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Stamp Duty: यूपी में खेती की जमीन पर स्टांप ड्यूटी खत्म करने की तैयारी, जानिए इसका क्या होगा असर?

Stamp Duty in UP: स्टांप ड्यूटी राज्य सरकार की तरफ संपत्ति या संपत्ति के स्वामित्व की बिक्री पर लगाया गया कर है. ये नियम भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की धारा 3 के तहत काम करती है.

यूपी के ग्रामीण इलाकों में निवेश करने वालों के लिए एक अच्छी खबर है. दरअसल राजस्व विभाग ने शासन को खेती की जमीन पर स्टांप ड्यूटी खत्म करने का प्रस्ताव भेजा है. इसके तहत अब यूपी के ग्रामीण इलाकों में अगर आप खेती की जमीन पर खरीदते हैं और इसका इस्तेमाल मकान बनाने, या किसी भी तरह के बिजनेस में करते हैं तो अब आपको एक प्रतिशत स्टांप ड्यूटी देने की जरूरत नहीं होगी. 

कैबिनेट से प्रस्ताव को मंजूरी मिली तो वैश्विक निवेशक सम्मेलन के जरिये यूपी में निवेश करार करने वाले निवेशकों को भी इससे बड़ी राहत मिलेगी. एक प्रतिशत स्टांप ड्यूटी खत्म होने से निवेशकों को लाखों रुपए का फायदा होगा. 

मौजूदा नियम और सरकार की कोशिशें 

राज्य सरकार अभी से निवेशकों को यूनिट स्थापित करने के लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध कराने की कोशिशें कर रही है. फिलहाल उद्यमियों को अपनी औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए कृषि भूमि को व्यावसायिक इस्तेमाल में बदलवाना पड़ता है.

इसमें उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 80 के तहत उप जिलाधिकारी कार्यालय में भूमि की कुल सर्किल रेट का एक प्रतिशत पंजीकरण शुल्क (कोर्ट फीस) राजस्व विभाग को देना पड़ता है. यानी उप जिलाधिकारी कार्यालय में एक प्रतिशत स्टांप ड्यूटी अदा करना पड़ता है. 

अब इसी टैक्स को खत्म करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. इस प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट में पेश किया जाएगा. कैबिनेट से मंजूरी मिलने पर भू उपयोग परिवर्तन के लिए भूमि की कुल सर्किल रेट एक प्रतिशत पंजीकरण शुल्क (कोर्ट फीस) अदा करनी होगी. 

यूपी में नवंबर 2021 से फरवरी 2022 तक रेरा में 116 प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड हुए हैं. यह नंबर यूपी में रियल स्टेट कारोबार पटरी पर लौटने के संकेत है. यानी लोग प्रापर्टी में निवेश कर रहे हैं. वहीं यूपी रेरा की रिपोर्ट ये भी बताती है कि अब बिल्डर्स का रुझान एनसीआर की जगह नॉन एनसीआर शहरों की तरफ बढ़ा है. नवंबर 2021 से फरवरी 2022 तक यूपी रेरा में 116 प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड हुए हैं.

नोएडा-ग्रेटर नोएडा में जमीन करोबार से जुड़े एक संचालक का कहना था कि बीते 3-4 साल में जमीन इतनी महंगी हो गई है कि मुनाफा कमाना मुश्किल हो गया है. जमीन खरीदते ही फ्लैट, प्लाट और विला की कॉस्ट निकलकर आ जाती है. लेकिन आजकल नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों में 2 बीएचके फ्लैट की शुरुआत हुई है. जबकि कस्टमर इतना खर्च नहीं करना चाहता है. उसे चाहिए 22 से 25 लाख रुपये में. ऐसे में अगर स्टांप ड्यूटी खत्म हो जाए तो राहत जरूर मिलेगी. 

सबसे पहले डिटेल में समझिए स्टाम्प ड्यूटी

एक घर खरीदना सबसे बड़ा वित्तीय फैसला होता है. जो हर कोई अपने जीवन में जरूर करना चाहता है. घर खरीदते समय जमीन चुनना, डाउन पेमेंट करना, लोन के लिए आवेदन, बिक्री समझौते पर हस्ताक्षर वगैरह की जरूरत होती है. लेकिन घर खरीदते समय सबसे जरूरी अंतिम समय में किया गया पंजीकरण होता है. यानी घर पर मालिकाना हक के लिए कानूनी सबूत . 

इसके लिए आपको स्थानीय नगरपालिका रिकॉर्ड में अपने नाम पर संपत्ति पंजीकृत करानी होती है.  जिसमें जमीन बेचने वाला कागज पर ये लिखता है कि संपत्ति आपको सौंपी की जा रही है. पंजीकरण के समय, आपको एक स्टांप ड्यूटी का भी भुगतान करना होता है जो संपत्ति के लेनदेन पर लगाया जाने वाला एक सरकारी कर है. 

स्टांप ड्यूटी राज्य सरकार की तरफ संपत्ति या संपत्ति के स्वामित्व की बिक्री पर लगाया गया कर है.  ये नियम भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 की धारा 3 के तहत काम करती है.  स्टांप ड्यूटी राज्य या क्षेत्र के आधार पर अलग-अलग होती है. स्टांप ड्यूटी का भूगतान हमेशा एक बार में पूरा करना होना है. नहीं तो इस पर जुर्माना लगता है.

