एक्सप्लोरर

स्ट्रेटेजी या मजबूरी..., नीतीश कुमार के यूपी से चुनाव लड़ने की चर्चा बार-बार क्यों उठती है?

नीतीश कुमार 2004 में आखिरी बार चुनाव लड़े थे. उस वक्त बाढ़ सीट से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि, नालंदा बचाने में वे सफल हो गए थे. नीतीश 6 बार लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं.

2024 के चुनावी चौसर पर विपक्षी मोर्चा बीजेपी को मजबूत टक्कर देने की रणनीति बना रहा है. सबकुछ ठीक रहा तो नीतीश कुमार जल्द ही विपक्षी गठबंधन INDIA के संयोजक बन सकते हैं. इसी बीच नीतीश कुमार के लोकसभा चुनाव में यूपी से लड़ने की भी अटकलें तेज हो गई है.

समाचार एजेंसी IANS के मुताबिक जनता दल यूनाइटेड की उत्तर प्रदेश इकाई ने नीतीश कुमार के यहां से चुनाव लड़ने की मांग रखी है. संगठन का कहना है कि नीतीश यहां से चुनाव लड़ेंगे तो एक बड़ा संदेश जाएगा और पार्टी के साथ विपक्षी गठबंधन को भी मजबूती मिलेगी.

नीतीश के यूपी से चुनाव लड़ने की चर्चा को बल तब और अधिक मिला, जब हाल ही में उनके करीबी मंत्री श्रवण कुमार ने राज्य का दौरा किया था. अखिलेश सरकार में पूर्व मंत्री रहे आई.पी सिंह भी नीतीश को फूलपुर से 2024 के भावी सांसद बता चुके हैं. सिंह के मुताबिक नीतीश ही देश के अगले प्रधानमंत्री भी होंगे.

ऐसे में सियासी गलियारों में यह चर्चा है कि क्या सच में नीतीश कुमार यूपी से चुनाव लड़ सकते हैं? अगर हां, तो कहां से?

नीतीश कब-कब बने लोकसभा के सांसद?
1985 में नालंदा के हरनौत से विधायक बनने के बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने किस्मत अजमाई. नीतीश जनता दल के टिकट पर बाढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़े. कांग्रेस के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का फायदा उन्हें मिला और 78 हजार वोटों से चुनाव जीते.

1991 में भी जनता दल के टिकट से नीतीश चुनाव जीते. इस बार जीत का मार्जिन डेढ़ लाख से ज्यादा का था. जनता दल में टूट के बाद नीतीश 1996 के चुनाव में इसी सीट से समता पार्टी के सिंबल पर मैदान में उतरे. नीतीश इस बार भी संसद पहुंचने में कामयाब रहे.

1998, 1999 में भी नीतीश बाढ़ सीट से ही लोकसभा पहुंचे. 2004 में नीतीश बाढ़ और नालंदा सीट से चुनाव लड़े. नीतीश को बाढ़ सीट से हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, वे नालंदा से जीतने में कामयाब रहे. 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया. 

नीतीश के यूपी से चुनाव लड़ने की चर्चा क्यों?

1. गठबंधन की कमजोरी कड़ी है यूपी- उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं, जो दिल्ली जाने के लिए काफी अहम है. बिहार, झारखंड और बंगाल के मुकाबले गठबंधन का गणित यहां कमजोर है. यूपी में कांग्रेस, सपा और आरएलडी गठबंधन कर चुनाव लड़ने की तैयारी में है.

बीजेपी के मुकाबले तीनों पार्टियों का वोट प्रतिशत काफी कम है. 2022 के आंकड़ों को देखा जाए तो बीजेपी गठबंधन के पास अभी 45 प्रतिशत वोट है, जबकि विपक्षी मोर्चे के पास सिर्फ 37 प्रतिशत. बीजेपी गठबंधन और INDIA के वोट में 8 फीसदी का फासला है. 

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को 50 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे. कांग्रेस को 6 और सपा को 18 प्रतिशत वोट मिले थे. ऐसे में विपक्ष की कोशिश जातियों को जोड़कर समीकरण दुरुस्त करने की है. यूपी में यादव के बाद ओबीसी जातियों में सबसे अधिक कुर्मी (6 प्रतिशत) है.

नीतीश कुमार कुर्मी के बड़े नेता माने जाते हैं. ऐसे में विपक्ष उनके सहारे खासकर सपा यूपी में कुर्मी को साधना चाहती है.

2. पीएम बनने के लिए ज्यादा सीटों की जरूरत- विपक्षी मोर्चे की मीटिंग में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पद से अपना दावा वापस ले लिया है, जिसके बाद नीतीश कुमार की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर विपक्ष सरकार बनाने में कामयाब हो जाती है, तो कांग्रेस के बाद जिस दल के पास अधिक सीटें होंगी, उसी के नेता प्रधानमंत्री पद के मजबूत दावेदार होंगे. 

बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं, जिसके अधिकतम 20 सीटों पर ही नीतीश कुमार चुनाव लड़ सकते हैं. ऐसे में जेडीयू की कोशिश झारखंड और यूपी के भी कुछ सीटों पर लड़ने की है, जिसके ज्यादा से ज्यादा सीटें जीती जा सके. 

