Rohingyas In Myanmar: संघर्ष से जूझ रहे म्यांमार के रखीन में बढ़ती हिंसा ने 45 हजार और रोहिंग्याओं को यहां से भागने को मजबूर कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. इतना ही नहीं रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लोगों की हत्या, मारपीट और संपत्ति जलाने जैसे मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों के बीच रोहिंग्याओं को ये कदम उठाना पड़ा.


अराकान सेना के विद्रोहियों द्वारा नवंबर में सत्तारूढ़ सैन्य सरकार की सेनाओं पर हमला करने के बाद से राखीन में कई जगहों पर झड़प हुई. इसके कारण 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद से बड़े पैमाने पर हो रहे युद्ध पर विराम लग गया है. इस लड़ाई ने लंबे समय से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को बीच में फंसा रखा है. यहां बौद्ध निवासी बहुसंख्यक हैं, जिनके द्वारा उनको बाहरी माना जाता है. फिर वो सरकार में रहे या विद्रोही पक्ष से.


6 लाख रोहिंग्याओं ने देश में रहने का विकल्प चुना


अराकान आर्मी ने कहा है कि वह राज्य में जातीय राखीन आबादी के स्वशासन के लिए लड़ रहा है. इनमें रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यक के अनुमानित 6 लाख लोगों का घर है, इन रोहिंग्याओं ने देश में रहने का विकल्प चुना है. 


10 लाख से ज्यादा रोहिंग्याओं ने बांग्लादेश में शरण ली


राखीन से भागने के बाद 10 लाख से ज्यादा रोहिंग्याओं ने बांग्लादेश में शरण ली. इसमें से सेना द्वारा 2017 में की गई कार्रवाई के दौरान हजारों लोग शामिल हैं, जो की अब संयुक्त राष्ट्र की अदालत में नरसंहार के मामले का है.


45 हजार रोहिंग्या नफ नदी के पास भागे


जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र अधिकार कार्यालय की प्रवक्ता एलिजाबेथ थ्रोसेल ने बीते शुक्रवार (24 मई) को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हालिया दिनों में बुथिदौंग और माउंगडॉ टाउनशिप झड़प के दौरान हजारों नागरिक विस्थापित हुए. जान बचाते हुए 45 हजार रोहिंग्या बांग्लादेश के बॉर्डर के पास नफ नदी के क्षेत्र में भाग गए हैं. अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक उन्होंने सुरक्षा का आग्रह किया.


बांग्लादेश से किया सुरक्षा प्रदान करने का आग्रह


एलिजाबेथ थ्रोसेल ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र अधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने बांग्लादेश समेत अन्य देशों से अंतर्राष्ट्रीय कानून के मुताबिक इसकी मांंग करने वालों को सुरक्षा प्रदान करने का आग्रह किया. उन्होंने ये म्यांमार में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए बांग्लादेश के साथ अंतरराष्ट्रीय एकजुटता सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया. 


10 लाख से अधिक रोहिंग्या पहले से ही बांग्लादेश में हैं 


बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार से रिपोर्टिंग करते हुए अल जज़ीरा के पत्रकार तनवीर चौधरी ने बताया कि देश में पहले से ही दस लाख से अधिक रोहिंग्या हैं और सरकार और अधिक रोहिंग्या लेने के लिए इच्छुक नहीं है, इसके कारण वह लोग म्यांमार सीमा में फंस गए हैं.


बड़े पैमाने पर बुथिडाउंग शहर को जलाया 


म्यांमार अधिकार कार्यालय के प्रमुख जेम्स रोडहेवर ने उस नरसंहार के बारे में बात की, जिसके कारण लोग भाग रहे थे. उन्होंने बताया कि उनकी टीम को कुछ साक्ष्य मिले हैं, उन्हें ऑनलाइन वीडियो और फोटो मिली हैं, जो इस बात के संकेत देते हैं कि बुथिडाउंग शहर को बड़े स्केल पर जला दिया गया था. 


अकारान सेना ने रोहिंग्याओं के साथ किया दुर्व्यवहार


जेम्स रोडहेवर ने बताया कि सेना के पीछे हटने के बाद 17 मई से आगजनी शुरू हुई थी. इसी दौरान उनमें से जिंदा बचे एक आदमी ने दर्जनों शवों को देखने का दावा किया था. वहीं एक दूसरे व्यक्ति ने बताया कि वह उन लोगों में से था, जो शहर से भाग गए थे. वहींं अन्य लोगों ने भी कहा, जब वे लोग शहर के दक्षिण में रोहिंग्या गांवों में जा रहे थे तो अकारान सेना द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उनसे पैसे वसूले.


यह भी पढ़ें- Lok Sabha Elections 2024: चुनाव नतीजो को लेकर प्रशांत किशोर ने योगेंद्र यादव के आकलन का स्क्रीनशॉट किया शेयर, कहा- बाकी 4 जून को देखेंगे