जम्मू-कश्मीर और लद्दाख स्कूल शिक्षा विभाग की अनोखी पहल, छात्रों के लिए शुरू की 'एक्टिविटी करो ना' प्रतियोगिता
एक्टिविटी करो ना के मंच पर भेजी गयी सभी प्रविष्टियों को लॉकडाउन के दौरान ही दिखाया जाएगा और विजेताओं को पुरस्कृत भी किया जायेगा. इस मंच के तहत जम्मू, कश्मीर और लदाख के 3 से 15 साल तक के स्कूली बच्चों को शामिल किया जाएगा.
जम्मू: कोरोना वायरस को हराने के लिए जारी लॉकडाउन का असर जहां एक तरफ देश की अर्थव्ययस्था पर पड़ा है. वहीं इसका असर युवाओं की पढ़ाई और उनकी भविष्य की सम्भावनाओं पर भी पड़ रहा है युवाओं और खास तौर पर छात्रों को इस लॉकडाउन के दौरान रचनात्मक कार्यो में व्यस्त रखने के लिए जम्मू-कश्मीर और लदाख के स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश की लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के साथ मिल कर एक अनोखी पहल की है.
जम्मू-कश्मीर स्कूल शिक्षा विभाग की मानें तो लॉकडाउन के चलते छात्रों के शैक्षणिक कार्यक्रम पर असर पड़ा है. मौजूदा लॉकडाउन और अनिश्चितता के माहौल के बीच केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के स्कूली शिक्षा विभाग और लीगल सर्विसेज अथॉरिटी ने स्कूली बच्चों के लिए एक रचनात्मक गतिविधियों के एक मंच "एक्टिविटी करो ना" की शुरुआत की है.
इस मंच को बनाने का मक़सद दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के युवाओं और स्कूलों छात्रों के दिमाग को प्रोत्साहित करने के अलावा उन्हें अपने रचनात्मक कौशल को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक सोच बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करना है. इस मंच के तहत जम्मू, कश्मीर और लदाख के 3 से 15 साल तक के स्कूली बच्चों को अलग अलग ऑनलाइन प्रतियोगिताओ में शामिल किया जायेगा.
"एक्टिविटी करो ना" के इस ऑनलाइन मंच पर 3 से 6 साल के छात्र अपने कलात्मक कौशल का प्रदर्शन कर पेंटिंग बना कर या पृथ्वी को बचाने के विषय पर कविता लिख सकते हैं. वहीं, इस मंच पर 7 से 10 साल तक के छात्र पोस्टर बना कर या लॉकडाउन के फायदे बताते हुए 300 शब्दों की एक छोटी कहानी या स्लोगन लिख सकते हैं. वहीं, 11 से 15 साल तक के छात्र हमारी समग्र संस्कृति की समृद्ध विरासत के संरक्षण पर फोटोग्राफी, स्लोगन का आर्टिकल लिख सकते हैं.
जम्मू के दोमाना के गवर्नमेंट मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल में कार्यरत वोकेशनल ट्रेनर महक आनंद के मुताबिक सरकार द्वारा शुरू किये गए इस ऑनलाइन मंच को लेकर उनके छात्र काफी उत्त्साहित हैं. उनके मुताबिक वो लॉकडाउन के दौरान यह कोशिश कर रही है कि अधिक से अधिक छात्रों को इस मंच के द्वारा रचनात्मक गतिविधियों में शामिल किया जा सके ताकि उनके रचनात्मक कौशल को बढ़ाया जा सके. उन्होंने कहा कि जम्मू में इंटरनेट पर लगी बंदिशों के बावजूद छात्र और उनके अभिभावक इस पहल में जुड़ रहे हैं.
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