इंडिया गठबंधन कॉर्डिनेशन कमेटी की पहली बैठक में सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पाई, जिसके बाद एक और डेडलाइन तय कर दिया गया. सीट बंटवारे का मुद्दा अब राज्यों के हिसाब से किया जाएगा. कांग्रेस हाईकमान सीधे क्षेत्रीय पार्टियों से संपर्क साध कर राज्य की राजनीति के हिसाब से सीट बंटवारे का मुद्दा सुलझाएगा.
आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कॉर्डिनेशन कमेटी की बैठक में जब सीट बंटवारे का मुद्दा उठा, तो अधिकांश नेताओं ने इसे राज्य स्तर पर सुलझाने का सुझाव दिया. यह भी कहा गया कि राज्य स्तर पर नहीं सुलझने के बाद इस मसले को राष्ट्रीय स्तर पर लाया जाए.
बैठक में मौजूद कई नेताओं का तर्क था कि इस सुलझाने के लिए कई राज्यों में सख्त फैसला लेने की जरूरत पड़ सकती है. दरअसल, इंडिया गठबंधन में शामिल कई पार्टियां मौजूदा जीती हुई सीटों पर से अपना दावा पीछे छोड़ने को राजी नहीं है.
उमर अब्दुल्ला ने खुलकर कही अपनी बात
कॉर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग में उमर अब्दुल्ला ने खुलकर अपनी बात कही. अब्दुल्ला ने कहा कि जो सीट अभी जिस पार्टी के पास है, उस पर बातचीत नहीं होनी चाहिए. कुछ सदस्यों ने इस पर ऐतराज भी जताया.
जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की कुल 6 सीटें हैं, जिसमें 3 घाटी क्षेत्र में 2 जम्मू क्षेत्र में और 1 लद्दाख क्षेत्र में है. घाटी की तीनों सीटों पर उमर अब्दुल्ला की पार्टी को 2019 में जीत मिली थी. इंडिया गठबंधन में शामिल 3 दलों का जम्मू-कश्मीर की सियासत में दबदबा है.
संडे गार्जियन ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कांग्रेस और पीडीपी की कोशिश घाटी की 1-1 सीट लेने की है. कांग्रेस लद्दाख सीट पर भी दावा ठोक रही है. पिछले चुनाव में बीजेपी को यहां सिर्फ 10 हजार वोटों से जीत मिली थी.
उमर का फॉर्मूला अगर लागू हुआ तो पंजाब में आप और बिहार में आरजेडी को कम सीटें मिलेगी. महाराष्ट्र में कांग्रेस को भी नुकसान हो सकता है.
पवार की चुप्पी और एनसीपी की दलील से कांग्रेस की टेंशन बढ़ी
कॉर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार के आवास पर हुई थी. सूत्रों के मुताबिक बैठक में शरद पवार कुछ नहीं बोले. पवार दिल्ली में मीटिंग से एक दिन पहले मुंबई में उद्धव ठाकरे से मिले थे.
पवार के आवास पर हुई इस मीटिंग में एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील और शिवसेना के संजय राउत भी मौजूद थे. पवार के घर पर बैठक की जो तस्वीर आई, उसमें संजय राउत हाथ में डायरी लेकर कुछ लिखते दिख रहे थे.
(इंडिया गठबंधन की बैठक से एक दिन पहले शरद पवार ने उद्धव ठाकरे से 90 मिनट तक बंद कमरे में बातचीत की थी)
बैठक के बाद जयंत पाटील ने पत्रकारों से कहा कि सीट बंटवारे पर कोई विवाद नहीं है. यह शरद पवार, उद्धव ठाकरे, नाना पटोले और अशोक चव्हाण की मीटिंग में आसानी से सुलझ जाएगा.
हालांकि, बातचीत के दौरान पाटील ने यह भी कहा कि बीजेपी जिन 25 सीटों पर जीती थी, उसका बंटवारा आसानी से हो जाएगा. एनसीपी की यह दलीलें कांग्रेस के लिए टेंशन बढ़ाने वाली है.
क्योंकि, कांग्रेस की नजर शिवसेना की जीती हुई कुछ सीटों पर भी है. पार्टी का तर्क है कि इन सीटों पर पिछले चुनाव में कम मार्जिन से ही उसकी हार हुई थी. कांग्रेस महाराष्ट्र की 48 सीटों को बराबर भागों में बांटने की मांग कर रही है. शिवसेना 2019 में जीती हुई 18 सीटों से कम लेने को राजी नहीं है.
सीट बंटवारे का 2 बेसिक फॉर्मूला, कई दल सहमत नहीं
इंडिया गठबंधन में शुरू से सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसता रहा है. सभी पार्टियां अधिक से अधिक सीटों पर दावेदारी के लिए अपने-अपने हिसाब से फॉर्मूला बताती रही है. सीट शेयरिंग को लेकर अब तक 2 बेसिक फॉर्मूले सामने आए हैं.
1. सबसे पहला फॉर्मूला है- पिछले 2 लोकसभा चुनाव का परिणाम. पिछले 2 चुनाव में बीजेपी से सीधी लड़ाई में इंडिया गठबंधन की कोई पार्टी पहले या दूसरे नंबर पर रही है, तो वहां उसकी दावेदारी सबसे मजबूत मानी जाएगी.
2. यह फॉर्मूला आरजेडी ने सुझाया है. पार्टी विधायकों के आधार पर लोकसभा सीट बंटवारे की मांग कर रही है. 2019 में बिहार में एनडीए ने इसी आधार पर सीटों का बंटवारा किया था. 2 सीट वाली जेडीयू को बीजेपी ने 17 सीटें दी थीं.
हालांकि, दोनों फॉर्मूलों में कई राज्यों का समीकरण फिट नहीं हो रहा है. मुंबई की मीटिंग में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सीट बंटवारे का नया मैकेनिज्म बनाने की बात कही थी. आप दिल्ली और पंजाब के साथ-साथ गुजरात में भी कुछ सीटें कांग्रेस से मांग रही है.
केजरीवाल के साथ-साथ तृणमूल कांग्रेस भी सीट बंटवारे के इन 2 फॉर्मूलों से सहमत नहीं है. तृणमूल बंगाल में एक भी सीट सीपीएम को देना नहीं चाहती है.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इंडिया गठबंधन सीट विवाद सुलझाने के लिए एक नए फॉर्मूले पर काम कर रही है. इसके मुताबिक गठबंधन के उन नेताओं को विवाद सुलझाने की जिम्मेदारी दी जाएगी, जिनका संबंधित राज्यों में कोई जनाधार नहीं है.
जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, बिहार और तमिलनाडु जैसे राज्यों में सीट-बंटवारे का मुद्दा सबसे पहले फाइनल होने की बात कही जा रही है.
सपा मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी मांग रही है हिस्सेदारी
समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी कुछ सीटें देने के लिए कहा है. सूत्रों के मुताबिक कॉर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग में सपा के जावेद अली ने कांग्रेस के वेणुगोपाल से मध्य प्रदेश में कुछ सीटें सपा के लिए छोड़ने की मांग रखी. वेणुगोपाल ने हाईकमान तक संदेश पहुंचाने की बात कही.
समाजवादी पार्टी सूत्रों के मुताबिक, 2018 के विधानसभा चुनाव में उसे एक सीट पर जीत मिली थी और पांच पर उसके उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे. सपा 2003 में मध्य प्रदेश की कुल 7 सीटों पर जीत हासिल कर चुकी है.
पार्टी का दावा बुंदेलखंड की करीब आधा दर्जन सीटों पर है. सपा के साथ-साथ आम आदमी पार्टी भी मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है.