मिशन 2024 में जुटी भारतीय जनता पार्टी ने तमिलनाडु पर फोकस बढ़ा दिया है. बीजेपी की ओर से तमिलनाडु की कमान खुद गृह मंत्री अमित शाह ने संभाल ली है. शाह जून और जुलाई में तमिलनाडु का दौरा कर चुके हैं. शाह ने बीजेपी नेताओं को 25 सीट जीतने का लक्ष्य दिया है, लेकिन पार्टी राज्य की 7 सीटें हर हाल में जीतना चाहती है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई खुद पदयात्रा निकालकर इन सीटों पर पार्टी का जनाधार बढ़ा रहे हैं. पदयात्रा के दौरान अन्नामलाई एआईएडीमके और डीएमके के मंत्रियों पर सीधा हमला कर रहे हैं. पार्टी की कोशिश स्वतंत्र रूप से इन सीटों पर पकड़ बनाने की है.
अन्नामलाई 28 जुलाई को एन मन, एन मक्कल (मेरी जमीन, मेरे लोग) नाम से पदयात्रा निकाली थी. अमित शाह ने इस पदयात्रा को हरी झंडी दिखाई थी. बीजेपी का मिशन सफल होता है, तो द्रविड़नाडु की पॉलिटिक्स में बड़ा उलटफेर हो सकता है.
तमिलनाडु पर बीजेपी की नजर क्यों?
1. दक्षिण भारत के 5 में से सिर्फ कर्नाटक में बीजेपी का मजबूत जनाधार है. हालांकि, इस बार वहां भी पार्टी हार गई. बीजेपी को 2024 के चुनाव में कर्नाटक से लोकसभा की सीटें भी कम होने का डर सता रहा है.
2019 में बीजेपी को दक्षिण भारत से लोकसभा के करीब 30 सीटों पर जीत मिली थी, जिसमें अकेले कर्नाटक से 25 सीटें मिली थी. बीजेपी इस बार भी यह रिकॉर्ड बरकरार रखना चाहती है. इसलिए तमिलनाडु पर फोकस कर रही है.
2. जयललिता के निधन के बाद तमिलनाडु में विपक्ष पूरी तरह कमजोर पड़ गई है. एआईएडीएमके 2 भागों में बंट चुका है. दोनों गुट के नेताओं के पास अपना कोई मजबूत जनाधार नहीं है. बीजेपी को जड़ें जमाने के लिए यही आसान मौका दिख रही है. जयललिता की पार्टी के साथ बीजेपी का गठबंधन है.
तमिलनाडु के इन सात सीटों की ही चर्चा ही क्यों?
सभी 7 सीटें कन्याकुमारी और रामनाथपुरम के इर्द-गिर्द के हैं. मार्च में इन सातों सीट के साथ ही कुल 10 जिले में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कार्यालय खोला था. इन सात सीटों पर बीजेपी प्रदेश इकाई की ओर से प्रभारी की घोषणा भी हो चुकी है.
हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष के अन्नामलाई ने पदयात्रा की शुरुआत की है, जिसमें इन सात सीटों को खास तवज्जो मिली है. 2019 में एआईएडीएमके ने बीजेपी को 6 सीटें दी थी. ऐसी पार्टी को इस बार कम से कम गठबंधन के तहत 7 सीटें मिलने की उम्मीद है.
किस्सा उन 7 सीटों का, जिस पर बीजेपी की नजर है...
1. रामनाथपुरम- समुद्री तट पर स्थित रामनाथपुरम लोकसभा सीट पर 2019 में इंडियन मुस्लिम लीग के नवाज कानी ने जीत दर्ज की थी. तमिलनाडु की सियासत में इस सीट से 2024 में प्रधानमंत्री मोदी के भी लड़ने की अटकलें लग रही है.
भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद का घर भी इसी लोकसभा के अंदर है. 11वीं सदी के आसपास यहां चोल शासकों का शासन था. इस लोकसभा सीट पर हिंदुओं की आबादी करीब 77 प्रतिशत है. 2019 के चुनाव में बीजेपी को यहां 32 प्रतिशत वोट मिला था.
रामनाथपुरम में रामसेतु की वजह से बीजेपी खुद को यहां से जोड़ने की कोशिशों में जुटी है.
2. शिवगंगा- तमिलनाडु की सियासत में शिवगंगा को कांग्रेस का मजबूत किला माना जाता है. कांग्रेस नेता पी चिदंबरम यहां से 8 बार सांसद रह चुके हैं. 2019 में चिदंबरम के बेटे कार्ति को इस सीट पर जीत मिली थी. उन्होंने बीजेपी के एच राचा को चुनाव में हराया था.
