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मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन का इस्तीफा क्यों, 4 प्वॉइंट्स में पूरी कहानी

सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया के इस्तीफे के कई मायने निकाले जा रहे हैं. इसी बीच बीजेपी ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल दोनों का इस्तीफा लेकर पार्टी में नंबर-2 और नंबर 3 का पद रिक्त कर दिया है.

शराब टेंडर घोटाले में गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सरकार से इस्तीफा दे दिया. सिसोदिया के साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 9 महीने से जेल में बंद सत्येंद्र जैन ने भी अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भेज दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक बिना देरी किए मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दोनों का इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया. 

पिछले 8 साल में केजरीवाल मंत्रिमंडल से अब तक 7 मंत्रियों को कुर्सी छोड़नी पड़ी है. इनमें जितेंद्र तोमर, कपिल मिश्रा, संदीप सिंह, राजेंद्र पाल गौतम, आसिम खान, सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया का नाम शामिल हैं. यह पहली बार हुआ है, जब केजरीवाल के दो मंत्रियों ने एक साथ इस्तीफा दिया है. सियासी गलियारों में इनके इस्तीफे लेने की चर्चा है.

मनीष सिसोदिया ने इस्तीफा में क्या लिखा?
3 पन्नों के इस्तीफे में मनीष सिसोदिया ने लिखा- मुझे डराने, धमकाने और लालच देने की सारी कोशिश जब नाकाम हो गई तब मुझे जेल में डाल दिया गया. मेरे ऊपर अभी कई और मुकदमे लिखे जाएंगे. मैं जानता हूं कि साजिशकर्ता मुझे और आपको परेशान करने के लिए ये सब कर रहे हैं. 

सिसोदिया ने आगे लिखा- झूठे और बेबुनियाद आरोप के तहत साजिशकर्ताओं ने सभी सीमाओं को तोड़ते हुए अब जब मुझे जेल में डाल ही दिया है, तो मैं चाहता हूं कि अपने पद से इस्तीफा दे दूं. मैं इस पत्र के माध्यम से इस्तीफा भेज रहा हूं.

जैन-सिसोदिया का इस्तीफा क्यों?
मनी लॉन्ड्रिंग केस में सत्येंद्र जैन 9 महीने से जेल में बंद हैं और गिरफ्तारी के बाद उन्हें हटाने से केजरीवाल ने इनकार कर दिया था. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद दोनों का इस्तीफा क्यों हुआ? आइए इसे विस्तार से जानते हैं...

1. करप्शन फ्री इमेज दांव पर- अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी का सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार ही था. आप इसी मुद्दे के सहारे पिछले 10 साल में राष्ट्रीय पार्टी बन गई है. आप गठन के शुरुआती दिनों में जब किसी अन्य पार्टी के नेता पर कोई आरोप लगता था, तो आप के नेता उससे इस्तीफा मांगती थी.

बीजेपी अध्यक्ष पद से नितिन गडकरी को और रेल मंत्री के पद से पवन बंसल को आप के प्रदर्शन की वजह से ही इस्तीफा देना पड़ा था. ऐसे में जब आप के दो मंत्री फंसे हैं, तो केजरीवाल का पुराना बयान वायरल हो रहा था, जिससे पार्टी की करप्शन फ्री की इमेज दांव पर लग गई थी.

जेपी आंदोलन के बाद देश में पहली बार अन्ना हजारे के नेतृत्व में 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन हुआ था. अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया बाद में इस आंदोलन के बड़े चेहरे बने. सिसोदिया का एक ट्वीट भी वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने लालू यादव और भ्रष्टाचार के सिस्टम को लेकर सवाल किया था. 

ऐसे में बीजेपी के साथ ही छोटी पार्टियों भी अरविंद केजरीवाल पर सवाल उठा रही थीं. इस्तीफा प्रकरण के बाद पार्टी को उम्मीद है कि इससे कुछ राहत जरूर मिलेगी.

