2 अरब की संपत्ति कुर्क, सिर पर 50 हजार का इनाम, कहानी सहारनपुर के बादशाह हाजी इकबाल की
इकबाल ने खनन में हाथ आजमाया और फिर मुड़ के पीछे नही देखा. इकबाल ने अपने परिवार के लोगों के साथ मिल कर कम्पनी बना ली और इतना जबरदस्त खनन किया की यमुना में हथनीकुंड बैराज की जड़ें तक उखड़ गई.
सहारनपुर का बादशाह कहे जाने वाले खनन माफिया और पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल पर आज 50,000 का इनाम घोषित किया गया है. हाजी इकबाल के भाई महमूद और उसके बेटों की 203 करोड़ की संपत्ति को जिला प्रशासन कुर्क करने जा रहा है. जांच एजेंसियों से बचने के लिए इकबाल इधर-उधर भाग कर छिपते फिर रहे हैं. लगभग आधा दर्जन मुकदमे इकबाल और उसके परिवार पर दर्ज हो चुके हैं.
परिवार के कई सदस्य जेल की सलाखों के पीछे हैं. इकबाल का सगा भाई पूर्व एमएलसी महमूद अली और इकबाल के तीन बेटे गिरफ्तार कर लिए गए हैं. वहीं, हाजी इकबाल को अवैध संपत्ति कमाने में मदद करने वाले उप जिलाधिकारी सहित कानूनगो और लेखपाल पर भी मुकदमे दर्ज कर लिए गए हैं. कुल मिलाकर हाजी इकबाल पर प्रशआसन का शिकंजा कसता जा रहा है.
कब शुरू हुईं इकबाल की मुश्किलें?
हाजी इकबाल की मुश्किलें सबसे पहले उस समय शुरू हुई जब 2016 में बीएसपी नेता के पास 10 हजार करोड़ रुपये की ब्लैक मनी की प्रवर्तन निदेशालय ने जांच शुरू कर दी. इसके बाद एमएलसी रहे बीएसपी नेता हाजी मोहम्मद इकबाल ब्लैक मनी के दलदल में फंसते चले गए. ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इकबाल पर लगे आरोपों की जांच में लग गए.
दरअसल, कभी खनन में हाजी इकबाल के साथ रहने वाले रणवीर का किसी बात पर विवाद हो गया.रणवीर ने इकबाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी.
बिजनसमैन रणवीर सिंह ने आरोप लगाया था कि इकबाल ने 10 हजार करोड़ रुपये की ब्लैक मनी जमा की है और मनी लॉन्ड्रिंग से बचने के लिए उसने देश-विदेश में 111 फर्जी कंपनियां बना रखी हैं. कोर्ट ने भी इस मामले में दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद केंद्रीय वित्त सचिव से आरोप-प्रत्यारोप की जांच कर मामले में जांच का रुख तय करने का निर्देश दिया था.
नसबंदी के दौर में कमाया पैसा
मिर्जापुर गांव की तंग गलियों में छोटी सी परचून की दुकान चलाने वाला इकबाल अरबों की संपत्ति का मालिक कैसे बना, आखिर कैसे इकबाल ने इतनी जल्दी इन बुलन्दियों को छुआ? इन सवालों के जवाब हाजी इकबाल के चचेरे भाई मोहम्मद आरिफ से मिले.
उन्होंने बताया कि तंगहाल इकबाल को उनके पिताजी ने घर के बाहर ही परचून की दुकान खुलवा कर दी थी. उसके बाद इकबाल ने इंदिरा गांधी के समय में चलाई गई नसबन्दी स्कीम में कई लोगों की नसबन्दी कराई और उन लोगों को मिलने वाले पैसे में से हेरफेर की. उसके बाद इकबाल खैर की लकड़ी की तस्करी के धंधे में आ गया, जहां उसने मोटा पैसा कमाया. हालांकि उस दौरान थाना मिर्जापुर में मुकदमे भी लिखे गए.
इसके बाद इकबाल ने राजनीति में हाथ आजमाया और बसपा से विधायक का चुनाव लड़े और लेकिन हार मिली. फिर इकबाल ने खनन में हाथ आजमाया और फिर मुड़ के पीछे नही देखा.
इकबाल ने अपने परिवार के लोगों के साथ मिल कर कम्पनी बना ली और इतना जबरदस्त खनन किया की यमुना में हथनीकुंड बैराज की जड़ें तक उखड़ गई.
स्टे के आदेश को ताक पर रख कर खनन किया गया. इकबाल की ताकत के सामने कोई अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नही था. खनन की अकूत कमाई से इकबाल ने कई किलोमीटर के एरिये में ग्लोकल यूनिवर्सिटी बनाई.
