नई दिल्ली: मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमलों में शामिल लश्कर ए तैयबा के पाकिस्तानी-अमेरिकी सदस्य आतंकी डेविड कोलमैन हेडली पर शिकागो की जेल में हमला हुआ. हेडली पर जेल में ही बंद दो कैदियों ने हमला किया. जानकारी के मुताबिक हेडली पर यह हमला आठ जुलाई को हुआ. सूत्रों के मुताबिक उसके पेट और सिर में गंभीर चोटें आईं है.


हेडली का इलाज नॉर्थ अवनस्टोन हॉस्पिटल में चल रहा है, जहां उसे आईसीयू में रखा गया है. उस पर 24 घंटे कड़ी निगरानी रखी जा रही है. जिन साथी कैदियों ने हेडली पर हमला किया वो दोनों भाई हैं और सालों पहले एक पुलिसकर्मी पर हमले के चलते जेल में लाए गए थे. डेविड कोलमैन हेडली का असली नाम दाऊद सैयद गिलानी है. उसका जन्म वॉशिंगटन में हुआ, उसके पिता सैयद सलीम गिलानी एक जाने माने पाकिस्तान डिप्लोमेट और ब्रॉडकास्टर थे.


26/11 हमले में की थी आतंकियों की मदद
26/11 आतंकी हमले के दौरान हेडली लश्कर के एजेंट के तौर पर काम कर रहा था. ऐसा बताया जाता है कि उसने वर्ष 2006 और 2008 के बीच कई बार भारत की यात्रा की, नक्शे खींचे, वीडियो फुटेज ली और हमले के लिए ताज होटल, ओबरॉय होटल और नरीमन हाउस समेत विभिन्न ठिकानों की जासूसी की. हेडली की जासूसी ने हमला करने वाले लश्कर के 10 आतंकवादियों और उनके आकाओं को अहम जानकारी उपलब्ध कराई. मुंबई में नवंबर 2008 में हुए इन हमलों में 166 लोगों की मौत हो गई थी.


खुद कुबूल की हमले में शामिल होने की बात
शिकागो की जेल से मुंबई की एक अदालत में गवाही देते हुए कहा था कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 26/11 हमलों से पहले मुंबई पर दो बार हमला करने की कोशिश की थी लेकिन वे दोनों बार ऐसा करने में नाकाम रहे थे. अपनी गवाही में उसने कहा कि वह ‘‘लश्कर का कट्टर समर्थक’’ था और वह कुल आठ बार भारत आया था. वह 26 नवंबर 2008 को आतंकवादी हमले से पहले सात बार और हमले के बाद एक बार भारत आया था.


हेडली ने कहा कि वह लश्कर प्रमुख हाफिज सईद से ‘‘प्रभावित’’ होकर इस संगठन में शामिल हुआ था और उसने वर्ष 2002 में मुजफ्फराबाद में उनके साथ पहली बार ‘‘प्रशिक्षण’’ प्राप्त किया था. आतंकवादी हमलों में शामिल होने के मामले में अमेरिका में 35 वर्ष के कारावास की सजा भुगत रहे हेडली ने यह भी कहा कि उसने 2006 में अपना नाम दाउद गिलानी से बदलकर डेविड हेडली रख लिया था ताकि वह भारत में प्रवेश कर सके और यहां कोई कारोबार स्थापित कर सके.