नई दिल्ली: असम में अवैध तरीके से प्रवेश करने वाले एक हिंदू समेत बांग्लादेश के 21 नागरिकों को सोमवार को वापस उनके देश भेज दिया गया. असम पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक भास्करज्योति महंत ने कहा कि दो महिलाओं समेत 21 अवैध शरणार्थियों को बांग्लादेश के अधिकारियों को सुतार्कंदी एकीकृत जांच चौकी पर सौंप दिया गया. ये जगह असम के करीमगंज जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा से लगी हुआ है.
महंत ने बताया कि बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने की सजा काटने के बाद सिल्चर के हिरासत केंद्र में रखा गया था. इनके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया सोमवार को पूरी हुई. इन नागरिकों की राष्ट्रीयता को बांग्लादेश ने स्वीकार कर लिया और भारतीय अधिकारियों ने इन लोगों को बांग्लादेश के अधिकारियों को सौंप दिया.
31 रोहिंग्याओं पर बांग्लादेश से बात करेगा भारत
त्रिपुरा में प्रवेश करने की कोशिश करने को लेकर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा हिरासत में लिए गए 31 रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने के लिए बांग्लादेश से भारत के बातचीत करने की संभावना है. इन 31 लोगों में नौ महिलाएं और 16 बच्चे भी शामिल हैं. दरअसल, ये रोहिंग्या मुसलमान त्रिपुरा में भारत -बांग्लादेश सीमा पर लगे कंटीले तारों के आगे ‘‘नो मैन्स लैंड (ऐसी भूमि जिस पर किसी देश का अधिकार न हो)’’ में फंसे हुए हैं.
बीएसएफ के स्थानीय कमांडेंट अपने बांग्लादेशी समकक्ष बार्डर गार्ड्स ऑफ बांग्लादेश के संपर्क में हैं और इन लोगों की सुरक्षित वापसी के लिए विदेश मंत्रालय के बांग्लादेश सरकार के साथ बातचीत करने की उम्मीद है. बीएसएफ के शीर्ष अधिकारी ने गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को इस बारे में जानकारी दी है. उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने 2017 में संसद को बताया था कि 14,000 से अधिक रोहिंग्या मुसलमान भारत में रह रहे हैं. ये लोग शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त के पास पंजीकृत हैं.
वहीं, मानवाधिकार संगठनों का अनुमान है कि भारत में करीब 40,000 रोहिंग्या हैं. इस बीच, ढाका से प्राप्त एएफपी की खबर के मुताबिक पिछले तीन दिनों से भारत - बांग्लादेश सीमा पर फंसे इन 31 लोगों को दोनों देशों ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. म्यामां वापस भेजे जाने के डर से हाल के हफ्तों में लगभग 1300 रोहिंग्या मुसलमानों ने भारत से बांग्लादेश में प्रवेश किया है.
बांग्लादेशी सीमावर्ती शहर कस्बा के स्थानीय शासन के अधिकारी मनन जहांगीर ने कहा, ‘‘ वे लोग अब तंबू में रह रहे हैं जो भारतीय सुरक्षा बलों ने उन्हें सीमा की जीरो लाइन पर दिया था.’’ संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी समझौता पर भारत ने हस्ताक्षर नहीं किया है और उसने 2018 में 230 रोहिंग्या को गिरफ्तार किया था.
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