किस परिस्थिति में नीतीश लड़ सकते हैं यूपी से चुनाव?
उत्तर प्रदेश में नीतीश कुमार की पार्टी के पास कोई मजबूत जानाधार नहीं है. 2022 के चुनाव में यूपी की 27 सीटों पर जेडीयू ने अपने कैंडिडेट उतारे थे, लेकिन अधिकांश की जमानत जब्त हो गई. सिर्फ मल्हनी सीट से धनंजय सिंह जमानत बचाने में सफल रहे थे. 

राजनीतिक विश्लेषक रतन मणि लाल कहते हैं- विपक्षी दलों का नया गठबंधन बनने के बाद कोई फॉर्मूला बन सकता है. चुनाव के जरिए नीतीश अपनी लोकप्रियता का पैमाना जरूर टेस्ट कर सकते हैं.

हालांकि, बिहार छोड़ किसी अन्य राज्य से जीतना मुश्किल है क्योंकि यूपी में अन्य तीन चार राजनीतिक दल मजबूत हैं. अगर नीतीश सारे विपक्ष का एक चेहरा बनें तो अपनी किस्मत आजमा सकते हैं. 

नीतीश कुमार को अगर प्रधानमंत्री पद के लिए विपक्ष से हरी झंडी मिलती है, तो फिर वे चुनाव लड़ सकते हैं. जानकारों का कहना है कि 2014 में नरेंद्र मोदी जब बीजेपी से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने तो उन्होंने वाराणसी सीट से चुनाव मैदान में उतरे. 

वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश अश्क कहते हैं- नीतीश पॉलिटिकिल मैसेजिंग के माहिर खिलाड़ी हैं. वे लोकसभा का चुनाव तभी लड़ेंगे, जब उन्हें बड़ी पार्टियों से राजनीतिक आश्वासन मिले. कांग्रेस, सपा और आरजेडी उन्हें पीएम पद का आश्वासन देती है, तो नीतीश चुनाव लड़ सकते हैं.

एक चर्चा नरेंद्र मोदी के दक्षिण से चुनाव लड़ने की है. कहा जा रहा है कि मोदी इस बार वाराणसी के साथ-साथ तमिलनाडु के किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. मोदी अगर दक्षिण की ओर जाते हैं, तो नीतीश उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़कर रण छोड़ने की मुहिम चला सकते हैं. 

वो 3 सीटें, जहां से चुनाव लड़ने की चर्चा अधिक
1. फूलपुर- उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले की फूलपुर सीट से वर्तमान में बीजेपी के केशरी देवी पटेल सांसद हैं. फूलपुर सीट पर करीब 20 लाख मतदाता हैं. यह सीट कुर्मी, यादव और मुस्लिम बहुल है. यह सीट 1952 से ही सुर्खियों में रही है.

जवाहर लाल नेहरू यहां से 3 बार सांसद रह चुके है. 1989 में देश के प्रधानमंत्री बने वीपी सिंह भी यहां से सांसद रह चुके हैं. जनेश्वर मिश्र भी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. 

अश्क कहते हैं- विपक्ष और बीजेपी की सीधी लड़ाई में नीतीश के लिए सबसे सुरक्षित फूलपुर सीट है. यहां समीकरण उनके पक्ष में है. यदि वे राष्ट्रीय राजनीति में फिर से कदम रखते हैं, तो यह सीट उनके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है. 

फूलपुर से सांसद रहने वाले 2 नेता (जवाहर लाल नेहरू और वीपी सिंह) देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. फूलपुर से चुनाव लड़कर नीतीश अपनी दावेदारी को काफी मजबूत कर सकते हैं.

2. अंबेडकरनगर- 2009 में पहली बार अस्तित्व में आई अंबेडकरनगर से वर्तमान में बीएसपी के रितेश पांडेय सांसद हैं. यह सीट मुस्लिम और दलित बहुल है, लेकिन पिछले 3 बार से यहां ब्राह्मण नेता ही संसद पहुंच रहे हैं. 

2022 के चुनाव में सपा ने इस जिले के सभी पांचों सीट से जीत दर्ज की थी. जिले के राम अचल राजभर और लालजी वर्मा को पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव की कुर्सी सौंपी है. अंबेडकरनगर सपा का मजबूत गढ़ माना जा रहा है. 

3. मिर्जापुर- फूलपुर और अंबेडकरनगर के अलावा नीतीश कुमार के मिर्जापुर सीट से भी चुनाव लड़ने की अटकलें हैं. यहां से वर्तमान में अपना दल के अनुप्रिया पटेल सांसद हैं. यह सीट भी कुर्मी बहुल माना जाता है. 

1996 में सपा ने फूलन देवी को उतारकर इस सीट को सुर्खियों में ला दिया था. दस्यु सुंदरी फूलन चुनाव जीतने में भी सफल रही थी. 2009 के बाद से इस सीट पर पटेल नेता ही सांसद चुने गए हैं. 

