लैंगिक अंतर कम करने के लिए फिनलैंड में 16 वर्षीय बच्ची को एक दिन की प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला. बुधवार को प्रधानमंत्री सना मरीन ने आवा मुर्तो के लिए अपनी सीट खाली की. प्रधानमंत्री की कु्र्सी पर बैठने के बाद आवा मुर्तो ने कैबिनेट मंत्रियों से मुलाकात कर तकनीक के क्षेत्र में महिला अधिकारों पर चर्चा की.


एक दिन के लिए प्रधानमंत्री बनी 16 वर्षीय बच्ची
खबरों के मुताबिक, मुर्तो ने भाषण में कहा, "आज मुझे आप सबके सामने बोलते हुए बहुत खुशी हो रही है. हालांकि यहां खड़ी होने की मेरी इच्छा नहीं थी अगर लड़कियों के लिए मुहिम की जरूरत न होती." एक दिन की प्रधानमंत्री ने बताया, "मगर सच्चाई यही है कि अभी तक हम दुनिया में कहीं भी लैंगिक समानता को हासिल नहीं कर पाए हैं. ये बात सच है कि इस मामले में हमने बहुत कुछ पूरा किया है मगर अभी भी बहुत कुछ हासिल किए जाने की जरूरत है."


संयुक्त राष्ट्र संघ की जागरुकता मुहिम में फिनलैंड के शामिल होने का ये चौथा साल है. 'गर्ल्स टेकओवर' कार्यक्रम के तहत एक दिन के लिए टीनएजर को अन्य क्षेत्रों और राजनीति में आने का मौका मिलता है. इस साल का फोकस केन्या, पेरू, सूडान और वियतनाम की बच्चियों के बीच तकनीक और डिजिटल दक्षता के अवसर को बढ़ावा देने का है.


फिनलैंड को है सबसे कम की प्रधानमंत्री मिलने का गौरव
फिनलैंड की सरकार ने आवा मुर्तो के भाषण को यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया है. आवा मुर्तो जलवायु और मानवाधिकार मुद्दों की प्रमुख कार्यकर्ता हैं. दुनिया की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री बनने का खिताब हासिल करनेवाली सना मारीन नेहर शख्स तक तकनीक की पहुंच सुनिश्चित करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "समुदाय या मुल्कों के बीच डिजिटल खाई को गहरा नहीं किया जाना चाहिए."


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