पूर्वी एशिया में कोरिया प्रायद्वीप के उत्तर में बसा हुआ देश उत्तर कोरिया जो महज 120,540 वर्ग किमी में फैला है. इसकी धमक ऐसी है कि दुनिया का शक्तिशाली देश अमेरिका भी इससे खौफ खाया रहता है. पश्चिमी देश इस पर भले ही लाख प्रतिबंध लगा डाले, लेकिन तानाशाह किंग जोंग उन को उनसे कोई फर्क नहीं पड़ता है, वो तो बस बेपरवाह रहते हुए लगातार बिना नागा अपने मिसाइल लॉन्च करने के काम में मशगूल रहते हैं.


प्योंगयांग में एक छोटी सी मिसाइल भी लॉन्च होती है तो दुनिया की धड़कनें थम जाती हैं. पूरी दुनिया में इसकी धमक ऐसी होती है कि पल भर में ये मीडिया की सुर्खियां बन जाती हैं. ताजा हालातों में जापान चिंता में पड़ा हुआ है और इसकी वजह भी है. उत्तर कोरिया ने इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएम लॉन्च की है और इसकी जद में अमेरिका को नेस्तानाबूद करने तक की ताकत है.


अमेरिका ने इस मिसाइल लॉन्च को आड़े हाथों लिया है और इसकी कड़ी निंदा की है. वहीं इस दंबग देश के पड़ोसी देश दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया को रोकने के लिए उसके खिलाफ कठोर विनाशक कदम उठाने की पैरवी कर डाली है. अब चिंता ये है कि दंबग और मनमाने नेता किम के पास केवल यही खतरनाक मारक मिसाइल नहीं है उसके पास मिसाइलों का पूरा जखीरा है. आज बात इसी पर करते हैं कि इन खतरनाक विनाशक हथियारों को अगर सनकी किम जोंग उन ने इस्तेमाल कर डाला तो दुनिया का क्या हाल होगा. 


जापान है सहमा सा और यूएस है तैश में


जापान के रक्षा मंत्री का कहना है कि उत्तर कोरिया ने एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की है, जिसकी मारक क्षमता अमेरिका के मेनलैंड तक है. ये मिसाइल जापान के सबसे दूसरे बड़े द्वीप होक्काइदो के लगभग 210 किमी पश्चिम की तरफ में समुद्र में गिरी. गुरुवार 17 नवंबर को उत्तर कोरिया की विदेश मंत्री चो सोन हुई ने इलाके में किसी भी अमेरिकी सेना की मौजूदगी में बढ़ोतरी होने पर खतरनाक नतीजे भुगतने की चेतावनी दे डाली है.


इससे ये साफ की उत्तर कोरिया किसी को बख्सने के मूड में नहीं है. दरअसल इसी दिन इस देश ने एक कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल भी लॉन्च की. उत्तर कोरिया ने पिछले दो महीनों में 50 से अधिक मिसाइलें दागी हैं.  इसका मतलब है कि ये देश 60 दिनों में हर एक दिन एक मिसाइल दागता रहा है.


बीते महीनों में दागी गई ये अधिकांश मिसाइलें कम दूरी की मारक क्षमता वाली है, लेकिन लंबी दूरी की आईसीबीएम का लॉन्च किया जाना विरली घटना है. ये अमेरिका के लिए सीधा खतरा पैदा करते हैं, क्योंकि इन मिसाइलों को अमेरिका के मेनलैंड में  कहीं भी परमाणु हथियार ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है.


सोल के सैन्य प्रमुखों ने कहा कि नवीनतम अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) को उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग के पास से स्थानीय समय के मुताबिक 10:15 बजे (02:15 GMT) पर दागा गया था. दक्षिण कोरिया की सेना ने कहा कि यह एक ऊंचे पथ यानी लोफ्टेड ट्राजेक्ट्री पर 6,100 किमी की ऊंचाई तक पहुंची और इसने मैक 22 की रफ्तार से 1000 किलोमीटर की दूरी तय की.