नीतीश के चुनाव लड़ने से यूपी में बीजेपी को होगा नुकसान?

वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश अश्क कहते हैं- नुकसान तब हो सकता है, जब नीतीश कुमार साझा विपक्ष से चुनाव लड़ें. अगर बिहार की राजनीति जातीय ध्रुवीकरण पर जाएगी और नीतीश यूपी से चुनाव लड़ेंगे तो पूर्वांचल जरूर प्रभावित हो सकता है. 

पूर्वांचल में लोकसभा की करीब 30 सीटें हैं. 2019 में अधिकांश पर बीजेपी को जीत मिली थी. बीजेपी ने पूर्वांचल के किले को मजबूत करने के लिए हाल ही में सुभासपा को अपने साथ जोड़ा है. 

यूपी में नीतीश के मैदान में आने से प्रयागराज, फूलपुर, कौशांबी, जौनपुर, मिर्जापुर और बलिया का चुनावी समीकरण बदल सकता है, जहां अभी बीजेपी गठबंधन का दबदबा है.

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

आरजी कर मामले में CBI जांच से खुश नहीं जूनियर डॉक्टर, दिया अल्टीमेटम, TMC बोली- हाईजैक हो चुका आंदोलन
आरजी कर मामले में CBI जांच से खुश नहीं जूनियर डॉक्टर, दिया अल्टीमेटम, TMC बोली- हाईजैक हो चुका आंदोलन
जाने-माने फैशन डिजाइनर Rohit Bal का निधन, लंबे समय से थे बीमार
जाने-माने फैशन डिजाइनर रोहित बल का निधन, लंबे समय से थे बीमार
IPL 2025: चेन्नई-कोलकाता से RCB और MI तक, जानें किस टीम ने किस खिलाड़ी को कितने रुपये में किया रिटेन
चेन्नई-कोलकाता से RCB और MI तक, जानें किस टीम ने किस खिलाड़ी को कितने रुपये में किया रिटेन
PM मोदी ने कांग्रेस की गारंटियों को बताया 'जनता के साथ धोखा,' CM सुक्खू ने किया पलटवार
PM मोदी ने कांग्रेस की गारंटियों को बताया 'जनता के साथ धोखा,' CM सुक्खू ने किया पलटवार
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Madhya Pradesh: Congress ने मोहन सरकार के  Govardhan Puja के कार्यक्रम का किया विरोधDiwali 2024: दिवाली पर Rahul Gandhi का ये अंदाज  सबको भा गया! | ABP News | BreakingAssembly Election : बीच चुनाव में 'रेवड़ी' बनी किसके गली की फांस? | Congress | BJP | KhargeBharat Ki Baat: योगी vs अखिलेश..पोस्टर पर छिड़ा क्लेश! | UP By Election 2024 | UP Politics | ABP

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
आरजी कर मामले में CBI जांच से खुश नहीं जूनियर डॉक्टर, दिया अल्टीमेटम, TMC बोली- हाईजैक हो चुका आंदोलन
आरजी कर मामले में CBI जांच से खुश नहीं जूनियर डॉक्टर, दिया अल्टीमेटम, TMC बोली- हाईजैक हो चुका आंदोलन
जाने-माने फैशन डिजाइनर Rohit Bal का निधन, लंबे समय से थे बीमार
जाने-माने फैशन डिजाइनर रोहित बल का निधन, लंबे समय से थे बीमार
IPL 2025: चेन्नई-कोलकाता से RCB और MI तक, जानें किस टीम ने किस खिलाड़ी को कितने रुपये में किया रिटेन
चेन्नई-कोलकाता से RCB और MI तक, जानें किस टीम ने किस खिलाड़ी को कितने रुपये में किया रिटेन
PM मोदी ने कांग्रेस की गारंटियों को बताया 'जनता के साथ धोखा,' CM सुक्खू ने किया पलटवार
PM मोदी ने कांग्रेस की गारंटियों को बताया 'जनता के साथ धोखा,' CM सुक्खू ने किया पलटवार
कैलोरी काउंट करके खाते हैं तो सेहत के लिए नहीं है ठीक, इन बीमारियों का बढ़ जाता है खतरा
कैलोरी काउंट करके खाते हैं तो सेहत के लिए नहीं है ठीक, इन बीमारियों का बढ़ जाता है खतरा
US Presidential Elections: कमला हैरिस को राष्ट्रपति बनाना चाहते हैं मार्वल के सुपरहीरोज, वीडियो आया सामने
कमला हैरिस को राष्ट्रपति बनाना चाहते हैं मार्वल के सुपरहीरोज, वीडियो आया सामने
Watch: विराट ने उतारी यशस्वी जायसवाल की नकल, किंग कोहली का मस्ती भरा वीडियो वायरल
विराट ने उतारी यशस्वी जायसवाल की नकल, किंग कोहली का मस्ती भरा वीडियो वायरल
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का टूटा पैर, दुबई में फ्लाइट से उतरते वक्त हुआ हादसा
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का टूटा पैर, दुबई में फ्लाइट से उतरते वक्त हुआ हादसा
Embed widget