यानी ये एक तरह का कानूनी दस्तावेज है जिसे अदालत में सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.  इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि स्टांप ड्यूटी एक कानूनी कर है जो पूर्ण रूप से यानी एक बार में पूरा अदा करना होता है और किसी संपत्ति की किसी भी बिक्री या खरीद के लिए एक सबूत के रूप में काम करता है.  

स्टांप ड्यूटी की लेवी राज्य का विषय है और इस तरह स्टांप ड्यूटी की दरें अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होती हैं. भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 की धारा 3 के तहत स्टांप शुल्क देना जरूरी है. राज्य का विषय होने की वजह से ही यूपी सरकार ने इसे खत्म करने का फैसला लिया है.

बंगाल सरकार ने स्टाम्प ड्यूटी को लेकर किया था ये फैसला

पश्चिम बंगाल सरकार ने  स्टांप ड्यूटी और सर्कल रेट पर छूट को 30 सितंबर, 2023 तक छह महीने बढ़ाने का फैसला सुनाया था. इससे राज्य के रियल एस्टेट बाजार में उछाल आने की संभावना है.

पश्चिम बंगाल की वित्त राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बंगाल का बजट 2023-24 पेश करते हुए कहा था कि स्टांप शुल्क में दो प्रतिशत की कटौती और जमीन और संपत्ति पर सर्किल रेट पर 10 प्रतिशत की छूट दी गई थी,  जो 31 मार्च, 2023 तक वैध थी. इस छूट को छह महीने बढ़ाकर 30 सितंबर 2023 तक कर दिया गया है. 

इससे होने वाले फायदे को समझिए

राज्य सरकार ने महामारी की वजह से कटौती की घोषणा की थी जिसका मकसद कोरोना के बाद आवास क्षेत्र को लगे झटके को कम करना था. इस फैसले से जुलाई 2021 और दिसंबर 2022 के बीच छोटे फ्लैट धारकों द्वारा पंजीकरण की संख्या 34,44,070 तक पहुंच गई है. 

यूपी में भी एक प्रतिशत स्टांप ड्यूटी खत्म कराने के फैसले से निवेशकों को पैसों की बजट का फायदा तो होगा ही , यूपी में जमीन में निवेश भी बढ़ सकता है. स्टांप ड्यूटी में कटौती से लंबी परियोजनाओं के लिए जमीन की खरीद भी बढ़ेगी. इसके अलावा, राज्य सरकार को जमीन बिक्री से अतिरिक्त राजस्व  भी मिलेगा.

बता दें कि राजस्व का बड़ा हिस्सा अपार्टमेंट के पंजीकरण से आता है. स्टांप शुल्क में कटौती से राज्य में आर्थिक फायदा बढ़ेगा. ज्यादा से ज्यादा लोग जमीन खरीदेंगे उनके पास अपनी जमीन होगी . 

रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन नारेडको के चेयरमैन राजीव तलवार ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सभी राज्यों को स्टांप ड्यूटी में कटौती कर के इसे घटाकर आधा करने की जरूरत है. राजीव तलवार हाल ही में सबसे बड़ी रीयल्टी कंपनी डीएलएफ के सीईओ पद से रिटायर हुए हैं.तलवार ने कहा कि महाराष्ट्र के कई डेवलपरों ने अपने ग्राहकों की ओर से कम स्टांप शुल्क का भुगतान किया. 

वहीं भारतीय अर्बन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (आवासीय) अश्विनदर आर सिंह ने कहा था कि स्टांप शुल्क कम करने के बाद इस साल की दूसरी छमाही में बिक्री में तेजी आने की संभावना है. महाराष्ट्र और कुछ दूसरे राज्यों में स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क कम करने के बाद किफायती घरों की बिक्री में बढ़ोत्तरी देखी गई है, राज्यों में रियल एस्टेट डेवलपर्स ने आगामी राज्य बजट में स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क में कमी की मांग की है. 

गुजरात में भी राज्य सरकार संपत्ति लेनदेन के लिए पंजीकरण शुल्क के रूप में 4.90% स्टांप शुल्क और अतिरिक्त 1% वसूलती है. क्रेडाई गुजरात के चेयरपर्सन और प्रमुख रियल एस्टेट डेवलपर अजय पटेल के  कहना है कि , "हमें उम्मीद है कि राज्य सरकार आवासीय संपत्तियों पर स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क को कम करने की हमारी लंबे समय से लंबित मांग को स्वीकार करेगी.

कई मामलों में खरीदार स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का भुगतान करने के लिए अतिरिक्त ऋण लेते हैं, जिससे उन्हें आगे चल कर नुकसान होता है. 

गुजरात मुख्यमंत्री के वर्तमान सलाहकार और पूर्व केंद्रीय राजस्व सचिव हसमुख अधिया (सेवानिवृत्त आईएएस) की अध्यक्षता में आर्थिक गतिविधियों पर काम करने वाली एक विशेषज्ञ समिति ने भीआवास की मांग को बढ़ावा देने के लिए स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क को कम करने की भी सिफारिश की है. 

स्टांप ड्यूटी में कटौती की मांगों और इससे होने वाले फायदे को देखते हुए गुजरात सरकार डेवलपर या किफायती आवास की कैटेगरी में आने वाली जमीनों की बिक्री में  सभी आवासीय इकाइयों की खरीद पर स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क को 50% तक कम कर सकती है. 

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