मालदीव में हुए राष्ट्रपति चुनाव में ‘इंडिया आउट’ का नारा देने वाले मोहम्मद मोइज्जू की जीत हो गई है. वहीं, पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह ने अपनी हार को स्वीकार कर लिया है.


मोहम्मद मोइज्जू चीन समर्थक माने जाते हैं जबकि मोहम्मद सोलिह के राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान मालदीव के भारत से रिश्ते काफी मजबूत हुए थे.


राजनीतिक कारणों से भारत और चीन दोनों की नजर खासतौर पर मालदीव चुनाव पर टिकी हुई थी. अब जहां मोहम्मद मोइज्जु ने चुनाव में जीत हासिल कर ली है वहीं मालदीव में भारत के विरोध में बहुत कुछ हो सकता है और मालदीव का पूरा झुकाव चीन की ओर जा सकता है.


मालदीव चुनाव में कैसे मिली मोहम्मद मोइज्जू को जीत? 
सितंबर की शुरुआत में पहले दौर के मतदान में न तो मुइज और न ही सोलिह को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे. 


सोलिह 2018 में राष्ट्रपति पद पर चुने जाने वाले सोलिह पर मुइज ने आरोप लगाया था कि उन्होंने भारत को देश में अनियंत्रित उपस्थिति की परमिशन दी थी.


इस पर सोलिह ने कहा था कि मालदीव में भारतीय सेना की उपस्थिति केवल दोनों सरकारों के बीच एक समझौते के तहत एक गोदी का निर्माण करने के लिए थी और उनके देश की संप्रभुता का उल्लंघन नहीं किया जाएगा.


मुइज ने वादा किया था कि अगर वो राष्ट्रपति पद जीत गए, तो वो मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटा देंगे. वो देश के व्यापार संबंधों को संतुलित करेंगे. उन्होंने कहा था कि ये काफी हद तक भारत के पक्ष में है.


हालांकि अब मालदीव चुनाव को मोहम्मद मोइज्जू ने 54 प्रतिशत वोट्स पाकर जीत लिया है. अब 17 नवंबर को उनका शपथ ग्रहण समारोह होना है जिसमें मोहम्मद मोइज्जू राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे.


इस वक्त तक मोहम्मद सोलिह ही कार्यकारी राष्ट्रपति का पद संभालेंगे. निवर्तमान राष्ट्रपति मोहम्मद सोलिह को भारत के समर्थक को तौर पर देखा जाता रहा है. उनके कार्यकाल में मालदीव के रिश्ते भारत के साथ काफी अच्छे रहे हैं.


ऐसे में चीन समर्थक और 'इंडिया आउट' का नारा देकर सत्ता में आए मोहम्मद मोइज्जू के आने से कहीं न कहीं भारत के साथ मालदीव के रिश्तों पर भी इसका असर दिख सकता है.
 
मालदीव से रिश्ते बनाकर हिंद महासागर पर नजर रखता था भारत
61 साल के मोहम्मद सोलिह 2018 से मालदीव के राष्ट्रपति हैं. वो 'इंडिया फर्स्ट' यानी भारत पहले का नारा देकर मालदीव की सत्ता में आए थे.


ऐसे में काफी समय से भारत और मालदीव के सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध अच्छे रहे हैं.


माना ये भी जाता था कि भारत मालदीव के साथ अपने रिश्ते अच्छे रख मालदीव के जरिए हिंद महासागर के एक बड़े क्षेत्र पर निगरानी रखता आ रहा है.


चीन के लिए मालदीव क्यों है जरूरी?
मोहम्मद मोइज्जू चीन को प्राथमिकता देते हुए सत्ता में आए हैं. 45 वर्षीय मोहम्मद मोइज्जू ने हमेशा चीन से बेहतर रिश्तों का पक्ष लिया है.


ऐसे में हिंद महासागर में मालदीव की लोकेशन रणनीतिक रूप से बेहद अच्छी है. चीन काफी समय से अपनी नौसेना को भी बढ़ा रहा है.


यदि चीन मालदीव से अच्छे रिश्ते बनाने में कामयाब रहता है तो भारत की जगह वो हिंद महासागर पर निगरानी बढ़ा सकता है जो भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है.


भारत हमेशा से मालदीव पर चीन के प्रभाव को सीमित करने का प्रयास करता आया है. ऐसे में खाड़ी देशों में तेल का निर्यात यहीं से होकर गुजरता है. चीन इसे भी कहीं न कहीं सुरक्षित करने का प्रयास करेगा.


साल 2021 में मालदीव के डिफेंस ऑफिसर ने ये खुलासा किया था कि भारत के 75 सैन्य अधिकारी मालदीव में रहते हैं और भारतीय एयरक्राफ्ट का संचालन और रखरखाव करते हैं.


बता दें, भारत ने चीन को बीते दस सालों में दो हेलीकॉप्टर और एक छोटा विमान दिया है.


कहां से आते हैं मोहम्मद मोइज्जू?
मोहम्मद मोइज्जू का जन्म साल 1978 में हुआ था. उन्होंने ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स से सिविल इंजीनियरिंग में पीएचडी की है. 2012 में राजनीति में आने वाले मोहम्मद मोइज्जू को मंत्री पद दिया गया था.