एक लोफ्टेड ट्राजेक्ट्री का मतलब है कि मिसाइल अंतरिक्ष में बहुत ऊंची उड़ान भरती है, लेकिन सामान्य ट्राजेक्ट्री पर दागे जाने की तुलना में कम दूरी तक मार करती है, लेकिन जापान के रक्षा मंत्री यासुकाजु हमादा ने कहा कि ये मिसाइल अमेरिका तक पहुंचने के लिए पर्याप्त रेंज लिए हुए थी. दिए गए बलों की कार्रवाई के तहत एक मिसाइल जैसी  उड़ान या किसी वस्तु के चलने का रास्ता  ट्राजेक्ट्री या प्रक्षेपवक्र कहा जाता है.


रक्षा मंत्री यासुकाजु हमादा ने कहा, “गणनाओं के आधार पर ट्राजेक्ट्री को ध्यान में रखते हुए  इस बार उत्तर कोरिया की बैलिस्टिक मिसाइल में 15,000 किमी की सीमा क्षमता हो सकती है, जो कि इसके वारहेड के वजन पर निर्भर करता है, और यदि ऐसा है, तो इसका मतलब है कि अमेरिका का मेनलैंड इसकी जद के अंदर है."  किशिदा ने थाईलैंड में पत्रकारों से ये भी कहा, "हमने (प्योंगयांग) से कहा है कि हम इस तरह की कार्रवाइयों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं."


अमेरिका इससे खासा तैश में है. रविवार13 नवंबर को कंबोडिया में दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक-योल, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और जापान के पीएम फुमियो किशिदा के बीच बैठक हुई. इस दौरान तीनों देश अपने सैन्य सहयोग को बढ़ाने पर सहमत हुए. शुक्रवार 18 नवंबर को ही  यूएस नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की प्रवक्ता एड्रिएन वॉटसन ने कहा कि बाइडन ने जानकारी दी कि अमेरिका भागीदारों के साथ इस मामले को लेकर सलाह मशवरा करेगा. 


उत्तर कोरिया बना रहा खतरनाक मिसाइल ह्वासोंग-17


बीते महीनों में उत्तर कोरिया का  मिसाइल लॉन्च करने  पैटर्न कोरियाई प्रायद्वीप के आसपास अमेरिकी सैन्य गतिविधि के जवाबी कार्रवाई के आधार पर हो रहा है. अक्टूबर में, उत्तर कोरिया ने जापान के ऊपर एक बैलिस्टिक मिसाइल दागी. उसने 5 साल में पहली बार ऐसा किया था.  उत्तर कोरिया मौजूदा वक्त में एक  नई प्रकार की लंबी दूरी की मिसाइल, ह्वासोंग-17 बना रहा है.


यह पहले  सफलतापूर्वक परीक्षण किए गए आईसीबीएम से बड़ी मिसाइल है, और विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह कई वारहेड ले जाने में सक्षम हो सकता है, जिससे बचाव करना मुश्किल हो जाएगा. ऐसा माना जाता है कि उत्तर कोरिया की ह्वासोंग-17 को लॉन्च करने की कई कोशिशें नाकाम रहीं है. दक्षिण कोरिया की सेना के मुताबिक, इस महीने की शुरुआत में उत्तर कोरिया ने आईसीबीएम लॉन्च की थी, लेकिन वह उड़ान के बीच में ही नाकाम हो गई.


असान इंस्टीट्यूट के एक सैन्य विशेषज्ञ यांग यूके ने कहते हैं कि भले ही उत्तर कोरिया ने ह्वासोंग-17 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया हो, लेकिन खतरा ज्यादा नहीं बढ़ेगा. उनका कहना है कि उसे  साबित करना होगा कि उसे आईसीबीएम पर पर्याप्त छोटे परमाणु हथियारों को ले जाने की काबिलियत रखने वाली तकनीक में महारत हासिल है.


प्योंगयांग ने 2006 से 2017 के बीच 6 परमाणु परीक्षण किए हैं और उसने 7वें परीक्षण की तैयारी पूरी कर ली है. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि वह इस मौके का इस्तेमाल एक कॉम्पैक्ट न्यूक्लियर डिवाइस के टेस्ट के लिए कर सकता है. मिसाइल लॉन्च करने में लगे रहने वाला ये देश  अपनी कम दूरी की मिसाइलों और पारंपरिक सैन्य क्षमताओं में सुधार करने के लिए भी काम कर रहा है.