अन्नामलाई अपने पदयात्रा के दौरान चिदंबरम परिवार पर जमकर हमला किया था. शिवगंगा में 88 प्रतिशत हिंदू आबादी है. पिछले चुनाव में करीब 22 प्रतिशत वोट मिल थे. बीजेपी यहां कार्ति चिदंबरम की मजबूत घेराबंदी करने की रणनीति पर काम कर रही है.
चिदंबरम के घोटाले को मुद्दा बनाकर बीजेपी शिवगंगा सीट फतह करने की तैयारी में है. यहां से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई के लड़ने की चर्चा है.
3. मदुरै- तमिलनाडु की इस सीट पर भी बीजेपी का सीधा मुकाबला स्टालिन की पार्टी से नहीं है. 2019 में यहां से सीपीएम के एस वेंकेटेशन ने जीत दर्ज की थी. एआएडीएमके यहां दूसरे नंबर पर रही थी. अन्नामलाई की पदयात्रा इस सीट को भी कवर कर रही है.
हाल ही में मदुरै सांसद के खिलाफ ट्वीट करने पर बीजेपी के स्टेट एसजी सूर्या को पुलिस ने जेल भेज दिया था. हाालंकि, बाद में कोर्ट से उन्हें जमानत मिल गई. बीजेपी ने इसे खूब भुनाया. माना जा रहा है कि यहां से एसजी सूर्या को बीजेपी अपना उम्मीदवार बना सकती है.
मदुरै मीनाक्षी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. बीजेपी का चर्चित टेंपल विंग भी मदुरै से ही सुर्खियों में आई थी. यहां बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मंदिरों के कुप्रबंधन को लेकर हंगामा किया था. धीरे-धीरे पूरे राज्य में पार्टी का यह फ्रंटल संगठन सक्रिय हो गया है.
4. थेनी- मार्च 2023 में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने थेनी में पार्टी कार्यालय का उद्घाटन किया था. उसके बाद से ही इस सीट को लेकर अटकलें लग रही है.तमिलनाडु के पूर्व सीएम ओ पनीरसेल्वम के बेटे रवींद्रनाथ यहां से सांसद हैं.
हाल ही में एआईएडीएमके विवाद में हाईकोर्ट ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है. थेनी लोकसभा 2009 में अस्तित्व में आया.
2014 और 2019 में इस सीट पर एआईएडीमके ने जीत दर्ज की. पार्टी में टूट की वजह से यहां एआईएडीमके के वोटर्स बिखर गए हैं. ऐसे में बीजेपी अपना सिक्का मजबूत करने में जुटी है.
5. विरुधुनगर- तमिलनाडु की विरुधुनगर सीट पर भी बीजेपी की नजर है. 2019 में कांग्रेस के मणिकम टैगोर ने यहां से जीत दर्ज की थी. यह सीट भी 2009 में पहली बार अस्तित्व में आया था. 2019 में एनडीए कोटे से डीएमडीके को यह सीट मिली थी.
डीएमडीके उम्मीदवार को 29 प्रतिशत वोट मिला था. विरुधुनगर दलित बहुल सीट है और यहां दलितों की आबादी 30 प्रतिशत से अधिक है. प्रसिद्ध शिवाकासी भी इसी लोकसभा के भीतर है. हाल ही में बीजेपी ने काशी से तमिल संगमम की शुरुआत की थी.
6. कन्याकुमारी- तमिलनाडु स्थित कन्याकुमारी का एतिहासिक महत्व है. 2014 में बीजेपी को इस सीट पर जीत भी मिली थी. हालांकि, 2019 में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस के एच वसंथकुमार ने बीजेपी के पी राधाकृष्णन को ढ़ाई लाख से ज्यादा वोटों से हराया था.
2021 में वसंथुकमार का निधन हो गया. कांग्रेस ने उनके बेटे विजयकुमार को उपचुनाव में उतारा. बीजेपी से पी राधाकृष्णनन ही मैदान में उतरे. इस बार भी राधाकृष्णनन को हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, 2019 की तुलना में 4 प्रतिशत वोट अधिक मिले.
बीजेपी इस बार यहां मजबूती से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. कांग्रेस भी इस बार यहां माहौल बदलने की कोशिशों में जुटी है. कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी के यहां से चुनाव लड़ने की चर्चा है.
7. थूथुकुडी- भारतीय जनता पार्टी की नजर थूथुकुडी लोकसभा सीट पर भी है. यहां से स्टालिन की बहन कनिमोझी सांसद हैं. बीजेपी यहां से लड़ाई लड़कर जनता में स्टालिन परिवार से लड़ने का मनोवैज्ञानिक संदेश देना चाहती है. पार्टी ने हाल ही में इस सीट के लिए जिला प्रभारी नियुक्त किया है.
2019 के चुनाव में बीजेपी को इस सीट पर 21 प्रतिशत वोट मिले थे. पार्टी को लगता है कि इस बार यहां मजबूती से लड़ने पर समीकरण उलट-पलट सकते हैं.