मोहम्मद मोइज्जू के पास उस वक्त भी मंत्रालय बरकरार रहा जब यामीन सत्ता में आए थे. उन्होंने कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम किया जिसमें 20 करोड़ डॉलर की लागत से बना ब्रिज भी शामिल था.


वहीं साल 2021 में उन्होंने मेयर चुनाव में जीत हासिल की. ये पहली बार था जब मेयर चुनाव में पीपीएम ने जीत हासिल की थी.


क्यों दिया 'इंडिया आउट' का नारा?
मेयर चुनाव के बाद से ही मालदीव में विपक्ष ने इंडिया आउट का अभियान शुरू कर दिया था और भारतीय सैनिकों को मालदीव से निकालने की मांग करने लगे थे.


इब्राहिम सोलिह से पहले जब प्रोग्रेसिव पार्टी यानी पीपीएम के अब्दुल्लाह यामीन मालदीव के राष्ट्रपति थे उस वक्त भी मालदीव के रिश्ते चीन से काफी अच्छे हुए थे.


उस वक्त मालदीव चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' का भी हिस्सा बना था.


फिलहाल अब्दुल्लाह यामीन भ्रष्टाचार के आरोप में जेल की सजा काट रहे हैं. आरोप सिद्ध होने के बाद उन्हें 11 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी जिसके बाद चुनाव लड़ने की भी रोक हैं.


अब मोहम्मद मोइज्जू की जीत के बाद उनके समर्थकों में भारी उत्साह देखा जा रहा है. उनके घर के बाहर काफी खुशनुमा माहौल है.


मालदीव में भारत ने किया कितना निवेश?
मालदीव से अच्छे संबंधों के दौरान भारत ने वहां दो अरब डॉलर की सहायता देने की पेशकश की थी. जिसे स्वीकार नहीं किया गया.


आलोचकों की मानें तो मालदीव के लोग भारत के इरादों को संदेह की नजर से देखते हैं. वहां के लोगों का ये भी मानना है कि भारत की मौजूदगी वहां इनडायरेक्टली मौजूद है.


इसके अलावा भारतीय अधिकारियों के अनुसार, जनवरी 2020 में भारत द्वारा मालदीव में खसरे के टीके की 30,000 खुराक तुरंत भेजी गई थी.


साथ ही कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने मालदीव को काफी जल्दी व्यापक सहायता उपलब्ध कराई थी. जो मालदीव के "प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता" होने की भारत की साख को मजबूत भी करता है.


इसके अलावा मालदीव और भारत के बीच पिछले साल 50 करोड़ रुपए का व्यापार हुआ, इस व्यापार में भारत ने 49.5 करोड़ रुपए का सामान मालदीव में भेजा है. जिसमें चावल, मसाले, फल, सब्जियां और पोल्ट्री उत्पाद, दवाएं और सीमेंट जैसी दैनिक वस्तुएं भी शामिल हैं.


वहीं भारत ने रक्षा नीति को देखते हुए मालदीव और भारत के बीच भी रक्षा समझौते बढ़े हैं. भारत ने पिछले 10 सालों में मालदीव के 1500 से ज्यादा रक्षा और सुरक्षा कर्मियों को प्रशिक्षण दिया है. जो उनके देश की 70 प्रतिशत रक्षा प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करता है.


वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले और मालदीव मामलों के विशेषज्ञ अज़ीम जहीर ने बीबीसी से बातचीत में इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि मालदीव में किसी भी देश से संबंध बनाने पर जोर नहीं दिया जाता. उन्होंने बताया कि वहां ये भावना है कि हमें किसी भी देश से मजबूत संबंध नहीं बनाने हैं.


मालदीव में कितना निवेश कर चुका चीन?
मावदीव चीन के बड़े कर्ज के तले दबा हुआ है. मालदीव के राजधानी माले में बना हुआ इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जोड़ने वाला पुल भी चीन के इंवेस्टमेंट से बना हुए है.


मालदीव में चीन की 'वन बेल्ट, वन रोड' योजना का भी खुलकर समर्थन किया गया. वहीं मालदीव ने अपने एक द्वीप को चीन को 40 लाख डॉलर में 50 सालों के लिए लीज पर देकर रखा है.


माना ये भी जाता है कि चीन ने वहां के इंफ्रास्ट्रक्टर में लगभग एक बिलियन डॉलर का कर्ज देकर निवेश किया हुआ है.


विश्लेषकों की मानें तो अब मालदीव का झुकाव चीन की ओर ज्यादा हो सकता है हालांकि मौजूदा समय में मालदीव के रणनीतिकार  दोनों देशों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करेंगे.


मोइज्जू के आने से क्यों बढ़ी भारत की चिंता?
चुनाव प्रचार के दौरान मोइज्जू ने भारत के विरोध में कई बयान दिए हैं. 'भारत आउट' का नारा देने वाले मोइज्जू ने ये धमकी भी दी है कि वो कार्यकाल में आने के बाद मालदीव में तैनात भारत के सैनिकों को वापस भेजेंगे.


साथ ही मोइज्जू ने चीन की वित्त पोषित परियोजनाओं के लिए पूर्व राष्ट्रपति यामीन की भी जमकर तारीफ की.


अब देखना ये होगा सत्ता में आने के बाद मोइज्जू क्या कूटनीतिक फैसले लेते हैं.