2. अंदरुनी बगावत का भी डर-  केजरीवाल ने 2015 में मंत्री आसिम खान को भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर बर्खास्त कर दिया था. खान कार्रवाई को मुसलमान एंगल देते रहे. ऐसे में सिसोदिया और जैन के नहीं हटने पर खान फिर हमलावर हो सकते थे. 

पंजाब में भी भ्रष्टाचार का आरोप लगने पर तीन मंत्रियों को पार्टी ने बर्खास्त कर दिया था. सिसोदिया और जैन के नहीं हटने पर वहां भी बगावत सुर उठ सकते थे. 

3. चुनावी साल में फ्रंटफुट पर खेलने की तैयारी- मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन आप के शुरुआती दिनों से ही जुड़े हुए हैं. सिसोदिया पार्टी में नंबर 2 के नेता माने जाते रहे हैं, जबकि जैन को भी केजरीवाल का करीबी माना जाता है.

भ्रष्टाचार के मामले में दोनों नेताओं की गिरफ्तारी के बाद आप बैकफुट पर आ गई थी. इस साल 9 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसमें से 3 राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में आप मजबूती से लड़ने की तैयारी कर रही है.

दोनों के इस्तीफा हो जाने के बाद आप फ्रंटफुट पर खेलेगी. पार्टी केंद्र और राज्य में बीजेपी के उन मंत्रियों पर निशाना साधेगी, जिन पर भ्रष्टाचार का आरोप है और कैबिनेट में बने हुए हैं.

आप ने अभी बीजेपी के उन 6 नेताओं का नाम भी ट्विटर पर जारी किया है. इनमें केंद्रीय मंत्री नाराणय राणे, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा और बंगाल के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी का नाम शामिल हैं. सिसोदिया और जैन के जाने के बाद आप ने इन नेताओं के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया है.

4. निगेटिव प्रचार से बचने की कोशिश- सिसोदिया जेल में रहते हुए पद पर रहते तो विपक्ष और मीडिया की नजर ज्यादा ही उन पर बनी रहती. जैन मामले में आप ऐसा देख भी चुकी है. जैन के मसाज कराने का वीडियो वायरल हो गया था. पार्टी की इससे काफी किरकिरी भी हुई थी. 

सिसोदिया पार्टी में नंबर -2 के नेता हैं, ऐसे में उनका निगेटिव प्रचार अगर होता तो पार्टी और ही ज्यादा बैकफुट पर चली जाती. आप जैन के बाद सिसोदिया के भी जेल जाने के बाद निगेटिव प्रचार से बचने की कोशिश में है, जिस वजह से भी दोनों का इस्तीफा हुआ है.

आप दोनों के इस्तीफे के मुद्दा बनाते हुए लोगों को काम नहीं रुकेगा की स्ट्रैटजी भी अपना रही है. पार्टी इस्तीफे के जरिए यह बताने की कोशिश भी कर रही है कि परेशान करने के बावजूद हमने काम नहीं रोका.

इस्तीफे पर बीजेपी ने क्या कहा?

मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के इस्तीफे होने के बाद बीजेपी दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और नेता प्रतिपक्ष रामबीर सिंह विधूड़ी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. बीजेपी ने दोनों नेताओं के इस्तीफे को अरविंद केजरीवाल का नई राजनीति चाल बताई है.

सचदेवा ने कहा कि मुख्यमंत्री जांच की आंच से घबरा गए हैं. मनी लॉन्ड्रिंग और शराब घोटाले की जांच से बहुत कुछ पर्दाफाश हो रहा है. इससे बचने के लिए के केजरीवाल ने दोनों का इस्तीफा ले लिया है. अगर सिसोदिया का इस्तीफा पहले ले लिया गया होता तो सरकार की नाक भी बच जाती. 

बीजेपी प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने सिसोदिया और जैन का इस्तीफा लेकर अपनी पार्टी में नंबर 2 और 3 का पद पूरी तरह से खत्म कर दिया है. रामबीर सिंह विधूड़ी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी इस्तीफा मांगा है.

