क्या आप जानते हैं? तालिबान सरकार के 5 मंत्री पाकिस्तान के हक्कानिया मदरसे के रहे हैं छात्र, जहां सैन्य शिक्षा भी दी जाती है
दारुल उलूम हक्कानिया मदरसा पाकिस्तान में अकोरा खट्टक में स्थित है. ये जिहाद यूनिवर्सिटी के रूप में जाना जाता है. हक्कानी नेटवर्क का नाम इसी मदरसे के नाम पर रखा गया है.
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Afghanistan News: अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा कर दी है. तालिबान के मंत्रिमंडल में 1990 के दशक के कई अनुभवी नेता शामिल हैं. तालिबान ने अपने शीर्ष नेतृत्व के लिए मुल्ला मुहम्मद हसन अखुंद को चुना है, जिसे अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है. वहीं मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को अखुंद का डिप्टी यानी उप-प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है. दिलचस्प बात यह है कि मंत्रियों की सूची में 5 ऐसे मंत्री हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के हक्कानिया मदरसे से तालीम पाई है. जानिए इनके बारे में.
बीबीसी उर्दू के मुताबिक, इन पांच नेताओं ने हक्कानिया मदरसे से पाई तालीम
- मुल्ला अब्दुल लतीफ मंसूर (जल और ऊर्जा मंत्री)
- मौलाना अब्दुल बाकी (उच्च शिक्षा मंत्री)
- नजीबुल्लाह हक्कानी (सूचना प्रसारण मंत्री)
- मौलाना नूर मोहम्मद साकिब (हज मंत्री)
- अब्दुल हकीम सहराई (न्याय मंत्री)
तालिबान के प्रवक्ता भी इसी मदरसे से पढ़े
बीबीसी उर्दू ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इन पांच नेताओं के अलावा अफगान तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद नईम भी दारूल उलूम हक्कानिया से पढ़े हैं. साथ ही मोहम्मद नईम ने इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिवर्सिटी इस्लामाबाद से पीएचडी की है. अफगान तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन भी इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिवर्सिटी इस्लामाबाद में पढ़े हैं. हालांकि मोहम्मद नईम और सुहैल शाहीन को कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है.
और भी कई नेता दारूल उलूम हक्कानिया से पढ़े
दारूल उलूम हक्कानिया से पढ़ने वालों में तालिबान के कई रहनुमा शामिल हैं. उनमें पूर्व अफगान नेता मौलाना जलालुद्दीन हक्कानी, मौलाना यूनुस खालिस, मौलाना नबी मोहम्मदी शामिल हैं, जिसने सोवियत यूनियन को शिकस्त दी थी.
अब हक्कानिया मदरसा के बारे में जानिए
दारुल उलूम हक्कानिया मदरसा पाकिस्तान में अकोरा खट्टक में स्थित है. ये जिहाद यूनिवर्सिटी के रूप में जाना जाता है. हक्कानी नेटवर्क का नाम इसी मदरसे के नाम पर रखा गया है. हक्कानिया मदरसा सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली कट्टरपंथी सुन्नी नेटवर्क है और यह एक 'आतंकवादी कारखाने' के रूप में काम करता है, जहां छात्रों को युद्ध प्रशिक्षण, बम बनाने और गुरिल्ला युद्ध करना सिखाया जाता है.
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