यूनिवर्सिटी में राजस्व अधिकारियों की मदद से सैकड़ों बीघा जमीन ग्राम समाज की अवैध रूप से कब्जा की गई. साथ ही ये यूनिवर्सिटी के निर्माण में दबंगई के चलते कई लोगों के माल और मजदूरी का भुगतान तक नहीं किया गया. जिसके मुकदमे अब दर्ज करके कार्रवाई की जा रही है.
एक दौर में सरकार से लेकर नौकरशाही तक सब इकबाल की जेब में थे. इकबाल पर ये भी आरोप है की चुनाव लड़ने के लिए जिस जेजे पब्लिक स्कूल की टीसी सन 1986 की लगाई गई थी उस पर RTI से पता चला की ये स्कूल तो बना ही 1996 में था. इकबाल ने अपनी सम्पति कई ऐसे नौकरों के नाम कर रखी थी, जो इसके मुंशी थे और अब जेल की हवा खा रहे हैं.
इकबाल के खनन के कार्यकाल में ओवरलोड से सड़कें खस्ताहाल हो गईं. लेकिन RTO विभाग की आंखे इस तरफ बन्द ही रहती थीं. इकबाल का वर्चस्व ऐसा था कि जब इकबाल की यूनिवर्सिटी के प्रोग्राम में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश तक मेहमान होते थे.
वहीं जिला न्यायपालिका के जज में अगली पंक्ति में बैठे होते थे. ऐसे में आरटीओ क्या कर सकता था. यमुना में खनन के लिए कई फुट गहरे गढ्ढे खोद दिये गये थे. कई टीमें आईं लेकिन खनन नहीं रुका. ख़ास बात ये है कि इकबाल के नाम खनन का एक भी पट्टा नही था ये सभी पट्टे इसके भाई परिवार और पार्टनरों के नाम थे.
इकबाल पर वर्तमान में हो रही कार्रवाई के पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं. दरअसल, इकबाल के अवैध धंधों का उन्हें पहले से संज्ञान था. इकबाल द्वारा गोरखपुर सहित कई जगहों पर सरकारी चीनी मिलों को औने-पौने दाम में खरीदा था, तभी से मुख्यमंत्री योगी की नजर में थे. अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश है कि इकबाल के विरुद्ध चल रहे मामलों में कोई भी ढील ना बरती जाए.
आज 50 हजार के मोस्टवांटेड खनन माफिया इकबाल की दो अरब की संपत्ति कुर्क की गई है. यह कार्रवाई पूरे उत्तर प्रदेश में अब तक की गई सबसे बड़ा एक्शन है. इससे पहले मई में इकबाल की एक अरब की समाप्ति कुर्क हुई थी. इकबाल की करोड़ों की कोठी को भी प्रशासन से बुलडोजर से ढहा दिया था.
परिवार पर कसता शिकंजा
पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल और उसके परिजनों के खिलाफ लगातार शिकंजा कसता जा रहा है. इसके तीन बेटों और भाई पूर्व एमएलसी महमूद अली की गिरफ्तारी के बाद 14(1) गैंगस्टर एक्ट के तहत भी इन सब पर कार्रवाई की जा चुकी है. बुधवार को ही हाजी इकबाल और इसके बहनोई के ऊपर 50 हजार का इनाम भी घोषित कर दिया गया है.
वहीं बुधवार को ही जिला प्रशासन की टीम मिर्जापुर पंहुची और ढोल बजा कर आसपास के ग्रामीणों को बुला कर बताया की 50 हजार का इनामी हाजी इकबाल की संपत्ति को जिला प्रशासन ने कुर्क कर रहा है. अब इस संपत्ति पर हाजी इकबाल उसके परिजनों का कोई अधिकार नहीं है, यदि इस संपत्ति को खरीदने बेचने के लिए किसी को कहा जाता है तो वह गलत है, उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
सहारनपुर के एसएसपी ने जानकारी देते हुए बताया कि खनन माफिया हाजी इकबाल उर्फ बाला कई मामलों में वांछित है. उसके और उसके बहनोई के विरुद्ध 50000 का इनाम घोषित किया गया है, इकबाल बाला के विरुद्ध 1 महीने पहले 182 के अंतर्गत नोटिस चस्पा किया गया था, जिसके एक महीने पूरे होने पर इकबाल के विरुद्ध 183 के अंतर्गत उसकी संपत्ति कुर्क की जा रही है. यह संपत्ति अलग-अलग स्थानों पर है जिसकी आज की तिथि में बाजार मैं कीमत लगभग 203 करोड रुपए है. हाजी इकबाल की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं और शीघ्र ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
(रिपोर्ट- मुकेश गुप्ता)