पिछले एक साल से ज्यादा समय से कोरोना महामारी ने दुनिया को हलकान कर रखा है. जिस रफ्तार से इसका संक्रमण लोगों में बढ़ रहा है इसी रफ्तार से दुनिया भर में बायो मेडिकल वेस्ट का पहाड़ खड़ा होने लगा है. कोरोना रोगियो के इलाज में जो चीजें इस्तेमाल होती है, वे इस्तेमाल होने के बाद इधर-उधर फेंक दिए जाते हैं. मसलन कोरोना रोगियों को लगने वाले इंजेक्शन, उसके कपड़े और अन्य तरह की चीजें जिसका इस्तेमाल रोगो बीमारी के दौरान करते हैं, उन चीजों में खतरनाक रसायन होते हैं. इसे इधर-उधर फेंकने से उल्टा कोरोना के संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है.


भारत बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण में बहुत ज्यादा फिसड्डी है. कोरोना के बाद से मेडिकल वेस्ट का निस्तारण बड़ी चुनौती बन गया है. राज्य के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में मेडिकल वेस्ट दो से दस गुणा तक बढ़ गया है. इसके निस्तारण का खर्च बचाने के लिए अस्पताल मेडिकल वेस्ट को सामान्य कचरे में मिलाकर खुले में फेंक रहे हैं, जो कई बीमारियों का कारण बन सकता है.


70 प्रतिशत राज्यों में वेस्ट निपटान की व्यवस्था नहीं 
International Institute of Population Sciences (IIPS) ने अपने अध्ययन में पाया है कि बायो मेडिकल वेस्ट के सही से निस्तारन नहीं होने के कारण 23 राज्यों में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. इस अध्ययन को हाल ही में वेस्ट मैनेजमेंट एंड रिसर्च जर्नल में प्रकाशित किया गया है. इस अध्ययन में कोरोना से पहले और कोरोना के दौरान बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारन और उससे होने वाले प्रभाव को शामिल किया गया था.


इसमें पाया गया कि देश के 70 प्रतिशत राज्यों में बायो मेडिकल वेस्ट के निपटारे के लिए common BMW treatment facilities (CBMWTF) का अभाव है. सिर्फ 12 राज्य ही ऐसे हैं जो बायो मेडिकल वेस्ट निपटान के लिए नए नियमों का पालन कर रहे हैं.  अध्ययन के मुताबिक भारत में सिर्फ 200 CBMWTF है. भारत जैसे देश के लिए CBMWTF की इतनी कम संख्या चिंता का विषय है. 


महाराष्ट्र की स्थिति बेहद खराब 
अध्ययन करने वालों में IIPS की प्रोफेसर अपराजिता चटोपाध्याय ने बताया कि 100 मीट्रिक टन से ज्यादा बायो मेडिकल वेस्ट बनाने वाले राज्यों में इसके निस्तारण को लेकर विशेष पहल की जरूरत है. प्रमुख शोधकर्ता राहुल रजक ने बताया कि पहाड़ी राज्यों को तत्काल विशेष प्रबंधन की जरूरत है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डाटा के मुताबिक देश के कुल बायो मेडिकल वेस्ट का 70 प्रतिशत वेस्ट सिर्फ महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश और दिल्ली में उत्पन्न होते हैं.


आंकड़ों के मुताबिक भारत में पिछले साल जून से दिसंबर 2020 के बीच 32996 मीट्रिक टन बायो मेडिकल वेस्ट बना जो सिर्फ कोरोना से संबंधित बायोमेडिकल वेस्ट था. इनमें भी महाराष्ट्र की स्थिति सबसे खराब है. महाराष्ट्र में इस दौरान 989 मीट्रिक टन कोरोना बायो मेडिकल वेस्ट बना. 


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