समरकंद में हुए शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन (SC0) में एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की धमक देखने को मिली है.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी SCO की बैठक में हिस्सा लेने के लिए सबसे देर से पहुंचे थे. 


और पीएम मोदी ने डिनर और पौधे रोपने जैसे कार्यक्रमों में बाकी नेताओं की तरह हिस्सा नहीं लिया. यह भारत की कूटनीतिक चाल थी.


क्यों इन कार्यक्रमों चीन-रूस-ईरान जो कि अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मन हैं, के नेता भी साथ होते. साथ भारत के सबसे बड़े दुश्मन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी इसमें शामिल थे. 


भारत नहीं चाहता था कि अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मनों के साथ नजर आए दूसरी ओर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ फोटो खिंचवाकर घरेलू राजनीति में विपक्ष के हाथ मुद्दा भी नहीं लगने दिया.


एससीओ मंच पर अपनी हनक चलाने की कोशिश कर रहे चीन को भी पीएम मोदी ने खास तवज्जो नहीं दिया और इस दौरान शी जिनपिंग और पीएम मोदी की कोई भी फोटो  साथ में नहीं आई. हालांकि इस दौरान कांग्रेस ने तंज भी कसा की पीएम मोदी की 'लाल आंखें' नहीं दिख रही हैं.


 



 


समरकंद में भारत ने चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया है. डोकलाम विवाद की वाली गलती इस बार पीएम मोदी ने नहीं की है. साल 2017 में जब चीन डोकलाम हड़पने की कोशिश में था उसी समय चीन के राष्ट्रपति का पीएम मोदी गुजरात में स्वागत कर रहे थे. जिस पर काफी आलोचना हुई थी. 


लेकिन गलवान विवाद के बाद भारत ने ढुलमुल विदेश नीति नहीं दिखाई है और कूटनीति से लेकर सैन्य स्तर तक चीन को करारा जवाब मिला है. ऐसे में जब एलएसी के कुछ प्वाइंट पर दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने की खबरें तो भी भारत ने चीन इस गलतफहमी में नहीं रखा कि वह इससे खुश हो जाएगा.


बात करें रूस की तो यूक्रेन के युद्ध के समय से अमेरिका और पश्चिमी देश भारत पर दबाव डाल रहे थे कि वह रूस की निंदा करे. लेकिन भारतीय विदेश मंत्री ने साफ कह दिया कि पश्चिमी देश ये न समझें कि उनकी समस्या पूरी दुनिया की समस्या है. इसके साथ ही अमेरिका को जवाब दिया कि चीन के साथ जो भी विवाद हैं वो उनको खुद हैंडल करने में सक्षम है. 


लेकिन एससीओ सम्मेलन में रूस और पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियों पर भारतीय पीएम ने राष्ट्रपति पुतिन पर आंखे टेढ़ी करते हुए नसीहत दे डाली कि यह युग युद्ध का नहीं है. पीएम मोदी ने रूस को यह नसीहत यूक्रेन पर उसके हमले को लेकर दी थी. इस पर रूस के राष्ट्रपति  पुतिन ने सधा हुआ जवाब दिया कि वह भारत की चिंताओं को समझते हैं और जल्द ही इस जंग को खत्म करेंगे. 


पुतिन ने कहा,  ' यूक्रेन को लेकर हम आपके रुख को समझते हैं, हम आपकी चिंताओं से वाकिफ हैं. हम भी इसको जल्द से जल्द खत्म करना चाहते हैं. हम आपको जानकारी देते रहेंगे'. बता दें कि चीन ने भी रूस से इसको लेकर सवाल उठाए हैं'.


दूसरी ओर चीन और रूस को लेकर पीएम मोदी के रुख को देखकर अमेरिकी मीडिया में जमकर तारीफ हो रही है. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले अमेरिका को सुनाई गई खरी-खोटी से चीन का मीडिया भी पीएम मोदी की तारीफ कर रहा था. 


अमेरिका की मुख्य मीडिया में पीएम मोदी के उस बयान की तारीफ हो रही है जिसमें वो पुतिन से कहते हैं कि यह समय युद्ध का नहीं है. वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा ' यूक्रेन हमले पर पीएम मोदी ने पुतिन को डपटा.' अखबार ने आगे लिखा कि रूस के राष्ट्रपति पर चारो ओर से दबाव बढ़ रहा है.




वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा,' भारतीय नेता ने पुतिन से कहा यह युग युद्ध का नहीं है'. अखबार ने लिखा कि पीएम मोदी के बोलने से पहले ही रूस के राष्ट्रपति ने उनसे कहा कि वह यूक्रेन युद्ध को लेकर उनकी चिंताओं को समझते हैं.'


बता दें कि साल 2023 भारतीय विदेश नीति के लिए अहम साबित होने वाला है. क्योंकि इस साल बतौर अध्यक्ष भारत जी-20 देशों की मेजबानी करेगा और इसी साल शंघाई सहयोग संगठन की बैठक भी दिल्ली में ही होने जा रही है. इसके साथ ही जी-7 में भी भारत के एंट्री की संभावना बढ़ रही है. 


दुनिया की चिंता लेकिन अपना हित सबसे ऊपर
भारत की विदेश नीति में स्वतंत्र के साथ-साथ खुद के हितों को तवज्जो देने पर भी केंद्रित हो गई है. एक ओर वह एससीओ का हिस्सा है जिसे अमेरिका विरोधी मंच माना जाता है. दूसरी ओर वह क्वाड का भी हिस्सा जिसे चीन विरोधी कहा जाता है. वहीं भारत जी-20 समूह का भी अहम सदस्य है जिसमें चीन और अमेरिका दोनों शामिल हैं.