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'मीडिया विरोधी ट्रंप' के खिलाफ अमेरिका के 100 अख़बार, 16 अगस्त को एक साथ लिखेंगे संपादकीय

अमेरिका के 100 अख़बार देश के राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ एकजुट हो गए हैं. आने वाली 16 तारीख को सभी एक साथ ट्रंप की आलोचना में संपादकीय छापने वाले हैं. 100 मीडिया हाउसेज़ ने ट्रंप के ख़िलाफ़ ये क़दम इसलिए उठाने का फैसला लिया है ताकि उन्हें उनके प्रेस विरोधी रवैये को लेकर संदेश भेजा जा सके.

वॉशिंगटन: अमेरिका के इतिहास में पहली बार कुछ ऐसा होने जा रहा है जो पहले कभी नहीं हुआ. देश के 100 अख़बार देश के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के ख़िलाफ़ एकजुट हो गए हैं और आने वाली 16 तारीख को सभी एक साथ ट्रंप की आलोचना में संपादकीय छापने वाले हैं. 100 मीडिया हाउसेज़ ने ट्रंप के ख़िलाफ़ ये क़दम इसलिए उठाने का फैसला लिया है ताकि उन्हें उनके प्रेस विरोधी रवैये को लेकर संदेश भेजा जा सके.

'बॉस्टन ग्लोब' ने शुरू की मुहिम ये मुहिम अमेरिकी अख़बार 'बॉस्टन ग्लोब' ने शुरू की है जिसके तहत वो देश के तमाम मीडिया घरानों के पास पहुंचे और उनसे अपील की. अपनी अपील में बॉस्टन ग्लोब ने अपने एडिटोरियल स्टाफ के सहारे तमाम मीडिया घरानों को संदेश दिया कि सब मिलकर संपादकीय के जरिए देश के राष्ट्रपति को ये संदेश दें कि उनका मीडिया विरोधी रवैया सही नहीं है.

मीडिया के ख़िलाफ़ गंदा खेल बंद होना चाहिए अपील में कहा गया कि प्रेस के खिलाफ ये गंदा खेल बंद होना चाहिए. आगे कहा गया है, "चाहे जिसकी जैसी भी विचारधारा हो, सब साथ मिलकर पत्रकारिता के पक्ष में एक ज़ोरदार बयान दे सकते हैं. ये बयान इसलिए ज़रूर है क्योंकि सरकार के सामने लोगों का पक्ष रखने के लिए पत्रकारिता बहुत ज़रूरी है." सीएनएन से मिली जानकारी के अनुसार रविवार तक 100 मीडिया घरानों ने इस कैंपेन को लेकर अपनी सहमति जताई है.

'देश की सरकार से मीडिया को ख़तरा' पर होगा संपादकीय कैंपेन में शामिल सभी मीडिया हाउस अपना संपादकीय बृहस्पतिवार को एक साथ अपनी भाषा और अपने अंदाज़ में छापेंगे. इससे जुड़े एक बयान में कहा गया है, "हम 16 अगस्त को 'देश की सरकार से मीडिया को ख़तरा' विषय पर अपना संपादकीय छापेंगे. हमारी सबसे अपील है कि वो अपने संपादकीय में भी इसी विषय पर लिखें." आगे कहा गया है कि हमारे शब्द अलग हो सकते हैं लेकिन हमारे विचारों से साफ हो जाएगा कि ट्रंप मीडिया पर जैसे हमले करते हैं उससे लोकतंत्र को कितना और कैसा ख़तरा है.

'फेक न्यूज़' जैसे 'जुमले' का जमकर इस्तेमाल करते हैं ट्रंप इस कैंपेन को अमेरिकन सोसाइटी और न्यूज़ एडिटर्स जैसी संस्थाओं का समर्थन प्राप्त है. आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को जो अख़बार, टीवी या रिपोर्ट पसंद नहीं आती उनके खिलाफ वो जमकर लिखते, बोलते और ट्वीट करते हैं. हर ऐसी रिपोर्ट के खिलाफ वो 'फेक न्यूज़' जैसे 'जुमले' का इस्तेमाल करते हैं. 'फेक न्यूज़' जैसे 'जुमले' का इस्तेमाल करके वो अपने और अपनी सरकार के खिलाफ की गई किसी भी रिपोर्ट को ख़ारिज कर देते हैं.

पत्रकारों से बदसलूकी करने वालों को है ट्रंप का समर्थन ट्रंप लंबे समय से प्रेस को लोगों का दुश्मन बताते आए हैं. उनके ऐसे बयानों के लिए UNHRC तक उनकी आलोचना कर चुका है. UNHRC ने तो इसे हिंसा तक करार दिया है. आपको बता दें कि राष्ट्रपति के ऐसे गैर-ज़िम्मेदाराना रवैये और बयानों की वजह से रिपोर्टरों के लिए उनकी रैलियों को कवर करना मुश्किल हो गया है. उनके समर्थक तमाम हदों तक जाकर पत्रकारों से बदसलूकी करते हैं और ऐसा लगता है जैसे इसे ट्रंप का समर्थन प्राप्त हो.

ट्रंप की रैली में CNN के पत्रकार से हुई बदसलूकी इसी महीने की शुरुआता में अमेरिका के सबसे बड़े मीडिया हाउस सीएनएन के एक रिपोर्टर जिम एकॉस्टा के साथ ट्रंप की एक रैली में बदसलूकी हुई. इसके बाद एकॉस्टा ने ट्रंप की प्रेस सेकेरेट्री सारा सैंडर्स से पूछा कि क्या अमेरिकी प्रशासन (व्हाइट हाउस) मीडिया विरोधी है? सबसे बड़ी बात ये है कि ट्रंप की प्रेस सेकेरेट्री सैंडर्स ने इसकी जवाब देना मुनासिब नहीं समझा.

ट्रंप के मीडिया विरोधी ट्वीट्स

आपको बता दें कि 'मीडिया के लोगों का दुश्मन' होने जैसी बातों पर चर्चा करने के लिए पिछले महीने ट्रंप अमेरिकी के सबसे बड़े अख़बार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' के मालिकों से मिले थे. इस मुलाकात के बाद उन्होंने कहा था कि इस दौरान बातचीत बहुत अच्छी रही. लेकिन इसके कुछ ही घंटो बाद वो ट्विटर पर आकर 'न्यूयॉर्क टाइम्स' समेत अन्य बड़े अख़बारों को मरता हुआ और ट्रंप की आलोचना करने वाला अख़बार बताने लगे.

इससे साफ है कि ट्रंप का रवैया मीडिया को लेकर बेहद अस्थिर है और देखने वाली बात होगी कि वो उनके ख़िलाफ़ लिखे गए 100 एडिटोरियल्स को कैसे ख़ारिज कर पाते हैं.

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