इंडोनेशिया में फिर आया 6.1 तीव्रता का भूकंप, अब तक हो चुकी है 430 लोगों की मौत
इंडोनेशिया के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता सुतोपो पुरवो नुगरोहो ने बताया कि भूकंप से फिलहाल बड़ी क्षति या किसी के हताहत होने की ख़बर नहीं है. उन्होंने कहा, "भूकंप से भगदड़ मच गई. लोग अपने घरों से बाहर भाग रहे थे. झटके पांच मिनट तक दर्ज किए गए." वहीं, 22 दिसंबर को जावा और सुमात्रा के द्वीपों पर सुनामी आने के कुछ ही दिनों के भीतर भूकंप के झटके दर्ज हुए हैं.
जकार्ता: इंडोनेशिया के पापुआ बैराट प्रांत में शुक्रवार को रिएक्टर पैमाने पर 6.1 तीव्रता के भूकंप के झटके दर्ज किए गए. ताज़ा भूकंप में अभी तक किसी के हताहत होने की ख़बर नहीं है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने मौसम विभाग के अधिकारी के हवाले से बताया कि भूकंप का केंद्र मनोक्वारी शहर में 26 किलोमीटर की गहराई में दर्ज किया गया लेकिन सुनामी की कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है. पिछले शनिवार को आई सुनामी में अब तक 430 लोगों की मौत हो चुकी है.
इंडोनेशिया के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता सुतोपो पुरवो नुगरोहो ने बताया कि भूकंप से फिलहाल बड़ी क्षति या किसी के हताहत होने की ख़बर नहीं है. उन्होंने कहा, "भूकंप से भगदड़ मच गई. लोग अपने घरों से बाहर भाग रहे थे. झटके पांच मिनट तक दर्ज किए गए." वहीं, 22 दिसंबर को जावा और सुमात्रा के द्वीपों पर सुनामी आने के कुछ ही दिनों के भीतर भूकंप के झटके दर्ज हुए हैं.
इंडोनेशिया में निरंतर भूकंप और सुनामी इस वजह से आते रहते हैं क्योंकि ये भूकंपीय दृष्टि से सक्रिय फायर ऑफ रिंग पर विराजमान है. ये प्रशांत महासागर के बेसिन में ज्वालामुखियों और फॉल्ट लाइनों का एक आर्क है. आपको बता दें कि प्रशांत महासागर में एक तरफ ये जहां जपाना से इंडोनेशिया तक फैला हुआ है तो वहीं दूसरा तरफ इसका विस्तार कैलिफोर्निया से नॉर्थ अमेरिका तक है.
इंडोनेशिया में आए बड़े भूकंप और सुनामी में हुईं मौतें
साल मृतकों की संख्या
जुलाई 2006- 700 सितंबर 2009- 1100 अक्टूबर 2010- 300 दिसंबर 2016- 100 अगस्त 2018- 500 सितंबर 2018- 2000
इस हिसाब से अकेले 2018 में ही अभी तक इंडोनेशिया में 2800 के करीब लोगों की जानें चली गईं. आपको बता दें कि ये सुनामी एक ज्वालामुखी के फटने से आई. इसकी वजह से उठी लहरों ने सैकड़ों बिल्डिंगों को तबाह कर दिया. अंतरराष्ट्रीय समय के अनुसार लहरों ने दक्षिणी सुमात्रा के किनारे को रात 9.30 मिनट पर हिलाकर रख दिया. सुनामी शनिवार को तब आई जब काराकोटा के "बच्चे" के तौर पर जाने जाने वाली ज्वालामुखी फट गई.
भूकंप और ज्वालामुखी के फटने से आने वाली सुनामी में ये फर्क होता है कि भूकंप से आने वाली सुनामी का अलर्ट सिस्टम मौजूद है. ऐसे में अधिकारी भूकंप आने से पहले मिली जानकारी के मुताबिक राहत और बचाव की तैयारियां कर सकते हैं. लेकिन ज्लावामुखी से आने वाली सुनामी के साथ ऐसा कुछ भी नहीं है. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसाइटीज ने कहा कि 'शक्तिशाली लहरें' 30-90 सेंटीमीटर (1-3 सेंटीमीटर) की ऊंचाई तक उठ रही थीं.
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