए उस साल परंपरा के मुताबिक अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा.