Sexual Assaults in US military: अमेरिकी सेना (US military) में यौन हमलों (Sexual Assaults) के मामले में पिछले साल 13 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. अमेरिका (America) में कोराना प्रतिबंधों (Corona Restrictions) के हटने और सार्वजनिक स्थानों के खुलने के बाद थलसेना (US Army) और नौसेना (US Navy) में यौन हमले के मामलों में बढ़ोतरी हुई. अमेरिकी रक्षा और सैन्य अधिकारियों ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि एक गोपनीय सर्वेक्षण में सेना के करीब 36 हजार सदस्यों ने कहा कि उन्होंने अवांछित यौन संबंध का अनुभव हुआ जबकि 2018 के एक ऐसे ही सर्वेक्षण में तकरीबन 20 लोगों ने यह बात कबूली थी.
पेंटागन स्थित अमेरिकी रक्षा मुख्यालय यौन अपराधों और दुराचार पर काबू न पाने के कारण आलोचना का शिकार रहा है. नए आकंड़े एक बार फिर सांसदों को नाराजगी जाहिर करने की वजह देते हैं. अधिकारियों के मुताबिक, सेना के जवानों से जुड़ी रिपोर्टों में समग्र रूप से लगभग 26 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 2013 के बाद से सेना में यौन हमलों की यह सबसे बड़ी वृद्धि है. उस समय रिपोर्ट में 51% की वृद्धि दर्ज की गई थी.
हर साल आंकड़े जारी करता है पेंटागन
नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि यह वृद्धि नौसेना में नौ फीसदी, वायुसेना में दो फीसदी के कुछ ज्यादा और मैरीन कॉर्प्स नें दो फीदसी से कम दर्ज की गई है. थल सेना में सबसे ज्यादा ऐसे मामले घटित हुए हैं, जो कि भर्ती के लक्ष्य को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही है. हालांकि, सैन्य अधिकारियों ने अभिभावकों और अन्य को आश्वासन दिया है कि उनके बच्चे सेना में सुरक्षित हैं और उनकी देखभाल की जाएगी, इसके लिए निश्चिंत रहें.
पेटागन हर साल सेना में यौन हमलों के आंकड़े जारी करता है. चूंकि लोग यौन अपराध जैसे मामलों पर चुप्पी साध जाते हैं और कम ही मामलों की शिकायत दर्ज कराई जाती है, ऐसे में विभाग ने समस्या की स्पष्ट तस्वीर सामने लाने के लिए हर दो साल में एक गोपनीय सर्वेक्षण करना शुरू कर दिया.
2018 में सर्वे में 20 हजार सैनिकों ने स्वीकार किया था कि उनके साथ यौन हमला हुआ लेकिन उनमें से केवल एक तिहाई ने औपचारिक शिकायत दाखिल कराई थी. नई रिपोर्ट गुरुवार को सार्वजनिक किए जाने की उम्मीद है. इसमें कहा गया है कि लगभग 35,800 लोगों पिछले वर्ष किसी प्रकार के यौन हमले का अनुभव किया.
ये भी पढ़ें
UN की रिपोर्ट में दिखा चीन का असली चेहरा- उइगर मुस्लिमों को बनाया गुलाम, यौन हिंसा और जबरन नसबंदी