सिसोदिया और जैन के इस्तीफे पर कांग्रेस कन्फ्यूज
सिसोदिया और जैन के इस्तीफे के बाद कांग्रेस की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है. कांग्रेस के अशोक गहलोत और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे नेताओं ने इसे गलत बताया है.

वहीं दिल्ली कांग्रेस के 2 बड़े नेता अजय माकन और अलका लांबा ने गिरफ्तारी को जायज ठहराया है. माकन ने तो कांग्रेसियों को नसीहत देते हुए कहा है कि आप ने भ्रष्टाचार के पैसों से कांग्रेस को कमजोर करने का काम किया है. इसलिए मामले में सोच समझकर बयान दें. 

जैन और सिसोदिया के इस्तीफे से आप में क्या बदलेगा?
1. कैबिनेट में फेरबदल तय- अरविंद केजरीवाल कैबिनेट में मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन सबसे वरिष्ठ मंत्री थे. दोनों के इस्तीफा हो जाने के बाद अब कैबिनेट फेरबदल की बात कही जा रही है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सौरभ भारद्वाज और आतिशि का नाम उप-राज्यपाल को भेज दिया है.

दोनों का मंत्री बनना तय है. आतिशी मनीष सिसोदिया के साथ काम कर चुकी है और राजपूत बिरादरी से भी हैं. माना जा रहा है कि आतिशि को सिसोदिया के मंत्रालय का प्रभार मिल सकता है, जबकि सौरभ भारद्वाज को जैन का विभाग दिया जा सकता है.

2. आप के टॉप कमेटी में भी बदलाव संभव- आम आदमी पार्टी में नीतिगत निर्णय लेने का फैसला पॉलिटिक्ल एक्शन कमेटी (PAC) लेती है. पीएसी में वर्तमान में 9 सदस्य और 2 पदेन सदस्य हैं. इसमें सिसोदिया दूसरे नंबर पर थे. केजरीवाल-सिसोदिया के अलावा पीएसी में गोपाल राय, इमरान हुसैन, संजय सिंह, दुर्गेश पाठक, आतिशी, राघव चड्ढा और राखी बिड़लान शामिल हैं. पंकज गुप्ता और एनडी गुप्ता पदेन सदस्य हैं.

सिसोदिया के जमानत का मामला अब दिल्ली हाई कोर्ट में जाएगा. अगर सिसोदिया को तुरंत राहत नहीं मिलती है, तो पीएसी में भी बदलाव हो सकती है. क्योंकि इस साल कई राज्यों में चुनाव होने हैं और आप वहां मजबूती से लड़ने की तैयारी में जुटी है.

आप में नंबर 2 कौन, सवाल बना रहेगा
मनीष सिसोदिया केजरीवाल सरकार में उपमुख्यमंत्री के साथ ही पीएसी के मेंबर भी थे. केजरीवाल के बाद सिसोदिया का ही स्थान था. सीबीआई ने अब उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. ईडी भी शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है. सीबीआई के बाद ईडी भी उन्हें कस्टडी में ले सकती है.

यानी हाईकोर्ट से राहत मिलने तक सिसोदिया कानूनी पचड़ों में ही फंसे रहेंगे. जैन पहले से ही जेल में बंद हैं और उनकी जमानत अब तक मंजूर नहीं की गई है. 

सिसोदिया के जेल जाने और इस्तीफा के बाद आप में केजरीवाल के बाद कौन होंगे, ये सवाल भी बना रहेगा. अगर कुछ दिनों में सिसोदिया को राहत नहीं मिलती है, तो ये सवाल पार्टी के भीतर और ज्यादा गहराएगा. वर्तमान में संजय सिंह संगठन से लेकर सड़क तक मोर्चा संभाले हुए हैं.

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कैबिनेट में कैलाश गहलोत और संगठन में संजय सिंह का कद बढ़ाया जा सकता है. गहलोत परिवहन विभाग के मंत्री हैं और केजरीवाल के करीबी माने जाते हैं. 

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